भारत में पूर्ण चंद्र ग्रहण कब, कहां-कहां से आएगा नजर; क्यों कहते हैं इसे ब्लड मून

भारत में रविवार की रात आसमान में एक अनोखा नजारा देखने को मिलेगा। यह नजारा होगा पूर्ण चंद्र ग्रहण का, जिसे ब्लड मून भी कहा जाता है। यह साल 2022 के बाद भारत में दिखाई देने वाला सबसे लंबा पूर्ण चंद्र ग्रहण होगा। खगोलविदों के मुताबिक 27 जुलाई, 2018 के बाद यह पहली बार होगा जब देश के सभी हिस्सों से पूर्ण चंद्र ग्रहण देखा जा सकेगा। भारत के अलावा चीन में भी इसे देखा जा सकेगा। इसके अलावा अफ्रीका और पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया के पूर्वी तट से भी यह पूर्ण चंद्रग्रहण नजर आएगा। गौरतलब है कि चंद्र ग्रहण तब होता है जब पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा के बीच आ जाती है, जिससे उसकी छाया चंद्र सतह पर पड़ती है।

कितने बजे से होगी शुरुआत
ग्रहण की शुरुआत सात सितंबर को रात 8.58 बजे शुरू होगी। पूर्ण चंद्र ग्रहण रात 11.01 बजे से रात 12.23 बजे तक रहेगा और इसकी अवधि 82 मिनट की होगी। आंशिक चरण रात 1.26 बजे समाप्त होगा और ग्रहण सात सितंबर देर रात 2.25 बजे समाप्त होगा। जानकारी के मुताबिक भारत में अगली बार इतना लंबा चंद्र ग्रहण 31 दिसंबर, 2028 को देखने को मिलेगा। भारतीय खगोलीय सोसाइटी (एएसआई) की जनसंपर्क और शिक्षा समिति (पीओईसी) की अध्यक्ष और नेशनल सेंटर फॉर रेडियो एस्ट्रोफिजिक्स, पुणे में एसोसिएट प्रोफेसर दिव्या ओबेरॉय के मुताबिक ओबेरॉय ने बताया कि ग्रहण दुर्लभ होते हैं। यह हर पूर्णिमा या अमावस्या को नहीं होते, क्योंकि चंद्रमा की कक्षा सूर्य के चारों ओर पृथ्वी की कक्षा से लगभग पांच डिग्री झुकी हुई है।

कैसे देख सकते हैं
क्या चंद्र ग्रहण को नंगी आंखों से देखा जा सकता है? रतीय खगोल भौतिकी संस्थान में विज्ञान, संचार, जनसंपर्क और शिक्षा (स्कोप) अनुभाग के प्रमुख निरुज मोहन रामानुजम ने बताया कि सूर्य ग्रहण के विपरीत, पूर्ण चंद्र ग्रहण देखने के लिए किसी विशेष उपकरण की जरूरत नहीं होती है। इसे नंगी आंखों, दूरबीन या टेलीस्कोप से सुरक्षित रूप से देखा जा सकता है। आंशिक चंद्र ग्रहण सात सितंबर को रात 9.57 बजे से देखा जा सकता है।

इसलिए कहा जाता है ब्लड मून
चंद्र ग्रहण के दौरान चंद्रमा लाल रंग का दिखाई देता है क्योंकि इस पर पहुंचने वाली एकमात्र सूर्य की रोशनी पृथ्वी के वायुमंडल से परावर्तित और बिखरी हुई होती है। एएफपी ने उत्तरी आयरलैंड में क्वीन्स यूनिवर्सिटी बेलफास्ट के एक खगोलशास्त्री रयान मिलिगन के हवाले से यह जानकारी दी। उन्होंने आगे कहा कि नीली रोशनी लाल की तुलना में अधिक आसानी से बिखरती है, जिससे चंद्रमा ‘खूनी’ चमक के साथ दिखाई देता है। यूरोप और अफ्रीका में शाम को चंद्रमा के उदय के साथ थोड़ी देर के लिए आंशिक ग्रहण दिखाई देगा, जबकि अमेरिका में यह बिल्कुल नहीं दिखेगा।