रणघोष अपडेट. देशभर से
मंगलवार देर रात आए भूकंप से अफगानिस्तान और पाकिस्तान के कई शहरों में जानमाल का भारी नुकसान हुआ है। हालांकि भूकंप का असर भारत में भी हुआ। भारत के कई शहरों में दहशत फैली और बहुमंजिला बिल्डिंगों में रहने वाले लोग नीचे उतर आए। दिल्ली एनसीआर के शहरों नोएडा, गाजियाबाद, गुड़गांव और फरीदाबाद में लोगों की भीड़ रात में अपने अपार्टमेंट में नीचे नजर आई। लेकिन पाकिस्तान और अफगानिस्तान के कई शहरों में नजारा इससे अलग था। पाकिस्तान मीडिया ने बताया कि मंगलवार को पाकिस्तान के कुछ हिस्सों में 6.8 तीव्रता का भूकंप आया, जिसमें 13 लोगों की मौत हो गई और 160 से अधिक लोग घायल हो गए। इन 13 में 4 मौतें अफगानिस्तान की शामिल हैं।
पाकिस्तान के मौसम विभाग के अनुसार, भूकंप का केंद्र अफगानिस्तान का हिंदू कुश क्षेत्र था, जबकि इसकी गहराई 180 किलोमीटर थी। भूकंप के झटके लाहौर, इस्लामाबाद, रावलपिंडी, क्वेटा, पेशावर, कोहाट, लक्की मरवत और देश के अन्य इलाकों में महसूस किए गए। स्थानीय मीडिया ने बताया कि गुजरांवाला, गुजरात, सियालकोट, कोट मोमिन, मढ़ रांझा, चकवाल, कोहाट और गिलगित-बाल्टिस्तान इलाकों में भी भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए। टीवी फुटेज में दिखाया गया है कि दहशत में लोग सड़कों पर निकल आए हैं। जियो न्यूज की एक रिपोर्ट के अनुसार, अधिकारियों ने कहा कि भूकंप में दो महिलाओं सहित 11 लोगों की मौत हो गई और 160 से अधिक लोग घायल हो गए, साथ ही कई इमारतें ढह गईं। द एक्सप्रेस ट्रिब्यून अखबार ने बताया कि भूकंप के समय, रावलपिंडी के बाजारों में भगदड़ की सूचना मिली थी। एसोसिएटेड प्रेस ऑफ पाकिस्तान के मुताबिक, प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ ने आपदा प्रबंधन अधिकारियों को किसी भी स्थिति से निपटने के लिए सतर्क रहने को कहा है। द एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने बताया कि फेडरल स्वास्थ्य मंत्री अब्दुल कादिर पटेल के निर्देश पर कुछ अस्पतालों में आपातकाल घोषित कर दिया गया।अंतरराष्ट्रीय भूकंपीय केंद्र के मुताबिक, पाकिस्तान के अलावा भारत, अफगानिस्तान, तुर्कमेनिस्तान, कजाकिस्तान, ताजिकिस्तान, उज्बेकिस्तान, चीन और किर्गिस्तान में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए। पाकिस्तान में भूकंप आना आम बात है। इस साल जनवरी में इस्लामाबाद में 6.3 तीव्रता का भूकंप आया था। 2005 में सबसे घातक भूकंप आया, जिसमें 74,000 से अधिक लोग मारे गए। हाल ही में तुर्की में भी भयानक भूकंप आया था, जिसके झटकों से तुर्की के लोग अभी तक निकल नहीं पाए हैं।
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