मेरी फसल मेरा ब्यौरा पोर्टल में भी जमीन का खेल

कब्जेधारी ने मान लिया गलती हो गईं, अधिकारी सुधारने को तैयार नही


पीड़ित दंपति ने कहा है की उन्हें प्रशासन से मानसिक प्रताड़ना मिल रही है। अगर कुछ हो गया तो इसके लिए संबंधित अधिकारी जिम्मेदार होंगे


रणघोष अपडेट. रेवाड़ी

मेरी फसल मेरा ब्यौरा पोर्टल पर गांव डहीना में जमीन से जुड़ा एक दिलचस्प मामला सामने आया है। इस पोर्टल पर गलती से किसी ओर के नाम जमीन दर्ज कर दी गईं। पता चलते ही जमीन मालिक ने डहीना पुलिस में शिकायत दर्ज कराईं। कार्रवाई में कब्जेधारी ने लिखकर दे दिया की उनकी पुत्रवधु ने गलती से जमीन अपने नाम दिखा दी थी। इस जमीन पर सरकार की तरफ से जो भी मुआवजा, लाभांश मिला है उसे लौटा दिया जाएगा। कमाल देखिए। इतना सबकुछ होने के बाद भी प्रशासन के अधिकारी अपनी गलती को ठीक करने की बजाय लगातार फसल पर दी जाने वाली राशि उसी कब्जेधारी के खातें डाल रही है। पीड़ित न्याय के लिए पिछले एक साल से दर दर भटक रहा है। यहा तक की यह मामला तहसीलदार, एसडीएम, डीसी से होकर अब मुख्यमंत्री तक पहुंच चुका है। पीड़ित जिला सचिवालय पर लग रहे समाधान शिविर में भी पेश हो चुका है। डीसी की तरफ से उचित कार्रवाई का आश्वासन भी मिला है लेकिन इसके बावजूद कुछ भी नही हुआ। अब पीड़ित ने थक हारकर चेतावनी दी है की उसे लगातार मानसिक प्रताड़ना मिल रही है। अगर उसे कुछ हो गया तो इसके लिए संबंधित अधिकारी पूरी तरह से जिम्मेदार होंगे।

 गांव डहीना निवासी मैना यादव पत्नी नरेंद्र को पता चला की 2023 में मेरी फसल मेरा ब्यौरा पोर्टल पर उनकी जमीन पर गांव के तीन ग्रामीणों ने जिसमें एक महिला शामिल है ने पटवारी व तहसील विभाग के कर्मचारी, अधिकारी से साज बाज होकर तीन किला चार मरला जमीन अपने नाम अपलोड कराकर सरकार की तरफ से मिलने वाली राशि अपने खाते में डलवा ली। पीड़ित दंपति ने 8 जुलाई 2023 को डहीना पुलिस में शिकायत दर्ज करवा दी। उसके बाद 18 सितंबर 2023 को एसडीएम को लिखित में अवगत करा दिया। पुलिस कार्रवाई में कब्जेधारी में महिला के ससुर ने लिखकर दे दिया की यह गलती से हो गया। इस जमीन पर जो भी राशि प्राप्त हुई है उसे जमीन मालिक को लौटा दिया जाएगा। इस लिखित बयान से पीड़ित की शिकायत को कब्जेधारी ने सही साबित कर दिया। इतना सबकुछ होने के बाद भी पोर्टल पर जमीन का मालिकाना नही बदला गया। दो तहसीलदारों ने भी अपनी जांच में कब्जेधारियो को ही जमीन का मालिक बता दिया जबकि रिकार्ड में जमीन  की मालिक मैना यादव पत्नी नरेंद्र है। सरकार की इस योजना के अनुसार पोर्टल पर जमीन मालिक का नाम ही उल्लेखित हो सकता है अन्य किसी का नही। पीड़ित ने कार्रवाई में हो रही देरी को लेकर लगातार पत्राचार जारी रखा। सीएम विंडो से लेकर वह बार बार एसडीएम, डीसी के सामने भी पेश होता रहा। अधिकारियों ने भी विश्वास दिलाया की गलत नही होने दिया जाएगा। पीड़ित का कहना है की इस मामले में कुछ अधिकारी फंस चुके हैं। इसलिए खुद को बचाने के लिए सही कार्रवाई से बच रहे हैं। इसलिए वे उच्च अधिकारियों से इस मामले की निष्पक्ष जांच कराने की मांग कर रहे हैं। उनकी शिकायत को किसी ना किसी तरीके से दबाया जा रहा है। पीड़ित दंपति का कहना है की जब वे अधिकारियों के सामने पेश  होते हैं तो उन्हें  कार्रवाई का भरोसा मिलता है लेकिन कुछ दिन बाद सबकुछ रफा दफा कर दिया जाता है। ऐसे में उनका परिवार मानसिक प्रताड़ना झेल रहा है। अगर उनके परिवार को कुछ होता है तो इसके  लिए संबंधित प्रशासनिक अधिकारी, कर्मचारी पूरी तरह से जिम्मेदार होंगे।