लोगों को 10 फीसदी फायदे ही मालूम, बैंक भी नहीं बताते पूरे लाभ
अगर आप संगठित क्षेत्र में नौकरी करते हैं तो सैलरी अकाउंट के बारे में जरूर जानते होंगे. कंपनी या नियोक्ता की तरफ से खोला गया वो अकाउंट जिसमें हर महीने आपकी सैलरी क्रेडिट होती है, उसे सैलरी अकाउंट कहा जाता है. सैलरी अकाउंट के बहुत सारे फायदे मिलते हैं. यह रेगुलर सेविंग्स अकाउंट से थोड़ा अलग होता है क्योंकि सैलरी अकाउंट पर आपको कई ऐसे फायदे मिलते हैं, जो सामान्य सेविंग्स अकाउंट पर नहीं मिल पाते.
सैलरी अकाउंट का सबसे बड़ा फायदा यह है कि सैलरी अकाउंट पर आपको जीरो बैलेंस की सुविधा मिलती है. अगर आप इस अकाइंट में मिनिमम बैलेंस मेंटेन नहीं भी करते हैं तो बैंक किसी तरह का पेनल्टी आपसे नहीं लेगा. रेगुलर सेविंग्स अकाउंट में मिनमिम बैलेंस मेंटेन करना आवश्यक होता है, वरना जुर्माना देना पड़ता है. कंपनियां अपने कर्मचारियों के लिए सैलरी अकाउंट खोलने के लिए बैंक के साथ टाई-अप करते है.
फ्री ATM ट्रांजैक्शन की सुविधा
कई बैंक सैलरी अकाउंट पर फ्री एटीएम ट्रांजैक्शन की सुविधा देते हैं. इस सुविधा के तहत आपको टेंशन नहीं लेनी होगी कि महीने में कितने बार एटीएम से ट्रांजैक्शन करना है. इसके अलावा एटीएम सुविधा के लिए सैलरी अकाउंट पर एनुअल फीस भी नहीं वसूला जाता है.
लोन की सुविधा
सैलरी अकाउंट पर पर्सनल लोन्स से संबंधित स्पेशल ऑफर्स भी मिलता है. सैलरी अकाउंट पर प्री-अप्रुव्ड लोन की भी सुविधा मिलती है. होम और कार लोन के लिए स्पेशल ऑफर मिलता है.
ओवरड्राफ्ट की सुविधा
सैलरी अकाउंट पर ओवरड्राफ्ट की भी सुविधा मिलती है. 2 साल या इससे ज्यादा अवधि वाले सैलरी अकाउंट पर यह सुविधा मिलती है. इस सुविधा के तहत अगर आपके बैंक आकउंट में कोई बैलेंस नहीं है, तो भी आप एक तय सीमा तक पैसे निकाल सकते हैं.
फ्री पासबुक और चेकबुक की सुविधा
कई बैंक अपने सैलरी अकाउंट होल्डर्स को फ्री में चेकबुक, पासबुक और ई-स्टेटमेंट की सुविधा देते हैं. वहीं, एसएमएस अलर्ट के लिए भी कोई चार्ज नहीं देना होता हे.
फ्री इंश्योरेंस की सुविधा
सैलरी अकाउंट होल्डर्स को 20 लाख रुपये तक का पर्सनल एक्सीडेंट इंश्योरेंस मिलता है.
फ्री ऑनलाइन ट्रांजैक्शन
कुछ बैंक अपने ग्राहकों को सैलरी अकाउंट पर फ्री ऑनलाइन ट्रांजैक्शन की सुविधा देते हैं. इसके तहत आमतौर पर NEFT और RTGS की सुविधा फ्री होती है. कई बैंक सैलरी अकाउंट पर IMPS की भी सुविधा देते हैं.
सेविंग्स अकाउंट से कैसे अलग है सैलरी अकाउंट
· सेविंग्स अकाउंट कोई भी व्यक्ति खुलवा सकता है, जबकि सैलरी अकाउंट वह व्यक्ति खोल सकता है, जो किसी संगठन का कर्मचारी हो. संगठन की सिफारिश पर ही व्यक्ति का सैलरी अकाउंट खुलता है.
· सेविंग्स अकाउंट में एक मिनिमम बैलेंस रखने की जरूरत होती है, जबकि सैलरी अकाउंट में मिनिमम बैलेंस रखने की कोई जरूरत नहीं होती है.
· सेविंग्स अकाउंट के साथ मिलने वाली कई सुविधाओं के लिए चार्ज लिया जाता है, जबकि सैलरी अकाउंट में आम तौर पर कई सुविधाओं फ्री होती हैं.
· सेविंग्स अकांउट खोलने का मुख्य मकसद सेविंग्स को बढ़ाना होता है, जबकि सैलरी अकाउंट में हर महीने कर्मचारी का वेतन आता है.