रणघोष खास. एक भारतीय की कलम से
जितनी जल्दी यह भ्रम निकाल देंगे सत्ता के हुक्मरान आपकी चिंता कर रहे है, काफी हद तक आने वाली मुश्किलों से बच जाएंगे। यह संकट पैदा करने वाली मशीन, जिसे हम अपनी सरकार कहते हैं। हमें इस तबाही से निकाल पाने के क़ाबिल नहीं है। ख़ासकर इसलिए कि सरकार में जब भी कोई अकेले फ़ैसले करता है, वो ख़तरनाक है। स्थितियां बेशक संभलेंगी, लेकिन हम नहीं जानते कि उसे देखने के लिए हममें से कौन बचा रहेगा। पिछले कुछ सालों में धर्म-जाति के नाम पर चुनाव में एक नारे ने जोर पकड़ा था जो आज एक डरावनी गूंज बन गई है। गांव में अगर कब्रिस्तान बनता है तो गांव में श्मशान भी बनना चाहिए। बधाई हो शायद आज वे अब खुश हों कि भारत के श्मशानों से सामूहिक अंतिम संस्कारों से उठती लपटों की तकलीफदेह तस्वीरें अंतरराष्ट्रीय अखबारों के पहले पन्ने पर आ रही हैं। और देश के सारे कब्रिस्तान और श्मशान ढंग से काम कर रहे हैं, अपनी-अपनी आबादियों के सीधे अनुपात में और अपनी क्षमताओं से कहीं ज्यादा। ‘क्या 1.3 अरब आबादी वाले भारत को अलग-थलग किया जा सकता है?’ यह खुद से पूछे जाने वाले सवालनुमा बात द वाशिंगटन पोस्ट ने हाल में अपने एक संपादकीय में कही, जो भारत की फैलती जा रही तबाही और नए, तेजी से फैलने वाले कोविड वेरिएंट को राष्ट्रीय सीमाओं में सीमित करने की मुश्किलों के बारे में था।‘आसानी से नहीं,’ इसका जवाब था. इसकी बहुत कम संभावना है। सोचिए जब कोरोना वायरस महज कुछ महीनों पहले ब्रिटेन और यूरोप में तबाही मचा रहा था। उस समय हमारे हुक्मरानों ने चिल्ला चिल्लाकर कहा था कि जिस देश में विश्व की 18% आबादी रहती हो उस देश ने कोरोना पर प्रभावी नियंत्रण करके पूरी दुनिया को मानवता को बड़ी त्रासदी से भी बचाया है। सिर्फ तारीफ बटोरेने के लिए हमारे नेताओं ने आज देश को तबाही के मंजर पर खड़ा कर दिया है। सोचिए शुरूआती चरण में जिस देशों में कोरोना तबाही मचा रहा था आज उन्होंने भारत की सीमाएं बंद कर दी हैं और फ्लाइटें रद्द की जा रही हैं? । हमें अपने वायरस और अपने हुक्मरान के साथ सीलबंद किया जा रहा है। कोरोना वायरस एक अंतरराष्ट्रीय समस्या है. इससे निबटने के लिए, कम से कम महामारी के नियंत्रण और प्रशासन के लिए, फैसले लेने का काम एक किस्म की गैर दलगत संस्था के हाथों में जाना होगा जिसमें सत्ताधारी दल के सदस्य, विपक्ष के सदस्य और स्वास्थ्य और सार्वजनिक नीतियों के विशेषज्ञ शामिल हों। जिस हुक्मरान के लिए एक 56.4 करोड़ डॉलर का एक बोईंग 777, एयर इंडिया वन का जहाज एक वीवीआईपी सफर के लिए, तैयार किया गया है। उन्हें समझ लेना चाहिए वह फिलहाल रनवे पर बेकार खड़ा है. वे और उनके आदमी बस छोड़कर चले जा सकते हैं। बाकी के हम लोग उनकी गड़बड़ियों को ठीक करने के लिए जो कुछ हो सकेगा करेंगे। इसलिए खुद पर भरोसा करें। यही सोच ही हमें इस वायरस से बचा पाएगी।