चुनावी कवरेज को इस अंदाज से भी समझिए ओर पढ़िए

कोसली सीट की चुनावी शादी सबसे ज्यादा चर्चा बटोर रही है   


घुंघट उठाने पर टिकट को पता चला दुल्हा अनिल  निकला , वह पैनल वालों को अपना समझ रही थी


रणघोष खास. कोसली की कलम से

भाजपा के चुनावी पंडाल में दुल्हन (टिकट) के लिए योग्य दूल्हा तलाशन के लिए किए गए सर्वे बनाए गए पैनल को दरकिनार करते हुए ऐन वक्त पर भाजपा की टिकट दुल्हन को अपना बनाकर सभी को चौकाने वाले जिले के सबसे बड़े गांव डहीना के अनिल नाम के दूल्हे ने धमाकेदार तरीके से एंट्री की है। वे राजनीति बारात में ऐसे दूल्हे हैं जिसे सीधे घोड़ी पर बैठाकर हाथों हाथ टिकट नाम की दुल्हन से शादी करा दी। ना टिकट को पता था उसके दूल्हे का नाम अनिल है ओर ना अनिल को अहसास था की उसे इतनी जल्दी दुल्हन यानि टिकट मिल जाएगी। कमाल की बात यह है की टिकट के लिए जिन दुल्हों के नाम पैनल में थे वे अभी तक हैरान है की आखिर उनमें कमी क्या थी। अगर थी तो तो उन्हें लंबे समय तक टिकट दुल्हन से शादी कराने का भरोसा दिलाकर इतने दिनों तक पैनल में क्यों रखा। समय पर मना हो जाती तो कम से कम समाज में इज्जत बनी रहती और वे दूसरी दुल्हन (टिकट) की तलाश में लग जाते।  वे अब ऐसी स्थिति में भी नही रहे की अपनी बिरादरी यानि पार्टी की छोड़कर किसी अन्य घर ( अन्य राजनीतिक दल) की टिकट को दुल्हन बनाए। शादी के मुहुर्त में भी इतना समय नही बचा है। ऐसे में या तो उसे बिना दुल्हन निर्दलीय इस चुनावी शादी में कूद जाना चाहिए।  इसमें जोखिम ज्यादा है। पता चले की वे ना अपनी बिरादरी (अपनी पार्टी )  के रहे ओर ना ही भविष्य में दुल्हन मिलने की उम्मीद से भी गए।

देखा जाए तो चुनाव भी शादी की परपंरा की तरह संपन्न होता रहा है। अंतर इतना है की शादी में दुल्हे को पहले रिश्ता पक्का करने से लेकर मंगनी सगाई जेसी प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है। चुनावी शादी में भी मंगनी- सगाई अंदाज में पैनल बनते हैं लेकिन उसमें एक नही कई दुल्हे होते हैं। कौन दुल्हा बारात लेकर आएगा यह भी शादी के ऐन वक्त पर बताया जाता है।  शादी के समय ही घुंघट उठाते समय टिकट दुल्हन को पता चलता है की उसका दुल्हा कौन है।  कोसली की टिकट पर तो  अनिल डहीना ऐसे दुल्हे निकले जो पैनल में भी नही थे। ऐन वक्त पर पैराशूट से सीधे चुनावी शादी पंडाल में उतरकर  टिकट को अपना बना लिया। अब शादी में आगे की परंपरा को पूरा करने और  राजी खुशी जीत के साथ  संपन्न कराने की जिम्मेदारी केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह के ऊपर है। जो मौजूदा हालात में इतनी आसानी से पूरी होने वाली नही है। दरअसल शादी में कुछ दिन पहले जिन बारातियों को निमंत्रण दिया गया था उस समय पैनल में कई दुल्हे के नाम थे जिसमें अनिल का जिक्र तक नही था। शादी के पंडाल में पहुंचने के बाद पता चला की दुल्हा तो एकदम नया है जिसका बहुत से बारातियों ने नाम तक नही सुना था। ऐसे में अनिल को सबसे पहले पैनल वाले अपने दुल्हे साथियों को विश्वास में लेना होगा। अगर वे भी इस चुनावी शादी में राजी खुशी शामिल हो गए तो बारात धूम धड़ाके से दुल्हन को लेकर चली जाएगी। अगर रूठने वाला माहौल बना रहा तो दुल्हन ना इधर की रहेगी ना उधर की। ऐसे में अनिल डहीना के लिए दुल्हा बनना तो आसान हो गया लेकिन शादी में कोई विघ्न ना डाल दे इसे संभालना मुश्किल हो जाएगा। वजह पैनल में शामिल अन्य दूल्हे के दिल पर लगी चोट का है।