शख्सियत:5वीं फेल शख्स ने बनाया अरबों का कारोबार

खुद बन गए ब्रांड, हर महीने सैलरी से 94 लाख करते थे दान


जब भी मसाले का जिक्र होता है तो MDH मसाले का नाम सब की जुबान पर आ जाता है. इस कंपनी के मसाले ही नहीं बल्कि मालिक के संघर्ष की कहानी भी लाजवाब है. ‘असली-असली मसाले सच-सच..MDH,MDH’ टीवी पर प्रसारित होने वाला यह विज्ञापन और इसमें नजर आने वाले दिवंगत धर्मपाल गुलाटी देश में मसाला किंग के नाम से मशहूर हुए. हालांकि, अब वे इस दुनिया में नहीं हैं लेकिन मसालों और अपनी मेहनत के जरिए उन्होंने लोगों के दिलों पर गहरी छाप छोड़ी और अरबों रुपये का कारोबार खड़ा कर दिया.
भारत-पाकिस्तान विभाजन के दौरान लाखों शरणार्थियों की तरह धर्मपाल गुलाटी अपने परिवार के साथ पाकिस्तान से हिंदुस्तान पहुंचे. 1947 से उनका संघर्ष शुरू हो गया. 5वीं तक पढ़े तांगेवाले धर्मपाल गुलाटी ने अपनी मेहनत और जज्बे से करोड़ों रुपये की मसाला कंपनी खड़ी कर दी. आइये जानते हैं आखिर कैसे तमाम संघर्षों का सामना करते हुए धर्मपाल गुलाटी ने देश-दुनिया में अपनी पहचान बनाई.
पाकिस्तान जन्मभूमि, भारत बनी कर्मभूमि
धर्मपाल गुलाटी का जन्म 27 मार्च 1923 को सियालकोट के पाकिस्तान में हुआ. पढ़ाई में रूचि नहीं होने की वजह से वे कक्षा 5वीं तक ही पढ़े और महज 14 साल की उम्र में उन्होंने अपने पिता के साथ कारोबार करना शुरू कर दिया. साबुन, कपड़ा और चावल का कारोबार करते-करते उनके पिता चुन्नी लाल गुलाटी ने ‘महाशयां दी हट्ट’ (MDH) की स्थापना की. उस वक्त उन्हें देगी मिर्च वाले के नाम से जाना जाता था.

तांगा चलाकर पाला परिवार का पेट
1947 में लाखों लोगों की तरह उन्हें भारत-पाकिस्तान विभाजन के बाद दिल्ली आना पड़ा. बताया जाता है कि जब वे पाकिस्तान से भारत आए तो उनके पास सिर्फ 1500 रुपये थे लेकिन दिल में कुछ बड़ा करने का जज्बा था. दिल्ली से ही धर्मपाल गुलाटी के संघर्ष और सफलता का सफर शुरू हुआ. हालांकि, मसाले का बिजनेस करने से पहले उन्होंने तांगा चलाकर परिवार का पालन-पोषण किया. इसके बाद कुछ पैसे कमाकर दिल्ली के करोलबाग में मसाले की छोटी-सी दुकान खोली और कारोबारी के तौर पर अपनी पहचान बनाना शुरू कर दी. देखते ही देखते महज कुछ वर्षों में धर्मपाल गुलाटी देश में मसाला किंग के नाम से मशहूर हो गए. उनके मसाले के व्यापार को इतनी सफलता मिली कि आज देशभर में उनकी कई मसाला फैक्ट्रियां हैं. एमडीएच मसाला भारत ही नहीं बल्कि विदेशों में भी निर्यात होता है.
94 साल की उम्र में सबसे ज्यादा सैलरी पाने वाले CEO
धर्मपाल गुलाटी 2017 में भारत में सबसे अधिक वेतन पाने वाले एफएमसीजी कंपनी के सीईओ बने. बताया जाता था कि गुलाटी अपनी सैलरी का करीब 90 फीसद हिस्सा दान कर देते थे. एमडीएच को ब्रांड बनाते-बनाते वे खुद ही एक ब्रांड बन गए. उनकी कंपनी की नेटवर्थ करीब 5 हजार करोड़ बताई जाती है.
धर्मपाल गुलाटी अपने मसाला प्रोडक्ट्स का प्रचार खुद ही करते थे. अक्सर आपने उन्हें टीवी पर एमडीएच समालों के एड में देखा होगा. उन्हें दुनिया का सबसे उम्रदराज एड स्टार माना जाता था और देशभर में उनकी पहचान ‘एमडीएच अंकल’ के नाम तौर पर हो गई.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *