युवा वैज्ञानिक अपनी उपलब्धियों से कृषि विश्वविद्यालय के साथ-साथ हरियाणा का नाम देश-विदेश में करेंगे रोशन- मुख्यमंत्री
रणघोष अपडेट. हिसार से सुशील कुमार नवीन
भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने कृषि वैज्ञानिकों का आह्वान करते हुए कहा कि आज कृषि के समक्ष बढ़ती जनसंख्या, सिकुड़ती कृषि भूमि, गिरते भूजल-स्तर, मिट्टी की घटती उर्वरता, जलवायु परिवर्तन जैसी अनेक चिंताएं हैं, जिनका समाधान खोजना कृषि पेशेवरों, वैज्ञानिकों का दायित्व है। आज ऐसे प्रयास करने होंगे जिससे हमारी जनसंख्या को पर्यावरण और जैव-विविधता को कम से कम नुकसान पहुंचाते हुए पोषणयुक्त भोजन उपलब्ध कराया जा सके। यह एक चुनौती भी है और अवसर भी। मुझे पूरा विश्वास है कि कृषि पेशेवर अपनी शिक्षा के बल पर इस चुनौती को अवसर में बदल देंगे।राष्ट्रपति ने सोमवार चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार के 25वें दीक्षांत समारोह में बतौर मुख्य अतिथि शिरकत की और विद्यार्थियों को डिग्रियां व गोल्ड मेडल प्रदान किये। समारोह में हरियाणा के राज्यपाल और विश्वविद्यालय के कुलाधिपति बंडारू दत्तात्रेय, मुख्यमंत्री मनोहर लाल, कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री जेपी दलाल और विधानसभा उपाध्यक्ष रणबीर गंगवा सहित अन्य गणमान्य अतिथि उपस्थित रहे।
डिग्री प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों में आधे से अधिक बेटियों की संख्या से गौरवान्वित हुई राष्ट्रपति ने कहा कि आज गोल्ड मेडल प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों में भी 70 प्रतिशत से अधिक छात्राएं हैं। यह संतोष और गर्व का विषय है कि हमारी बेटियां कृषि एवं संबंद्ध विज्ञान सहित अनेक क्षेत्रों में आगे बढ़ रही हैं।श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने विद्यार्थियों को कहा कि आपको अपने ज्ञान और क्षमताओं के विस्तार के लिए दुनिया भर के नवीनतम नवाचारों से अवगत रहना होगा। आपका यह प्रयास देश को वैभवशाली राष्ट्र बनाने में सार्थक होगा। बड़ी जनसंख्या के बावजूद, आज भारत खाद्यान्न संकटग्रस्त देश से खाद्यान्न निर्यातक देश बन गया है। इसमें हमारे नीति-निर्माताओं, कृषि-वैज्ञानिकों और किसान भाइयों-बहनों का महत्वपूर्ण योगदान है।राष्ट्रपति ने कहा कि आज हरियाणा केंद्रीय खाद्यान्न भंडार में दूसरा सबसे बड़ा योगदान देने वाला राज्य है। इस उल्लेखनीय उपलब्धि का श्रेय केंद्र और राज्य सरकारों की किसान-हितैषी नीतियों, हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय की तकनीकी पहल और सबसे बढक़र यहां के किसानों की नवीनतम कृषि तकनीकों को अपनाने की इच्छा-शक्ति को जाता है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय ने अब तक फसलों की कई किस्मों का विकास किया है। यहां पर विभिन्न प्रकार की फसलों के लिए प्रतिवर्ष लगभग 18000 क्विंटल उच्च गुणवत्ता वाले बीजों का उत्पादन होता है। आज जब पूरा विश्व एक-दुसरे से जुड़ा हुआ है और पूरी मानवता ग्लोबल वार्मिंग और क्लाइमेट चेंज जैसी चुनौतियों का सामना कर रही है तो ऐसे में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाता है।
जल का मितव्ययिता के साथ उपयोग किया जाना समय की मांग
राष्ट्रपति ने कहा कि खेती की लागत को कम करने, उत्पादकता बढ़ाने, उसे पर्यावरण अनुकूल बनाने तथा उसको और अधिक लाभकारी बनाने में तकनीक की अहम भूमिका है। उन्होंने कहा कि पानी कृषि का एक अहम घटक है जो सीमित मात्रा में उपलब्ध है। इसलिए यह अत्यंत आवश्यक है कि जल का मितव्ययिता के साथ उपयोग किया जाए। सिंचाई में
युवा जॉब सीकर की बजाये बने जॉब प्रोवाइडर श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने कहा कि भारत एक स्टार्टअप हब के रूप में उभरा है। दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप इको सिस्टम आज भारत में है। कृषि और इससे जुउ़े कई क्षेत्रों में स्टार्ट-अप की प्रचुर संभावनाएं हैं। इसलिए युवाओं को जॉब सीकर की बजाये जॉब प्रोवाइडर बनना चाहिए।
एचएयू भारत के कृषि विश्वविद्यालयों में पांचवें रैंक पर- राज्यपाल
दीक्षांत समारोह में हरियाणा के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने मेडल और पुरस्कार प्राप्त छात्रों को बधाई एवं शुभकामनाएं दी। उन्होंने कहा कि चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय भारत के कृषि विश्वविद्यालयों में पांचवें रैंक पर आता है। पिछले कुछ समय में ही चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय ने समय की मांग के अनुसार कार्य करते हुए मेन कैम्पस में मत्स्य विज्ञान और बायोटेक्नोलॉजी के दो नए कॉलेजों की स्थापना की है। विश्वविद्यालय ने गुरुग्राम में कृषि उद्यमिता एवं व्यापार प्रबंधन संस्थान की भी स्थापना की है। इसी तरह से प्राकृतिक एवं जैविक कृषि को बढ़ावा देने के लिए विश्वविद्यालय ने दीन दयाल उपाध्याय उत्कृष्टता केन्द्र के नाम से 123 एकड़ में जैविक कृषि फार्म की स्थापना की है। विश्वविद्यालय ने युवाओं के बीच कृषि उद्यमों को बढ़ावा देने के लिए इनक्यूबेशन सेंटर स्थापित किए हैं, जिसके तहत 90 से अधिक स्टार्टअप शुरू हुए हैं।इस अवसर पर मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि युवा वैज्ञानिक अपनी उपलब्धियों से कृषि विश्वविद्यालय के साथ-साथ हरियाणा का नाम देश-विदेश में रोशन करेंगे। उन्होंने कहा कि शिक्षार्थ आईए सेवार्थ जाइये वाली कहावत को चरितार्थ करने के लिए विद्यार्थियों को शिक्षा से प्राप्त ज्ञान को समाज सेवा में लगाकर बेहतर प्रमाण देंगे। उन्होंने कहा कि वर्ष 1979 में देश के उप-प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री के रूप में चौधरी चरण सिंह ने राष्ट्रीय कृषि व ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) की स्थापना की थी, जो आज ग्रामीण विकास की धुरी बन चुका है। दीक्षांत समारोह में राज्यसभा सांसद लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) डी.पी. वत्स, मुख्य सचिव संजीव कौशल, पुलिस महानिदेशक पीके अग्रवाल, विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ बीआर कंबोज सहित अन्य गणमान्य अतिथि उपस्थित रहे।