भाजपा- कांग्रेस – आप तीनों का प्रबंधन कमजोर
किसी को ज्यादा किसी को कम नुकसान
रणघोष खास. रेवाड़ी की ग्रांउड रिपोर्ट
रेवाड़ी विधानसभा सीट से जो जानकारी प्राप्त हो रही है। उसके मुताबिक कांग्रेस और भाजपा कहने को राष्ट्रीय दल है लेकिन इनका चुनावी प्रबंधन पूरी तरह से इधर उधर के भरोसे चल रहा है। कांग्रेस प्रत्याशी चिरंजीव राव के लिए प्रबंधन की कमान पूर्व मंत्री कप्तान परिवार ने संभाल रखी है लेकिन स्थिति आनन फानन जैसी नजर आ रही है। कप्तान के पास कुछ समर्थकों की फौज लंबे समय तक चुनाव को परपंरागत तरीके से संभालती आ रही थी। वह इस चुनाव में अलग अलग वजहों से गायब है। अब जिन्हें कमान दी हुई है उनके पास कोई पुराना रिकार्ड या लंबा अनुभव नही है की वे 100 से 200 वोटों की हैसियत रखने वाले असरदार लोगों से संपर्क कर ले। कप्तान की जितनी समझ काम कर रही है वे अपने स्तर पर प्रयास कर रहे हैं लेकिन उन पर एक साथ कई जिम्मेदारियां किसी कार्य को सलीके से पूरा नही होने दे रही है। जिस टीम को उन्होंने तैयार किया हुआ है उसमें अधिकांश समर्पित कम अवसरवादी ज्यादा है। कप्तान के कार्यालय का कई सालों से काम देखने वालों का कहना है की पहली बार हैरानी हो रही है की उन वर्करों के पास चुनाव के 15 दिन बाद भी फोन तो दूर मैसेज तक नही पहुंचा है जबकि वे हर चुनाव में तैयार रहते हैं। ऐसे लोगों की संख्या सैकड़ों में है जो हजारों में वोटों का इजाफा रखने की ताकत रखते हैं। कोई सूचना नही मिलने पर वे भी अब चुप है। इसी तरह भाजपा प्रबंधन भी चेहरा देखकर बना हुआ है। यहा भाजपा प्रत्याशी लक्ष्मण यादव को चुनाव प्रचार में खुद को होश नही है । उनके पीछे से जिम्मेदारी संभालने वालों में अधिकांश भ्रम में है की सबकुछ सामान्य चल रहा है। भाजपा संगठन है सबकुछ योजना के तहत चलता है। बाहर से कोई हवा आएगी और जीताकर चंडीगढ़ ले आएगी। जबकि हकीकत में चुनाव पूरी तरह से उम्मीदवार के व्यवहार, तौर तरीको ओर छवि के साथ साथ प्रबंधन पर टिका हुआ है। कैसे एक एक व्यक़्ति को निजी तौर पर संपर्क कर अपने विश्वास में लेना है। यहा भी बड़े स्तर पर खामियां है। कुछ ऐसे लोगों के पास कमान है जिसका शहर के सामाजिक भाईचारे से कोई संपर्क नही रहा जबकि सबसे ज्यादा समर्थक ओर टीम भाजपा के पास है। कोई इस बात के लिए चुप है की उन्हें कोई पूछ नही रहा। कोई इसलिए सक्रिय नही है की कुछ लोग ही चौधरी बने हुए हैं। जिम्मेदारी सही तरीके से नही दी जा रही है। कुल मिलाकर इन छोटी छोटी वजहों से भी हार जीत पर इसका असर पड़ता नजर आ रहा है। आम आदमी पार्टी की प्रबंधन नीति भी इसी तरह की है। उम्मीदवार सतीश यादव अपने दम पर ही अलग अलग माध्यमों से संपर्क को मजबूत किए हुए हैं। उनके पास भी पुरानी साथियों की टीम में अधिकांश इस बार साथ नही है। जिसकी वजह से उनके पास भी चुनावी मौसम में मौका परस्त वाले ज्यादा समझने व जानने वाले कम है।