ओडिशा में विधायकों के वेतन और भत्तों में तिगुनी बढ़ोतरी के बाद सियासी घमासान। जनता और विपक्ष का विरोध, नवीन पटनायक का वेतन न लेने का ऐलान, भाजपा का पलटवार।
हाल ही में ओडिशा में विधायकों के वेतन और भत्तों में तिगुनी बढ़ोतरी के फैसले ने राज्य की राजनीति में भूचाल ला दिया है। 9 दिसंबर को शीतकालीन सत्र के अंतिम दिन ओडिशा विधानसभा ने सर्वसम्मति से चार विधेयक पारित किए, जिनके तहत विधायकों के वेतन और भत्तों में भारी इजाफा किया गया। इस फैसले के बाद जहां सत्ता पक्ष इसे आवश्यक और समयानुकूल बता रहा है, वहीं विपक्ष और आम जनता इसे जनभावनाओं के खिलाफ करार दे रही है।
विधायकों के वेतन में कितनी बढ़ोतरी हुई
नए प्रावधानों के अनुसार, एक विधायक का कुल मासिक वेतन पैकेज पहले के लगभग 1.11 लाख रुपये से बढ़कर 3.45 लाख रुपये हो गया है। यही नहीं, मुख्यमंत्री को अब करीब 3.74 लाख रुपये मासिक वेतन और भत्ते मिलेंगे, जबकि उपमुख्यमंत्री का मासिक वेतन लगभग 3.68 लाख रुपये तय किया गया है। यह आंकड़े सामने आते ही सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रियाएं देखने को मिलीं और सरकार पर जनता से कटे होने के आरोप लगने लगे।
विरोध करने वाले दलों और नागरिकों का तर्क है कि वित्त वर्ष 2024-25 में ओडिशा की प्रति व्यक्ति वार्षिक आय करीब 1.83 लाख रुपये है। ऐसे में विधायकों और आम नागरिकों की आय के बीच का अंतर बेहद चौंकाने वाला है। सोशल मीडिया पर वायरल पोस्ट्स में कहा गया कि इस वेतन वृद्धि के बाद एक विधायक की वार्षिक आय लगभग 41.4 लाख रुपये हो जाएगी, जो राज्य के औसत नागरिक की आय से करीब 22 गुना अधिक है। एक वायरल टिप्पणी में यह तक कहा गया कि एक विधायक दो हफ्तों में उतना कमा लेता है, जितना एक आम व्यक्ति पूरे साल में कमाता है।
राज्य की प्रति व्यक्ति आय से तुलना पर सवाल
जनाक्रोश बढ़ने के बीच बीजू जनता दल (BJD) के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी को पत्र लिखकर बड़ा राजनीतिक संदेश दिया। उन्होंने कहा कि वह विधायक के रूप में मिलने वाले बढ़े हुए वेतन और भत्ते को स्वीकार नहीं करेंगे। पटनायक का यह कदम ऐसे समय में सामने आया है, जब जनता के बीच इस फैसले को लेकर गुस्सा चरम पर है। हालांकि, यह भी तथ्य है कि जब ओडिशा विधानसभा सदस्य वेतन, भत्ते और पेंशन (संशोधन) विधेयक, 2025 सदन में पारित हुआ था, तब बीजद ने इसका समर्थन किया था।
इसी बात को लेकर भाजपा ने पटनायक पर तीखा हमला बोला है। भाजपा के वरिष्ठ नेता और उपमुख्यमंत्री के वी सिंह देव ने पटनायक की घोषणा को राजनीति और स्टंट करार देते हुए सवाल उठाया कि वे विधानसभा सत्र में मौजूद क्यों नहीं थे और विधेयक पर चर्चा के दौरान उन्होंने विरोध क्यों नहीं जताया। उनके अनुसार, यह सब केवल राजनीतिक लाभ लेने की कोशिश है।
पूर्व मंत्री और भाजपा विधायक जय नारायण मिश्रा ने भी पटनायक की घोषणा को ‘नाटक’ बताया। उन्होंने कहा कि पटनायक की समृद्ध पृष्ठभूमि किसी से छिपी नहीं है और ऐसे में उनका वेतन न लेने का ऐलान जनता को भ्रमित करने वाला कदम है। भाजपा नेताओं का कहना है कि वेतन बढ़ोतरी का फैसला सभी दलों की सहमति से हुआ है, इसलिए अब इस पर राजनीति करना उचित नहीं है।
फिलहाल ओडिशा में विधायकों के वेतन बढ़ोतरी का मुद्दा सड़क से लेकर सोशल मीडिया तक चर्चा का विषय बना हुआ है। यह विवाद केवल आर्थिक आंकड़ों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह जनप्रतिनिधियों और आम नागरिकों के बीच बढ़ती दूरी को भी उजागर करता है। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार जनता के गुस्से को कैसे संभालती है और क्या इस फैसले पर कोई पुनर्विचार होता है या नहीं।