रणघोष अपडेट. रविकांत पारिक यूअर स्टोरी से
पिछले तीन वर्षों में विदेशों से भारत भेजे गए 55,600 करोड़ से अधिक के योगदान में से देश की राजधानी दिल्ली के एनजीओ को सबसे अधिक विदेशी धन प्राप्त हुआ, इसके बाद कर्नाटक, महाराष्ट्र और तमिलनाडु के एनजीओ का स्थान रहा. केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने कहा कि विदेशी योगदान (विनियमन) अधिनियम 2010 के अनुसार, विदेशी योगदान प्राप्त करने वाले प्रत्येक गैर-सरकारी संगठन को आय और व्यय विवरण, प्राप्ति और भुगतान खाते और प्रत्येक वित्तीय वर्ष के लिए बैलेंस शीट के साथ वार्षिक रिटर्न जमा करना होता है. समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, उन्होंने कहा कि 2019-20, 2020-21 और 2021-22 के दौरान कुल 55,645.08 करोड़ भारतीय एनजीओ को विदेशी योगदान के रूप में प्राप्त हुए. उन्होंने एक लिखित प्रश्न के उत्तर में कहा, “इनमें से, दिल्ली को इन तीन वित्तीय वर्षों में 14,062.77 करोड़ रुपये, कर्नाटक को 7,241.32 करोड़ रुपये, महाराष्ट्र को 5,606.01 करोड़ रुपये और तमिलनाडु को 6,804.07 करोड़ रुपये मिले.” देश के सभी एनजीओ को 2019-20 में 16,359.48 करोड़ रुपये, 2020-21 में 17,166.34 करोड़ रुपये और 2021-22 में 22,119.26 करोड़ रुपये मिले. मंत्री ने कहा कि 2020 से 2022 और चालू वर्ष के बीच, अधिनियम के प्रावधानों के उल्लंघन के लिए 1,828 एनजीओ का एफसीआरए पंजीकरण प्रमाणपत्र रद्द कर दिया गया है. अधिकारियों ने कहा कि 10 मार्च, 2023 तक देश में 16,383 एफसीआरए-पंजीकृत संगठन थे. इस बीच, महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा कि राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग को यह सूचित किया गया है कि एनजीओ नाबालिग बच्चों की तस्वीरों का उपयोग करके धन जुटा रहे हैं. ईरानी ने एक लिखित जवाब में कहा, “इसके अलावा, यह हाल ही में इस मंत्रालय के संज्ञान में आया था कि एक प्रसिद्ध एनजीओ ‘सेव द चिल्ड्रन’ इलेक्ट्रॉनिक और सोशल मीडिया पर नियमित रूप से विज्ञापन कर रहा था, जिससे आदिवासी बच्चों में कुपोषण की चुनौती से निपटने के लिए आम जनता से प्रति माह 800 रुपये की मांग की जा रही थी.” उन्होंने कहा कि एनजीओ की ऐसी गतिविधियां किशोर न्याय अधिनियम, 2015 की धारा 74 और 75 और पॉक्सो अधिनियम, 2012 की धारा 23 का भी उल्लंघन करती हैं. इससे पहले, अक्टूबर, 2021 में NGO को विदेशी फंडिंग के मामले में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामे में कहा कि किसी भी NGO को विदेश से धन प्राप्त करने का मौलिक अधिकार नहीं है. सरकार ने कहा गैर-सरकारी संगठनों को विदेशी धन के चेन-ट्रांसफर बिजनेस बनाने से रोकने के लिए FCRA के प्रावधान बनाए गए हैं. संशोधित कानून केवल भारत में अन्य व्यक्तियों/ गैर सरकारी संगठनों को मिले विदेशी योगदान के ट्रांसफर को प्रतिबंधित करता है. NGO को इसका उपयोग उन उद्देश्यों के लिए करना होगा जिसके लिए उसे पंजीकरण का प्रमाण पत्र या सरकार द्वारा पूर्व अनुमति दी गई है.