सिखों की जमीन पर है रायसीना हिल, गुरुद्वारा है मालिक; सिख इतिहासकार का रोचक दावा
Delhi Raisina Hill Controversy: सिख इतिहासकार तरलोचन सिंह का दावा—राष्ट्रपति भवन वाली जमीन गुरुद्वारा रकाबगंज की है। महाराजा रणजीत सिंह के योगदान पर भी जताया मलाल।
नई दिल्ली।
अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व चेयरपर्सन और वरिष्ठ सिख इतिहासकार सरदार तरलोचन सिंह ने एक बड़ा दावा किया है। उन्होंने कहा कि जिस रायसीना हिल पर आज राष्ट्रपति भवन खड़ा है, वह जमीन गुरुद्वारा रकाबगंज से जुड़ी हुई है और उसका मालिकाना हक गुरुद्वारे का है।
एएनआई (ANI) के साथ एक पॉडकास्ट में तरलोचन सिंह ने कहा—“ये जो संसद भवन के बाहर गुरुद्वारा रकाबगंज है, उसी की जमीन है। रायसीना हिल का मालिक गुरुद्वारा है और वह जमीन भी सिखों की है। उसे बनाने वाले भी सिख ही हैं। दिल्ली को बनाने में सिखों का बड़ा योगदान रहा है। यह पढ़ने और जानने की जरूरत है कि आखिर दिल्ली बनी कैसे।”
महाराजा रणजीत सिंह पर मलाल
तरलोचन सिंह ने भारतीय इतिहास की किताबों पर सवाल उठाते हुए कहा कि किसी भी भारतीय किताब में महाराजा रणजीत सिंह पर कोई चैप्टर नहीं है। उन्होंने कहा—“यह हमारा मलाल है कि किसी किताब में यह नहीं बताया जाता कि महाराजा रणजीत सिंह कौन थे। देश के लोगों को उनके बारे में जानकारी मिलनी चाहिए थी।”
खालिस्तानी रेफरेंडम पर बयान
तरलोचन सिंह ने विदेशों में सक्रिय खालिस्तानी समर्थकों को भी नसीहत दी। उन्होंने कहा कि कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन जैसे देशों में सिख डायस्पोरा रेफरेंडम की मांग करता है, लेकिन यह गलत है।
उन्होंने कहा—“हमारा फैसला हम ही ले सकते हैं। बाहर बैठे लोग कैसे तय करेंगे? कनाडा में रेफरेंडम से कुछ नहीं होगा। अगर वे सचमुच पंजाब के लिए कुछ करना चाहते हैं तो यहां आकर शिक्षा, स्वास्थ्य और उद्योग में निवेश करें। इससे पंजाब तरक्की करेगा।”
महाराजा रणजीत सिंह का सच्चा सेकुलरिज्म
इतिहासकार तरलोचन सिंह ने महाराजा रणजीत सिंह की धार्मिक नीति को सच्चा सेकुलरिज्म बताया। उन्होंने कहा—
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अमृतसर के हरमंदिर साहिब में जितना सोना लगाया गया, उतना ही सोना लाहौर की सुनहरी मस्जिद और काशी विश्वनाथ मंदिर में लगाया गया।
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महाराजा रणजीत सिंह ने पुरी के जगन्नाथ मंदिर को कोहिनूर हीरा दान कर दिया था।
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उनके दौर में पंजाब सूबे की सीमाएं सबसे बड़ी थीं।
तरलोचन सिंह का कहना है कि यही था महाराजा रणजीत सिंह का असली सेकुलरिज्म, जिसे इतिहास में सही जगह नहीं दी गई।