आसान तरीके से पैसे कमाने का झांसा देकर करते हैं ठगी

साइबर अपराध से बचने के लिए पुलिस ने की एडवाइजरी जारी


रणघोष अपडेट. कैथल से नरेश भारद्वाज


डिजिटल क्रांति के इस युग में हमारा ज्यादातर काम आॅनलाइन हो गया है या फिर हम अपने मनोरंजन के लिए इंटरनेट यूज करते रहते है। शॉपिंग से लेकर बिल भरने तक बैंक से जुड़े भी कई काम करने में हम आॅनलाइन मोबाइल लैपटाप या अन्य डिवाइस का प्रयोग करते है। इस डिजिटल युग में सक्रिय साइबर अपराधी साइबर अपराध करने के नए नए तरीके अपना रहे है। साइबर अपराधियों द्वारा जाल में फंसाने के लिए आसान तरीके से पैसे कमाने का लालच दिया जाता है। उससे अपने अकाउंट में पैसे डलवाए जाते हैं और पैसे जब तक सैकड़ों में होते हैं तो कमीशन जोड़कर वापस देते हैं। लेकिन जैसे ही रकम हजारों में चली जाती है तो ठगों द्वारा ठगना शुरू कर दिया जाता है। पुलिस द्वारा समय समय पर साइबर अपराध से बचने के लिए एडवाइजरी जारी की जाती है ताकि आमजन सतर्क व सचेत रहकर अपने पैसे की सुरक्षा कर सके।

यूं होते हैं ठगी का शिकार

पुलिस अधीक्षक मकसूद अहमद ने बताया कि ठगी के नये तरीके के अनुसार आसान तरीके से पैसे कमाने के मैसेज के साथ एक लिंक भेजा जाता है जैसे लिंक पर क्लिक किया जाता है तो वाट्सएप पर मैसेज आता है। फिर उसके वाट्सएप पर लिंक भेजकर उसपर क्लिक करके रजिस्टर्ड होने के लिये उकसाया जाता है। व्यक्ति द्वारा जैसे ही रजिस्ट्रेशन किया जाता है तो उसके अकाउंट में 100 रुपये भेजे जाते हैं। उसके बाद उसे कहा जाता है कि अगर वह आगे भी उनका बताया टास्क पूरा करेंगे तो उन्हें कमीशन के तौर पर पैसे मिलेंगे। जब व्यक्ति ठगों के अकाउंट में और रुपए भेजता है तो उसके खाते में और ज्यादा रुपए आते हैं। इस प्रकार शुरूआत में ठग थोडे-थोडे करके उसके पास रुपये भेजते हैं लेकिन बाद में उसके साथ ठगी का खेल खेला जाता है और उसके खाते से लाखों रुपये हडप लिये जाते हैं।

बिना तसल्ली किए बिना किसी को भी पैसे न दें

इसके अलावा एसपी ने बताया कि आजकल साइबर अपराधी हमारे जानकार की फोटो व्हाट्सएप, फेसबुक, इंस्टाग्राम आदि पर लगा कर इमरजेंसी बता कर हमसे पैसों की मांग करते है और हम अगले की इमरजेंसी सोचकर व भावनात्मक रूप से उसको किसी भी माध्यम से पैसे भेज देते है लेकिन हमें बाद में खुद के साथ ठगी का पता चलता है। ऐसे में बिना तसल्ली किए बिना किसी को भी पैसे न दे।

1930 पर दें पूरी जानकारी

आमजन से अपील करते हुए पुलिस अधीक्षक ने कहा कि अगर सावधानी या सतर्कता रखने के बावजूद भी आपके साथ किसी प्रकार का साइबर फ्रॉड हो जाता है तो घबराएं नहीं। बल्कि तुरंत साइबर धोखाधड़ी होने पर शिकायत साइबर हेल्प डेस्क नंबर 1930, अपने बैंक तथा नजदीकी पुलिस स्टेशन में दें और साइबर क्राइम पोर्टल पर अपनी शिकायत रजिस्टर्ड कराएं। प्राय देखने में आता है कि पीड़ित व्यक्ति जब 1930 पर काल करता है तो वहां कार्यरत कर्मचारी द्वारा डिटेल्स पूछी जाती है तो पीड़ित हडबडाहट में पूर्ण डिटेल्स नही देता और फोन काट देता है ऐसे मे आपकी शिकायत अधूरी रह जाती है। पुलिस अधीक्षक ने बताया कि 1930 पर काल करने से पहले आपको पीड़ित का नाम, मोबाईल नंबर, निकटतम पुलिस स्टेशन, जिला, बैंक का नाम, डेबिट राशि, खाता संख्या/वॉलेट मर्चेंट, यूपीआई आईडी जिससे राशि डेबिट की गई है, धोखाधड़ी कैसे हुई इसका संक्षिप्त विवरण का पता होना चाहिए। ये सब डिटेल्स देने के बाद आपकी शिकायत दर्ज होगी तथा आपके पैसे का दुरुपयोग होने से बचाव होगा।

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