रेवाड़ी शहर की इस खबर को जरूर पढ़े

चुनाव में भाजपा के खिलाफ वोट मांगने वाले भाजपाई बने


–    घोटालों को लेकर खोला की फाइलें खुलेंगी या बंद रहेगी यह देखना होगा

–     नप में कमीशन का खेल बंद करना चेयरपर्सन के लिए सबसे बड़ा चैलेंज 


रणघोष खास. वोटर की कलम से


रेवाड़ी शहर को अपनी सरकार मिल गई है। इस सरकार में शामिल चेयरपर्सन एवं 31 वार्ड पार्षदों पर शहर को साफ सुथरा, अतिक्रमण मुक्त और सुंदर बनाने की जिम्मेदारी रहेगी। जब रेवाड़ी नगर पालिका बनी थी तब भी यही विजन था और आज भी यही हैं।  सिर्फ चेहरे बदले हैं शहर कितना बदला है यह बताने की जरूरत नहीं है।

नगर परिषद से शहर में बेहतर बदलाव की उम्मीद रहती है। इसलिए नप के माध्यम से होने वाले कार्यों का एजेंडा भी शहर को सुंदर बनाना होता है। इस बार हुए चुनाव में आधे से ज्यादा पार्षद नए बने हैं। पहली बार मतदाताओं ने अपने मत से चेयरपर्सन पूनम यादव को चुना है जिसके नेतृत्व में नप अपने एजेंडे को लागू करेगी। यहां चेयरपर्सन को अपना हाउस चलाने के लिए आधे से ज्यादा पार्षदों का समर्थन प्राप्त करना जरूरी होता है। सोमवार 18 जनवरी को जब नप के प्रांगण में शपथ ग्रहण समारोह चल रहा था। उस समय ऐसे पार्षद भी भाजपाई बनते नजर आए जो चुनाव में भाजपा की खिलाफत करके वोट हासिल कर रहे थे। ऐसे में जनता के मत का क्या मतलब रह गया यह हर चुनाव की तरह यहां भी  जनभावनाओं के साथ सीधा अपमान है। इस चुनाव में भाजपा की टिकट पर 7 पार्षद बने हैं बाकि सभी आजाद उम्मीदवार के तौर पर जीत कर नप पहुंचे हैं। ऐसे में उन पार्षदों की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े हो रहे हैं जो मौका देखकर अपनी सोच, विचारधारा और एजेंडे को बदल लेते हैं। यह ठीक है कि सत्ता के साथ चलकर ही वे अपने वार्ड में विकास की रफ्तार को तेज कर सकते हैं लेकिन वे जनता की भावनाओं से खेलकर लोकतंत्र के मूल्यों को भी बराबर का कमजोर कर रहे हैं। हालांकि राजनीति में मौका देखकर पाला बदलने की प्रवृति संस्कृति बन गई है। इसलिए इस तरह की अदला बदली पर ज्यादा शोर नहीं मचता।

  आसान नहीं होगा नप में कमीशनबाजी का खेल, जानते एक दूसरे की पोल

चेयरपर्सन ने शपथ के तुरंत बाद कहा कि वह सबसे पहले शहर को साफ सुथरा करना चाहती है। यह बेहतर कदम है लेकिन नप के अंदर विकास के नाम पर चलनी कमीशनखोरी को कैसे साफ करेगी यह उनके लिए सबसे बड़ी चुनौती रहेगा। हालांकि पूनम यादव के पति बलजीत यादव लगातार पार्षद रहे है इसलिए उनके अनुभव का फायदा उन्हें मिलेगा। नए पार्षदों के पास कुछ नया करने का जोश रहेगा तो पुरानों के पास काम कराने के तौर तरीकों का गणित अपना असर दिखाएगा।

सतीश खोला के उठाए मामलों पर क्या करती है चेयरपर्सन, यह देखना होगा

 भाजपा नेता सतीश खोला ने चार साल पहले नगर परिषद में विकास के नाम पर हो रही लूट के कई मामले उजागर किए थे। इस पर प्रशासनिक स्तर पर जांच भी हुई थी जिसमें नप के कुछ पार्षद एवं अधिकारी चपेट में आए थे। यह मामला मीडिया में बड़े स्तर पर उठाया गया था लेकिन अभी तक वह ठंडे बस्ते में डाला हुआ था। ऐसे में यह देखना दिलचस्प रहेगा कि चुनाव में पूनम यादव को जीताने में ताकत लगाने वाले सतीश खोला की शिकायतों पर कितना अमल होता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *