चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत ने बड़ा बयान दिया है। डीआरडीओ के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि अगर भविष्य में युद्ध की नौबत आती है तो हम स्वदेशी हथियारों से दुश्मन को हराएंगे। उन्होंने कहा कि हम देख रहे हैं कि देश में प्राइवेट सेक्टर हथियार बनाने को लेकर काफी प्रेरित है। उन्हें आपके समर्थन की आवश्यकता है। मुझे लगता है कि भविष्य में युद्ध के मामले में, हम इसे स्वदेशी हथियारों के माध्यम से जीतेंगे।
डीआरडीओ में आयोजित एक कार्यक्रम में सीडीएस जनरल बिपिन रावत ने कहा, ‘इस वक़्त हमारा देश हमारी उत्तरी और पश्चिमी सीमाओं पर कई चुनौतियों का सामना कर रहा है और जिस तरह से हम आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहे हैं, ये बहुत जरूरी है कि डीआरडीओ पूरी लगन के साथ काम करती रहे।’
आपको बता दें कि कोरोना काल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आत्मनिर्भर भारत अभियान का मंत्र देश को दिया। इसके जरिए स्वदेशी को बढ़ावा देने की बात कही। पीएम मोदी को आत्मनिर्भर भारत अभियान को भारतीय सेना ने भी हाथोंहाथ लिया है। सेना के उपक्रमों को भी स्वदेशी पर निर्भर बनाया जा रहा है।
तीनों सेनाओं के लिए 28 हजार करोड़ की रक्षा खरीद को मंजूरी
रक्षा अधिग्रहण परिषद (डीएसी) की बैठक में तीनों सेनाओं के लिए 28 हजार करोड़ रुपये के रक्षा उपकरणों की खरीद को मंजूरी दी गई। इनमें से ज्यादातर करीब 27 हजार करोड़ रुपये की खरीद घरेलू बाजार से करने का फैसला किया गया है। रक्षा मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा कि गुरुवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में हुई बैठक में कई रक्षा उपकरणों की खरीद को मंजूरी दी गई। खरीद प्रस्तावों में डीआरडीओ द्वारा तैयार वायु सेना के लिए पूर्व चेतावनी प्रणाली (हवाई जहाजों की मौजूदगी के बारे में), नौसेना के लिए अगली पीढी के गश्ती पोत और थल सेना के लिए माड्यूलर ब्रिगेड शामिल हैं।
मंत्रालय ने इस खरीद को ऐसे समय में मंजूरी प्रदान की है जब भारत और चीन के बीच, पूर्वी लद्दाख में सीमा पर लंबे समय से गतिरोध चल रहा है। दूसरे, इसमें अहम बात यह है कि मंजूर किए गए तकरीबन सारे हथियारों और सैन्य उपकरणों की घरेलू उद्योगों से खरीद की जाएगी। बयान में कहा गया है कि इसके तहत मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत अभियान को बढ़ावा देने के लिए भारतीय उद्योग को एओएन (स्वीकार्यता मंजूरी) दी जाएगी। नई रक्षा खरीद नीति को मंजूरी दिए जाने के बाद यह पहली खरीद है।