लेकसिटी उदयपुर के युवा व अंतर्राष्ट्रीय पतंगबाज अब्दुल कादिर ने 10 दिवसीय इंटरनेशनल काइट फेस्टिवल में मकर संक्रांति पर अहमदाबाद के साबरमती रिवर फ्रंट पर ‘जी 20 लोगो’ की 300 पतंगें एक डोर से उड़ाई. वहीं फेस्टिवल के दौरान कच्छ में उड़ाई गई ‘आई लव उदयपुर’ स्लोगन लिखी काइट छाई रही. अंतर्राष्ट्रीय पतंगबाज अब्दुल कादिर जून माह में ‘निर्जला एकादशी’ पर उदयपुर में भी ‘आई लव उदयपुर’ स्लोगन की पतंग उड़ाकर लेकसिटी की शान बढ़ाएंगे.
लेकसिटी के पतंगबाज अब्दुल कादिर ने बताया कि उन्होंने कच्छ रण में ‘आई लव उदयपुर’ स्लोगन लिखी काइट उड़ाई जो फेस्टिवल में छाई रही. इस काइट की लंबाई 15 फीट व चौड़ाई 4 फीट है. शनिवार को मकर संक्रांति पर्व पर इस फेस्टिवल का आयोजन अहमदाबाद के साबरमती रिवर फ्रंट पर हुआ, जहां उन्होंने 300 पतंगें एक डोर पर ‘जी-20 स्लोगन’ के साथ उड़ाईं. पतंगबाजी की इस कला को सराहते हुए उन्हें अवार्ड से सम्मानित किया गया.
हिंदु-मुस्लिम एकता की एक हजार पतंगें उड़ाईं
कादिर प्रतिवर्ष इस पतंगबाजी की कला का प्रदर्शन फतेहसागर झील के रानी रोड छोर पर करते हैं. लेकिन इस बार गुजरात में हो रहे इंटरनेशनल काइट फेस्टिवल में जाने की वजह से वह यहां पतंगबाजी नहीं दिखा पाए. कादिर अब तक उदयपुर में एक डोर पर ‘हिंदु-मुस्लिम एकता’ स्लोगन लिखी 1000 पतंगें उड़ा चुके हैं. वहीं कोरोना काल के दौरान भी उन्होंने ‘कोरोना से बचाव, मास्क लगाने आदि के स्लोगन लिखी 700 व 500 पतंगें एक डोर से उड़ाई थीं.
80 किलो तक भार वहन कर सकती है डोर
कादिर अपनी पतंगों को उड़ाने के लिए रेशम की डोर उपयोग में लेते हैं, जो 5 एमएम मोटाई की होती है और 50 से 80 किलो तक का भार वहन कर सकती है. कादिर ने पतंगबाजी का शौक रखने वालों से अपील की है कि वे पक्षियों का ख्याल रखें और पतंग उड़ाने में चाइनीज मांझे का प्रयोग न करें. चाइनीज मांझे के प्रयोग से पक्षी गंभीर रूप से घायल हो जाते हैं. हालांकि राजस्थान सरकार ने मकर संक्रांति के मौके पर चाइनीज मांझे की बिक्री और खरीद पर पाबंदी लगा रखी थी.