– मुह खोले शहद टपकने का इंतजार करते चुनावी मौसमी पत्रकार
रणघोष खास. सुभाष चौधरी
रविवार को कांग्रेस सांसद दीपेंद्र हुडडा अपने साथी पूर्व सांसद राजबब्बर के साथ आरक्षित बावल विधानसभा में निकाली हरियाणा मांगे हिसाब पद यात्रा में शामिल हुए। यह पहले से तयशुदा आयोजन था। पहली बार इस सीट पर टिकट के दावेदारों की तादाद देखकर यह अनुमान लगाना मुश्किल हो रहा था की जिन्हें बावल का ठीक से रास्ता नही पता वे भी टिकट को लेकर सड़कों पर जोर अजमाइश करते हुए नजर आए। ऐसा लग रहा था की बावल में कांग्रेस शहद का वह छत्ता बन गई है जिसका पता चलते ही मधुमक्खियों का झुंड उस पर टूट पड़ा हो।
तीन महीने बाद हरियाणा में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं। लिहाजा सभी प्रमुख राजनीतिक दल अपने अपने हिसाब से चंडीगढ़ का रास्ता तय करने की तैयारी में जुट गए हैं। कांग्रेस लोकसभा चुनाव में 10 में से 5 सीटे लेकर बेहद उत्साहित है। इसलिए टिकट के दावेदार विशेषतौर से कांग्रेस की कमान संभाल रहे हुडडा परिवार के इर्द गिर्द मधुमक्खी की तरह मंडराने लगे हैं। यही नजारा बावल में पद यात्रा में देखने को मिला। टिकट के दावेदारों में आधे से ज्यादा ऐसे नए चेहरे थे जिन्हें बावल के गांवों के नाम तो दूर रास्ता भी ठीक से नही पता। बस मनी एंड मसल पॉवर की राजनीति को अपनी ताकत बनाकर मैदान में कूद पड़े हैं। यहा की जनता भी हैरान है की चुनाव लड़ने वाले आखिर किस मकसद से उनके बीच में आए हैं। इन चेहरों में आधे से ज्यादा का तो उन्हें नाम भी ठीक से नही पता। टिकट एक को मिलनी है किस मापदंड से मिलेगी यह समय बताएगा। इतना जरूर है की जिसे नही मिलेगी क्या वह कांग्रेस के प्रति वफादारी निभाते हुए इसी तरह नजर आएगा। जिसकी संभावना बहुत कम नजर आ रही है। जाहिर है कांग्रेस में टिकट को लेकर जो उत्साह नजर आ रहा है वह टिकट का एलान होते ही बगावत और गुटबाजी में भी उसी अंदाज में नजर आएगा। कुल मिलाकर कांग्रेस जितनी जल्दी समय रहते अपने उम्मीदवार का एलान कर देगी वह काफी हद तक मजबूत स्थिति में बनी रहेगी नहीं तो पद यात्रा में नजर आ रही इस भीड़ को गुब्बारे में हवा की तरह मानिए जो कब निकल जाए किसी को पता नही चलेगा।
चुनाव में कांग्रेस घास की तरह नजर आ रहे पत्रकार
चुनाव नजदीक आते ही टिकट के दावेदारों की तरह मीडिया में भी पत्रकारों की तादाद कांग्रेस घास की तरह बेहिसाब नजर आने लगी है जिसमें यू टयूबर सबसे ज्यादा है जिसमें अधिकांश तो चुनाव के आस पास जन्म लेते हैं और संपन्न होते ही एकदम गायब हो जाते हैं। ये शहद के छत्तो यानि टिकट के दावेदारों केआस पास ही मडराते रहते हैं और हर समय अपना मुह खुला रखते हैं। क्या पता कब शहद टपक जाए।