रणघोष खास. बावल से ग्रांउड रिपोर्ट
इन दिनों हरियाणा विधानसभा चुनाव में चुनावी मैदान में खड़े प्रत्याशियों में रोज जीत का भूत सवार होता है और अगले दिन उतर जाता है। बावल विधानसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी डॉ. एमएल रंगा की जीत को लेकर जो दावा किया जा रहा है या माहौल बताया जा रहा है वह महज हवा का झौंका है। दरअसल डॉ. रंगा के साथ 2019 के विधानसभा चुनाव में भी यही स्थिति थी लेकिन वे अच्छी खासी वोटों से हार गए थे। उस समय तो भाजपा उम्मीदवार डॉ. बनवारीलाल का पार्टी के अंदर बाहर सार्वजनिक तौर पर धरना प्रदर्शन भी हुआ था। डॉ. रंगा भी भाजपा में अपनी सेवाए दे चुके हैं। इस बार भाजपा के उम्मीदवार को लेकर जन आक्रोश या नाराजगी हरगिज नही है। बस वे एकदम प्रशासनिक सेवाओं से सीधे राजनीति की चुनावी बोर्ड परीक्षा में बैठ गए है।
डॉ. एम रंगा निजी तौर पर अपनी उदार छवि के चलते मौजूदा नए भाजपा प्रत्याशी से ज्यादा मजबूत पोजीशन पर है लेकिन डॉ. रंगा के पास प्रबंधन के नाम पर एक ऐसा गिरोह पूरी तरह से सक्रिय है जो खतरनाक इरादों से इस नेता को राजनीति के बाजार में अपने बोली लगाकर बेच रहा है। इस गिरोह में कोई ठेकेदारी कर रहा है कोई अन्य तरह का कारोबार। अधिकांश वे लोग है जो इस नेता पर सटटा लगाकर चुनाव के बाद सत्ता मिलते ही जमकर इस्तेमाल करेंगे। ऐसा डॉ. रंगा के शुरूआती राजनीति जीवन से होता रहा है जिससे आज तक यह नेता पूरी तरह से उभर नही पाया है। फर्क इतना है की चौटाला सरकार में स्वास्थ्य मंत्री रहते डॉ. रंगा के नाम पर जमकर जनता के साथ लूटपाट हुईं। अनेक मामले सामने आए। नौकरी लगाने के नाम पर या तरह तरह की वसूली के दाग आज तक नही हट पाए है। अभी भी वह गिरोह सार्वजनिक नही आकर पर्दे के पीछे इस चुनाव में सक्रिय है। सार्वजनिक तौर पर उनकी जगह दूसरी तरह का गिरोह आ चुका है जिसका बावल की राजनीति से ज्यादा सरोकार नही है। वे इधर उधर क्षेत्रों से संबंध रखते हैं। वे डॉ. रंगा के फाइनेंस सिस्टम को मैनेज करते हैं जाहिर है वे डॉ. रंगा के नाम पर अपने फतवे भी जारी कर रहे हैं। पता चलते ही डॉ. रंगा के के पुराने कार्यकर्ता खामोशी से दूरिया बनानी शुरू कर दी है। उन्हे डर है की जीतने के बाद कही पुराना वाला खेल शुरू नही हो जाए।
कांग्रेस के नाम पर डॉ. रंगा के पास सिंबल, सक्रियता कम
बावल सीट पर सबसे ज्यादा कांग्रेस टिकट दावेदार थे। जिनकी संख्या 15 से ज्यादा थी। इसमें अधिकांश टिकटधारी डॉ. रंगा के समर्थन में गायब होकर अपने घर आराम कर रहे हैं। वे अंदरखाने डॉ. रंगा की हार में अपनी भविष्य की जीत मानकर चल रहे हैं। इसलिए डॉ. रंगा को यह भ्रम निकालना होगा की भाजपा प्रत्याशी कमजोर होने से उनके पक्ष में माहौल बनता जा रहा है। भाजपा की स्थिति टिकट को लेकर पिछले चुनाव के मुकाबले ज्यादा बेहतर। केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह ने अभी इस चुनाव में अपनी गंभीरता भी नही दिखाई है।