ट्विटर और भारत सरकार के बीच चल रहे संग्राम के बीच सरकार ने कहा है कि अमेरिका के कैपिटल हिल में हुई हिंसा और गणतंत्र दिवस के दिन लाल क़िले पर हुई हिंसा के मामले में ट्विटर का रूख़ अलग है। आईटी मंत्रालय और ट्विटर के अफ़सरों के बीच बुधवार को दो घंटे तक चली वर्चुअल बैठक में सरकार की ओर से कहा गया कि ट्विटर ऐसे लोगों के पक्ष में है जो अभिव्यक्ति की आज़ादी का दुरुपयोग करते हैं और सरकार के आदेशों के ख़िलाफ़ अशांति का माहौल बनाते हैं। बैठक में ट्विटर के अफ़सरों के सामने farmer genocide वाले हैशटैग के इस्तेमाल का मुद्दा सरकार की ओर से रखा गया। सरकार के इस बारे में आदेश देने के बाद भी जिस तरह की कार्रवाई ट्विटर ने की, उसे लेकर नाराज़गी जताई गई। बैठक में क्या बातचीत हुई, सरकार की ओर से इस बारे में बयान जारी किया गया है। 4 फरवरी को आईटी मंत्रालय की ओर से ट्विटर को 1178 अकाउंट्स की सूची भेजी गई थी और कहा गया था कि इन्हें भारत में सस्पेंड या ब्लॉक किया जाए। सुरक्षा एजेंसियों ने इन अकाउंट्स के बारे में कहा था कि ये या तो खालिस्तान के समर्थक हैं या फिर पाकिस्तान के। लेकिन ट्विटर ने कहा था कि वह पूरी दुनिया में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मौलिक आधिकार की रक्षा करता रहेगा। ट्विटर ने कहा था कि भारत के क़ानूनों के अनुसार, इन अकाउंट्स को बंद करना मौलिक अधिकारों का हनन होगा। सरकार की नाराज़गी इसी को लेकर थी।