पैकेज नही तो कवरेज नही, दावेदारी की दौड़ में भी नही रखा, जीतने के बाद अब समय मांग रहे हें..
रणघोष खास. महेंद्रगढ़. नारनौल
हरियाणा विधानसभा चुनाव में हर सीट पर हार जीत की अपनी कहानी रही है। बहुत सी वजहे रही हैं। इसमें दो सीटों पर चर्चा करना जरूरी है। नारनौल जहां से भाजपा के ओमप्रकाश यादव लगातार तीसरी बार और साथ लगती महेंद्रगढ़ सीट जहां से पहली बार भाजपा की टिकट पर मैदान में उतरे कंवर सिंह यादव विजयी हुए। दोनों उम्मीदवार ने पूरे चुनाव में मीडिया पैकेज या अन्य तरह की बाजारू पत्रकारिता से खुद को दूर रखा। इसी तरह सोशल मीडिया के लिए भी कोई व्यवस्था नही थी। यह चुनाव में दोनो के लिए आसान नही था। पैकेज नही दिए जाने पर मीडिया की नजर में चुनाव में जीत की दौड़ से बाहर थे। कोई कवरेज नही हुई उल्टा निगेटिव खबरों में इन्हें सबसे ऊपर रखा। चुनाव में खरपतवार की् तरह पैदा हुए और खुद को मीडिया बताकर इधर उधर से वसूली करने वालों का भी इन्होंने बखूबी सामना किया। इसलिए मीडिया के एग्जिट पोल में भी ये कही नजर नही आए। दोनो ही प्रत्याशियों ने बेहद साधारण तरीके से अपना प्रचार किया। लोगों से सीधा मिलना ओर अपनी बात करते हुए ये आगे बढ़ रहे थे। चुनाव में कोई फिजूल खर्ची या दिखावा उनकी सभाओं या अभियान में दूर तक नजर नही आया। नतीजा महेंद्रगढ़ से कंवर सिंह यादव ने एक साथ कई मोर्च पर लड़ते हुए गर्व करने वाली जीत हासिल की। उन्हें भाजपा में भीतरघात का सामना करना पड़ा। टिकट भी 20 दिन पहले मिली। कोई सहारा नही था। समर्थकों की अपनी टीम थी और कई सालों से माइक्रो लेवल पर किया गया कार्य ही उनकी असली चुनावी पूंजी थी जो अंतिम समय तक वही काम आईं। इसी तरह नारनौल से ओमप्रकाश यादव ने अपनी सादगी, सीधे सपाट व्यवहार और मिलनसार स्वभाव से पार्टी की जबरदस्त भीतरघात का सामना करते हुए अपने दम पर जीत दर्ज की। 2019 में भी वे इसी तरीके से जीते थे ओर मीडिया पैकेज जैसी बीमारियों को अपने से दूर रखा था। इसलिए इन दोनों उम्मीदवारों की यह जीत साबित करती है की चुनाव लड़ने के लिए मनी एंड मसल पावर की नही व्यक्तित्व ओर संस्कार होने भी जरूरी है।