RSS पर कर्नाटक में बैन लगाने की तैयारी? मल्लिकार्जुन खरगे के बेटे का लेटर बना वजह
कर्नाटक की राजनीति में नया विवाद खड़ा हो गया है। राज्य में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाने की चर्चा तेज हो गई है। इसकी शुरुआत तब हुई जब कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के बेटे और कर्नाटक के आईटी मंत्री प्रियांक खरगे ने मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को एक पत्र लिखा। इस पत्र में उन्होंने आरोप लगाया कि आरएसएस संविधान से इतर काम करता है और युवाओं को भड़काने का काम कर रहा है।
प्रियांक खरगे ने अपने पत्र में मांग की है कि राज्य सरकार आरएसएस की शाखाओं, बैठकों और सार्वजनिक कार्यक्रमों पर तत्काल रोक लगाए। उन्होंने कहा कि सरकारी और सहायता प्राप्त स्कूलों, खेल मैदानों और मंदिर परिसरों में आरएसएस की शाखाएं नहीं लगनी चाहिए। खरगे ने यह भी आरोप लगाया कि “आरएसएस अपनी गतिविधियों से नफरत फैलाने का काम कर रहा है और पुलिस से अनुमति लिए बिना लाठी लेकर जुलूस निकालना उसकी परंपरा बन चुकी है।”
इस पत्र के बाद मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने मुख्य सचिव शालिनी रजनीश को निर्देश दिया है कि पूरे मामले की जांच कर रिपोर्ट तैयार की जाए और जरूरत पड़ने पर आवश्यक कार्रवाई की जाए।
दूसरी ओर, भाजपा ने इस प्रस्ताव का कड़ा विरोध किया है। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बी.वाई. विजयेंद्र ने कहा कि “आरएसएस की बढ़ती लोकप्रियता कांग्रेस को हजम नहीं हो रही। अपनी विफलताओं से जनता का ध्यान भटकाने के लिए कांग्रेस सरकार नए विवाद पैदा कर रही है।” उन्होंने आगे कहा कि “देश के इतिहास में कभी ऐसा नहीं हुआ जब आरएसएस ने अनुशासनहीनता दिखाई हो। संघ हमेशा राष्ट्रहित में काम करता रहा है।”
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह विवाद कांग्रेस की आंतरिक राजनीति से भी जुड़ा हो सकता है, क्योंकि हाल ही में डिप्टी सीएम डी.के. शिवकुमार ने विधानसभा में आरएसएस की प्रार्थना पंक्तियां पढ़ी थीं और संघ की अनुशासनप्रियता की तारीफ की थी।
आरएसएस फिलहाल अपने 100वें स्थापना वर्ष का जश्न मना रहा है, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी हिस्सा लिया था और संगठन के सम्मान में डाक टिकट व स्मृति सिक्का जारी किया था। ऐसे समय में कर्नाटक में इस विवाद का उठना एक बड़ा राजनीतिक संदेश माना जा रहा है।