रणघोष अपडेट. देशभर से
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा है कि विपक्ष आगे आए, हम बातचीत को तैयार हैं। हम संसद की कार्यवाही चलाना चाहते हैं। लेकिन वहां किससे बात करें। अगर विपक्ष बातचीत के लिए आगे आता है तो संसद में मौजूदा गतिरोध को हल किया जा सकता है। यह दो कदम आगे बढ़ने की बात है। दिल्ली में इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में अमित शाह ने शुक्रवार को यह बात कही। संसद में पिछले पांच दिनों से हंगामे के बाद दोनों सदन की कार्यवाही स्थगित हो रही है। लेकिन यह हंगामे की शुरुआत बीजेपी सांसदों की ओर से होती है। बीजेपी सांसद लंदन भाषण के लिए कांग्रेस नेता राहुल गांधी से माफी की मांग कर रहे हैं। दूसरी तरफ कांग्रेस के नेतृत्व में 18 विपक्षी दल अडानी मुद्दा बार-बार उठा रहे हैं। लोकसभा-राज्यसभा की टीवी पर जनता के सामने जो कार्यवाही सामने आ रही है, उससे पता चलता है कि बीजेपी की ओर से रोजाना शुरुआत होती है। लेकिन सत्तापक्ष विपक्ष पर संसद न चलने देने का आरोप लगा रहा है।इंडिया टुडे के मुताबिक गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को कहा कि कुछ मुद्दे राजनीति से ऊपर होते हैं। पूर्व प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी ने भी विदेशी जमीन पर घरेलू राजनीति पर चर्चा करने से इनकार कर दिया था।शाह ने सुझाव दिया कि दोनों पक्ष अध्यक्ष के सामने बैठें और चर्चा करें। उन्हें दो कदम आगे आना चाहिए और हम दो कदम आगे बढ़ेंगे। फिर संसद चलना शुरू हो जाएगी। लेकिन आप बस एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करें और कुछ न करें, ऐसा नहीं हो सकता।
गृह मंत्री ने कहा संसदीय प्रणाली सिर्फ सत्ता पक्ष या सिर्फ विपक्ष से नहीं चल सकती क्योंकि दोनों को एक-दूसरे से बात करनी होती है। हमारी पहल के बावजूद, विपक्ष की ओर से बातचीत का कोई प्रस्ताव नहीं आया है। तो हम किससे बात करेंगे? वे मीडिया से बात कर रहे हैं। उन्होंने एक नारा दिया कि संसद में बोलने की स्वतंत्रता होनी चाहिए। संसद में बोलने की पूरी स्वतंत्रता है। आपको बोलने से कोई नहीं रोक सकता। हालाँकि अमित शाह ने यह भी कहा, सभी को नियमों का पालन करना होगा और संसद में फ्रीस्टाइल नहीं हो सकता है और सभी को नियमों का अध्ययन करना चाहिए और उन्हें समझना चाहिए।
उन्होंने कहा संसद में बहस नियमानुसार होती है। आप संसद में उस तरह से बात नहीं कर सकते जैसे कोई सड़क पर कर सकता है। यदि उनके पास यह बुनियादी समझ नहीं है, तो हम क्या कर सकते हैं? गृह मंत्री ने कहा कि संसद कुछ नियमों के तहत काम करती है और ये नियम मौजूदा सरकार ने नहीं बनाए हैं। ये नियम उनकी (राहुल गांधी) दादी या पिता के समय में भी मौजूद थे। वे इन नियमों के साथ बहस में भाग ले रहे थे, हम भी इन नियमों के अनुसार भाग ले रहे हैं। शाह ने दावा किया कि उन्हें नियमों के बारे में कोई जानकारी नहीं है और फिर आरोप लगाते हैं कि उन्हें बोलने नहीं दिया जा रहा है। यह स्वीकार्य नहीं है। कोई भी खड़े होकर बोलना शुरू नहीं कर सकता है। नियम हैं और आपको उन नियमों का पालन करना होगा। इन नियमों में कोई बदलाव नहीं हुआ है। दो उदाहरणों का हवाला देते हुए शाह ने कहा कि इंदिरा गांधी ने आपातकाल के बाद इंग्लैंड का दौरा किया था और उस समय शाह आयोग का गठन किया गया था और उन्हें जेल में डालने का प्रयास किया गया था। उस पर, कुछ पत्रकारों ने उनसे (इंग्लैंड में) पूछा था कि आपका देश कैसा चल रहा है। उसने कहा कि हमारे कुछ मुद्दे हैं लेकिन मैं यहां कुछ नहीं कहना चाहती। मेरा देश अच्छा चल रहा है। मैं अपने बारे में कुछ नहीं कहूंगी। यहां मैं एक भारतीय हूं। शाह ने इंदिरा गांधी को कोट करते हुए यह बात कही। गृह मंत्री ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी विपक्ष में थे और संयुक्त राष्ट्र में कश्मीर पर चर्चा होनी थी। उस समय कांग्रेस सरकार सत्ता में थी और यह पहली और आखिरी बार था कि भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व विपक्षी नेता अटल बिहारी वाजपेयी कर रहे थे। उन्होंने कहा – यह था ट्रस्ट… कुछ ऐसे मुद्दे हैं जो राजनीति से जुड़े हैं। मेरा मानना है कि सभी को इस परंपरा का पालन करना चाहिए।उन्होंने कहा, ‘क्या हमें विदेश जाकर भारत के बारे में आरोप लगाने चाहिए और क्या हमें दूसरे देशों की संसद में जाकर भारत के बारे में टिप्पणी करनी चाहिए? मुझे विश्वास है कि कांग्रेस को इसका जवाब देना होगा।’ सत्तारूढ़ और विपक्षी दोनों दलों के सदस्यों के विरोध के बाद संसद के बजट सत्र के दूसरे भाग का पहला सप्ताह पूरी तरह से बाधित रहा। पिछले पांच दिनों से पूरा विपक्ष अडानी के मामले में प्रदर्शन कर रहा है। जेपीसी जांच की मांग कर रहा है लेकिन बीजेपी सांसदों के संसद ठप कर देने से बात आगे नहीं बढ़ रही है। दो दिन पहले विपक्ष के 200 सांसदों ने संसद से ईडी दफ्तर तक मार्च निकालना चाहा लेकिन कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के मुताबिक विजय चौक पर 2000 पुलिस वालों ने 200 सांसदों को रोक दिया औऱ आगे नहीं बढ़ने दिया।
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