रणघोष अपडेट. देशभर से
ब्रिटेन के आम चुनावों में कीर स्टारमर की लेबर पार्टी भारी जीत की ओर बढ़ रही है। हालाँकि, ऋषि सुनक ने अपनी सीट जीत ली है लेकिन आम चुनाव में लेबर पार्टी से हार स्वीकार कर ली है। उन्होंने इस हार के लिए ज़िम्मेदारी ली है। अब तक के चुनाव परिणाम से ऋषि सुनक की कंजर्वेटिव पार्टी को गंभीर झटका लगा है। चुनावी सर्वेक्षणों में पहले ही इस तरह के नतीजे आने की संभावना जताई गई थी। एग्जिट पोल में प्रधानमंत्री ऋषि सुनक की सत्तारूढ़ कंजर्वेटिव पार्टी की ऐतिहासिक हार की भविष्यवाणी की गई थी। अब जो परिणाम आ रहे हैं वे ब्रिटिश राजनीति में बड़े बदलाव को दिखा रहे हैं। शुक्रवार को ब्रिटेन के आम चुनाव के नतीजे आने के बाद कीर स्टारमर के नेतृत्व वाली विपक्षी लेबर पार्टी बेहद मज़बूत स्थिति में दिखाई दे रही है। कुछ देर पहले क़रीब साढ़े आठ बजे तक कीर स्टारमर के नेतृत्व में लेबर पार्टी 180 सीटों पर जीत के साथ 326 के बहुमत के निशान की ओर बढ़ रही थी, जबकि टोरीज़ सिर्फ़ 32 सीटों के साथ दूसरे स्थान पर थी। लिबरल डेमोक्रेट्स ने 21 सीटें हासिल कीं। जीत हासिल करने के लिए किसी भी पार्टी को 650 सदस्यीय हाउस ऑफ कॉमन्स में 326 सीटें जीतने की ज़रूरत है।एग़्जिट पोल में दिखाया गया कि लेबर 650 सीटों वाली संसद में 410 सीटें जीतेगी। उथल-पुथल और आर्थिक मंदी से जूझते हुए 14 साल तक सत्ता में रहने वाले कंजर्वेटिव (टोरीज़) को केवल 131 सीटें मिलने का अनुमान था, जो उनके इतिहास का सबसे खराब चुनावी प्रदर्शन था।
एग्जिट पोल संकेत देते हैं कि कीर स्टारमर अगले प्रधानमंत्री बन सकते हैं। सर्वे में संकेत दिए गए थे कि ऋषि सुनक अपनी संसदीय सीट खो सकते हैं, लेकिन वह जीत गए। एक सर्वेक्षण से पता चलता है कि रिचमंड नॉर्थलेर्टन निर्वाचन क्षेत्र में उनके 27,000-मजबूत बहुमत को पलटा जा सकता है। इस तरह के परिणाम की स्थिति में, वह आम चुनाव में अपनी सीट खोने वाले पहले प्रधानमंत्री होंगे। प्रधानमंत्री ऋषि सुनक द्वारा मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए आखिरी समय में की गई कोशिशें नाकाम हो गईं।मई में ऋषि सुनक ने अपनी ही पार्टी के कई लोगों को उस समय चौंका दिया था, जब उन्होंने चुनावों की घोषणा समय से पहले ही कर दी थी। तब भी जनमत सर्वेक्षणों में कंजरवेटिव पार्टी लेबर पार्टी से लगभग 20 अंकों से पीछे थी। उन्हें उम्मीद थी कि अंतर कम हो जाएगा, जैसा कि आमतौर पर ब्रिटिश चुनावों में देखा जाता है, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। कीर स्टारमर ने वित्तीय संकट के बाद ‘एक दशक के राष्ट्रीय नवीनीकरण’ का वादा किया है। लेकिन, उन्हें आगे कई चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।