इस सीट का राजनीति मिजाज कुछ कह रहा है..

कोसली में भाजपा हवा में जगदीश यादव जमीन पर नजर आ रहे हैं


रणघोष खास. कोसली की कलम से

दक्षिण हरियाणा में कोसली ऐसी विधानसभा सीट है जिस पर चंडीगढ़- दिल्ली से राजनीति करने वालों की विशेष नजर रहती है। मौजूदा स्थिति में यहा भाजपा हवा में अपनी वापसी के तीर चला रही है वही कांग्रेस से राजनीति में तपते झुलसते और निखरते रहे पूर्व मंत्री जगदीश यादव जमीन पर मजबूत नजर आ रहे हैं।

जगदीश यादव की मजबूती इस बात में है की वे 28 सालों से कोसली की जमीन पर उस परिवार से टकराते आ रहे हैं जिनके सामने खड़े होने की हिम्मत जगदीश से शुरू होकर जगदीश पर ही खत्म हो जाती है। यह वो नेता है जिसने दक्षिण हरियाणा में लंबे समय तक एक परिवारवाद की राजनीति के खिलाफ डंका बजाए रखा और  संघर्ष की तमाम सीमाओं को पार करते हुए आज फिर मैदान में उसी जोश के साथ नजर आ रहा है। भाजपा ने जगदीश यादव को हराने का जिम्मा एक बार फिर केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह को सौंप दिया है। राव के पास अपनी 50 साल की सफल राजनीति का मूल मंत्र है जो चुनाव में सभी को हैरान करते हुए इस्तेमाल करते हैं। उन्होंने अनिल डहीना को यहा से भाजपा का उम्मीदवार बनाकर यह जता दिया  की राव की रणनीति को केवल राव ही भेद सकते हैं। इससे पहले उन्होंने 2014 में विक्रम यादव, 2019 में लक्ष्मण यादव पर इसका प्रयोग किया था। इस बार हालात काफी बदल चुके हैं। चार महीने पहले हुए लोकसभा चुनाव में जनता ने मोदी गारंटी के नशे में घूम रही भाजपा के होश ठिकाने लगा दिए थे। यहां से कांग्रेस उम्मीदवार दीपेंद्र हुडडा अपने दम पर ना केवल जीते साथ ही कोसली का दिल भी जीत लिया। लंबे समय बाद कांग्रेस ने यहा बढ़त हासिल की थी। जगदीश यादव कोसली में जमीनी स्तर पर दीपेंद्र वाली हैसियत रखते हैं इसलिए उनके जनसंपर्क  अभियान में गांव, चौपाल, गली मोहल्लों के मौजिज लोगों की मौजूदगी आशीर्वाद के तोर पर नजर आ रही है जिस पर कभी राव इंद्रजीत परिवार की मोहर लगती थी। राव का चुनाव में आकर कोसली को अपना घर बताना उसके बाद इस घर की सुध नही लेने की आवाज भाजपा को परेशान करने लगी है। कुल मिलाकर 16 सितंबर तक कोसली में कांग्रेस जमीन पर और भाजपा हवा में राव ओर भाजपा हाईकमान के तीर चला रही है वे आगे चलकर कहा लगेगे यह आने वाले दिनो में पता चल जाएगा।