केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे आंदोलन के बीच राष्ट्रीय जांच एजेंसी(एनआईए) ने पंजाब के अमृतसर के एक सामाजिक संगठन और लुधियाना के तीन कारोबारियों पर देश द्रोह का आरोप लगाते हुए तलब किया है। अमृतसर की लोक भलाई इंसाफ वेलफेयर सोसाइटी के अध्यक्ष बलदेव सिंह सिरसा को तलब करते हुए एनआईए ने कहा है कि सरकार के साथ नए कृषि कानूनों पर बातचीत में भाग लेने वाली किसान यूनियनों में से एक है। इस यूनियन के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। आरोप है कि इस कथित किसान यूनियन को अमेरिका में सक्रिय खालिस्तानी आतंकी संगठन सिख फॅार जस्टिस(एसएफजे)का समर्थन है। खालिस्तानी समर्थक गुरवंत सिंह पन्नू द्वारा संचालित एसएफजे भारत में किसान आंदोलन के लिए फंडिग भी कर रहा है। लोक भलाई इंसाफ वेलफेयर सोसाइटी के अध्यक्ष बलदेव सिंह सिरसा को 17 जनवरी को एनआईए मुख्यालय,दिल्ली में एसएफजे के प्रमुख गुरवपंत सिंह पन्नू के खिलाफ एक मामले में पूछताछ के लिए उपस्थित होने के लिए कहा गया है। पन्नू पर आरोप है कि खालिस्तान के नाम पर वह भारत खासकर पंजाब में “भय और अराजकता का माहौल” पैदा कर भारत सरकार के खिलाफ विद्रोह बढ़ा रहा है। इधर दिल्ली आंदोलन में जाने वाले किसानों को बस सेवा देने वाले लुधियाना के तीन ट्रांसपोर्ट कारोबारियों को भी एनएआई ने देश द्रोह का आरोप लगाते हुए पूछताछ के लिए तलब किया है। इन कारोबारियों को व्हाटसएप पर एनआईए की ओर से समन भेजे गए हैं। एनएआई का समन पाने वाले ननकाना बस सर्विस के संचालक इंदरपाल सिंह जज के मुताबिक उनकी ट्रांसपोर्ट कंपनी ने दिल्ली किसान आंदोलन के लिए जाने वाले किसानों को रियायती दरों पर बस सेवा दी थी इससे ज्यादा उन्हें आंदोलन बारे कोई जानकारी नहीं। इंदरपाल का कहना है कि उन्होंने ऐसा कोई काम नहीं किया है जिसके लिए उन पर देशद्रोह का आरोप लगाकर एनआईए ने तलब किया है। लुधियाना के शिमलापुरी के नट बोल्ट कारोबारी नरेश कुमार को भी 18 जनवरी को तलब किया है। नरेश का कहना है कि एक दोस्त जसपाल सिंह के साथ मिलकर उसने आंदोलनकारी किसानों के दिल्ली जाने का बस की व्यवस्था की थी इस पर ही उन्हें और उनके दोस्त को देशद्रोही बता तलब किया गया है। इंडियन एक्सप्रेस में छपी एक खबर मुताबिक लोक भलाई इंसाफ वेलफेयर सोसाइटी के अध्यक्ष बलदेव सिंह सिरसा ने एनएआई के समन पर प्रतिक्रिया में कहा कि केंद्र ने किसानों के आंदोलन को पहले सुप्रीम कोर्ट और अब एनएआई का दुरुपयोग कर पटरी से उतारने की कोशिश की है। अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने भी सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि दिल्ली के बाहरी इलाकों में चल रहे किसानों के विरोध प्रदर्शन में सरकार को खालिस्तानी घुसपैठ होने की सूचना मिली है”। सिरसा उन कई व्यक्तियों में से एक है जिन्हें आईपीसी की विभिन्न धाराओं और गैरकानूनी गतिविधियों (रोकथाम) अधिनियम के तहत पन्नू के खिलाफ 15 दिसंबर को दर्ज देशद्रोह के मामले से संबंधित कुछ सवालों के जवाब देने के उद्देश्य से समन जारी किया गया है। बलदेव सिंह सिरसा का कहना है कि “कई लोग जो किसान आंदोलन से जुड़े हैं उन्हें ये सम्मन भेजे गए हैं। यह किसानों की भलाई के लिए काम करने वालों को आतंकित करना है। लेकिन हम इससे प्रभावित होने वाले नहीं हैं। हम नहीं झुकेंगे। 26 जनवरी को किसान परेड में किसान शामिल न हों इसलिए एनएआई दबाव बना रही है”। सिख फॉर जस्टिस के प्रमुख गुरवंत सिंह पन्नू पर दर्ज मामले में एनआईए की एफआईआर में “सिखों के लिए न्याय, एक गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम, 1967, और अन्य खालिस्तानी आतंकवादी संगठनों” के तहत एक साजिश करने का आरोप लगाया गया है। गुरवंत पन्नू पर दर्ज एफआईआर में दावा किया गया है कि “ अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, जर्मनी अन्य देशों में भारतीय हाई कमिशनों के कार्यालयों के बाहर प्रदर्शन के अलावा भारत सरकार के खिलाफ अभियान और प्रचार के लिए विदेशों में भारी धन एकत्र किया जा रहा है”। एफआईआर में दावा किया गया है कि एकत्र किए गए धन को गैर-सरकारी संगठनों के माध्यम से भारत में स्थित खालिस्तानी तत्वों को आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए भेजा जा रहा है। एफआईआर के अनुसार, “सिख फॉर जस्टिस के नेतृत्व ने सरकारी और निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के उद्देश्य से बड़े पैमाने पर विघटनकारी गतिविधियों की योजना बनाई है। लगातार सोशल मीडिया अभियान के माध्यम से सिख फॉर जस्टिस एक अलग खालिस्तान राष्ट्र के निर्माण के लिए आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ावा देने पर जोर दे रहा है।