किसान नेताओं के खि़लाफ़ लुकआऊट नोटिस जारी करना पूरी तरह गलत-कैप्टन अमरिन्दर सिंह

किसान नेताओं को लुकआऊट नोटिस जारी किए जाने को पूर्ण तौर पर ग़लत करार देते हुए पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा कि किसानों के प्रति मुल्क छोड़ जाने का डर प्रकट करना न सिफऱ् तर्कहीन है, बल्कि निंदनीय भी है। मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘यह किसान नेता कहाँ भाग जाएंगे?’’ उन्होंने कहा कि बहुत से किसान कम ज़मीन वाले छोटी किसानी से जुड़े हैं, न कि विजय माल्या, नीरव मोदी, ललित मोदी या मेहुल चौकसी जैसे बड़े कॉर्पोरेट भगौड़े हैं, जो मुल्क का अरबों रूपया लूटने के बाद पिछले कुछ सालों से देश से भाग गए थे। कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा, ‘‘आप इन बड़े भगौडों पर हाथ डालने में तो नाकाम रहे, परन्तु अब अपनी होंद की लड़ाई लड़ रहे किसानों को निशाना बना रहे हो।’’ उन्होंने केंद्र सरकार से अपील की कि लुकआऊट नोटिस वापस लेने के लिए तुरंत दिल्ली पुलिस को आदेश जारी किए जाएँ। मुख्यमंत्री ने गणतंत्र दिवस के मौके पर हुई हिंसा में किसानों के खि़लाफ़ बिना कोई सुबूत के एफ.आई.आर्ज़ में किसान नेताओं का नाम शामिल करने के लिए दिल्ली पुलिस के फ़ैसले पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा, ‘‘एक अलग हुए पक्ष या कुछ असामाजिक तत्वों जिन्होंने लाल किले और राष्ट्रीय राजधानी के अन्य हिस्सों में हिंसा को उकसाया, द्वारा की गई हिंसा के लिए आप सभी किसान नेताओं को कुसूरवार कैसे ठहरा सकते हो?’’मुख्यमंत्री ने अपनी माँग को फिर दोहराते हुए कहा कि दिल्ली पुलिस द्वारा किसानों के संघर्ष को कमज़ोर करने के लिए हिंसा की आड़ में किसान नेताओं को तंग परेशान नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि एफ.आई.आर्ज़ में जिन प्रमुख किसान नेताओं के नाम शामिल किए गए हैं, वह सभी नेता तो पहले ही 26 जनवरी को हिंसा की घटी घटना के लिए अपने आप को अलग कर चुके हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि इन नेताओं में से एक भी नेता अभी तक कोई भी भडक़ाऊ भाषण देता हुआ या ऐसी गतिविधियों में शामिल होता सुना या देखा नहीं गया। उन्होंने कहा कि यदि पुलिस के पास इन नेताओं में से किसी एक के भी हिंसा में शामिल होने का कोई सुबूत है तो उसे सार्वजनिक किया जाना चाहिए। कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने केंद्र सरकार को 26 जनवरी की घटनाओं की निष्पक्ष जाँच को यकीनी बनाने की अपील की, जिससे गुनाहगारों की पहचान कर उनके खि़लाफ़ सख़्त कार्यवाही की जा सके। उन्होंने कहा कि किसान नेताओं को निशाना बनाना न तो न्यायपूर्ण है और न ही शोभा देता है।

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