देश में अघोषित आपातकाल लगने से दमनकारी कार्य नीतियों से देश का हर वर्ग दु:खी- राव अर्जुन सिंह

देश की सरकार देश के नागरिकों पर कहर ढ़ा रही हैराव अर्जुन

इंटरनेट आदि को बंद करने के साथ किसान, विद्यार्थी, पत्रकारों को जेल में डाला जा रहा है


अटेली अनाज मंडी में गुरुवार दोपहर बाद किसान सम्मेलन का आयोजन किया गया। सम्मेलन में कांग्रेसी नेता राव अर्जुन बतौर मुख्य अतिथि के रूप में पहुंच कर किसानों से रूबरू  हुए। सम्मेलन में केंद्र सरकार द्वारा पारित तीनों कृषि कानूनों के विरोध में प्रस्ताव पारित किय। पारित प्रस्ताव में कानून को तीनों कानूनों को निरस्त करने के साथ किसानों पर दर्ज झूठे मुक्कदमों को वापिस लेने सहित केंद्रीय बजट में मनरेगा व कृषि के  लिए कम आबंटित राशि पर विरोध प्रस्ताव पारित किये। आगामी 6 फरवरी को किसान संगठनों के आह्वान पर चक्का जाम को समर्थन देने की बात कही गई। किसान इतने लंबे  वक्त व विपरित समय में आंदोलन कर रहे है लेकिन सरकार अंग्रेज से भी सख्त बनी हुई हैं। प्रतिरोध को दमन किया जा रहा है, आंदोलन के दौरान 165 के करीब किसान शहीद हो चुके हैं। पिछले 77 दिनों से आंदोलनरत है सिंघु, टिकरी, गाजीपुर आदि बॉर्डर पर आंदोलन को तानाशाही तरीके से खत्म करने के लिए सडक़ो को कील, कटीले तार आदि लगा कर उन पर कुठाराघात किया जा रहा हैं। देश में अघोषितकाल आपातकाल चल रहा है, देश में इंटरनेट को बंद कर दिया हैं। देश के अन्नदाता व किसानों को खालिस्तानी कहा जा रहा है, पत्रकारों को जेल में डाल जा रहा हैं। जब से देश में भाजपा की सरकार आयी है तब से देश का हर वर्ग दु:खी हो कर सडक़ो पर आ कर अपना भारी विरोध कर चुके हैं। दलित वर्ग के लोग भी अप्रैल 2019 में सडक़ो पर प्रदर्शन कर सरकार के  निर्णयों को लेकर रोष प्रकट कर चुके हैं। सरकार की नीतियों का अगर बुद्धिजीव विरोध करते है तो उन्हें अर्बन नक्सली कहा जाता हैं तथा मुस्लिम विरोध करते है तो उन्हे पाकिस्तानी के नाम से संज्ञा देते है, किसानों को खालिस्तानी कह रहे है। सरकार की इन नीतियों के चलते देश मेें अस्थिरता बनने से देश में माहौल बिगड़ता जा रहा हैं। देश के अनेकता में एकता के ताने-बाने का तोड़ा जा रहा हैं। कांग्रेसी नेता राव अर्जुन सिंह ने कहा कि कोरोना काल में सब कु छ बंद था उस समय नरेंद्र मोदी सरकार ने कोरोना महामारी रोक ने की बजाय 5 जून 2020 को अध्यादेश से इन 3 कृषि बिलों को 20 सितंबर को सत्ता की धौंसपट्टी में बिलों को पारित करवा दिया। इन बिलों पर न तो सुझाव, संशोधन स्वीकार किये तथा ना ही सिलेक्ट कमेटी को सांैपने की बात स्वीकारी तथा राज्य सभा में विवादित तरीके से बिना वोटिंग से पास करवा दिये। उसके  बाद देश से लगातार इन काले कृषि कानूनों के विरोध में किसान व किसान संगठन शांति पूर्वक तरीके से आंदोलनरत हैं लेकिन सरकार मूकदर्शक बनी हुई है। 26 जनवरी को किसान टै्रक्टर रैली में आंदोलन को खराब करने के लिए लाल किले पर तिरंगे का अपमान क रवाने के लिए भाजपा जनता के सामने एक्सपोज हो चुकी हैं। लाल किले पर तिंरगे का अपमान करने वाले प्रधानमंत्री व केंद्रीय गृह मंत्री के  साथ उनक संबध जगजाहिर हो चुके हैं। किसान आंदोलन आजाद भारत का सबसे बड़ा आंदोलन इतिहास में दर्ज हो चुका है तथा यह आंदोलन अब जन आंदोलन में तब्दील हो चुका हैंं। इस मौके पर रामपत फोरेस्टर, जयसिंह सरपंच, कृष्ण राजपुरा, अनिल फांडन, सुनिल एडवोकेट, हेमंत, विरेंद्र लांबा, ओमप्रकाश तिगरा, संदीप सुरानी, मनीष कुमार, अमर कुमार, नरेंद्र सहित अनेक गणमान्य लोग मौजूद रहे।

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