यकीन करने में 7 साल लगा दिए, जब बनेगा उस हिसाब से 70 साल चाहिए
रणघोष खास. सुभाष चौधरी
भाजपा नेता छोटे से छोटा श्रेय लेने की चाह में ऐसा कुछ कर जाते है जो उन्हें उल्टा पड़ जाता है। 23 अक्टूबर को रेवाड़ी भास्कर में राज्य के कैबिनेट मंत्री डॉ. बनवारीलाल के हवाले से एम्स बनने की खुशी में ऐसा कुछ लिखवा दिया कि अब उनकी बोलती बंद हो रही है। विज्ञापन मे लिखा है कि एम्स माजरा 2015 में देखा सपना अब साकार हो रहा है। मतलब जिस परियोजना की घोषणा 7 साल पहले की गई थी वह अब जाकर विश्वास में आई है कि एम्स अब इधर से उधर नहीं होगा। सोचिए बिना किसी विरोध या विवाद के एक परियोजना की घोषणा को सही ठहराने में 7 साल गुजार दिए। इसके शिलान्यास से लेकर उद्घाटन में तो कई दशक गुजर जाएंगे। ऐसे में घोषणा करने वाले, खुशी मनाने वाले उस समय उम्र हिसाब से जिंदा रहेंगे या नहीं। यह देखने वाली बात होगी। गांव गोठडा में निर्माणधीन सैनिक स्कूल का भवन इसका सबसे बड़ा प्रमाण है। 1983-84 में इसकी घोषणा हुई थी। अभी तक भवन में कक्षाएं शुरू नहीं हो पाई हैं। घोषणा करने वाले अब दुनिया में नहीं है। विज्ञापन में कहा गया है कि देरी होने पर विरोधियों ने खूब उंगली उठाईं। कोई पूछे पिछले 8 सालों में हरियाणा में भाजपा की सरकार है। इस परियोजना को लेकर महज जमीन को फाइनल करना था। सबकुछ सरकार के हाथ में था। कोई विवाद नहीं था। इसमें विरोधी तो सिर्फ यह कह रहे थे कि घोषणा के बाद इतनी देरी क्यों हो रही है। सोचिए 2015 में जब एम्स की घोषणा हुई थी उस समय भी जमकर लडडू बांटे। गांव मनेठी की भूमि वन क्षेत्र में आई तो मामला अटक गया। लगा एम्स हाथ से लग गया। इसके बाद साथ लगते माजरा- एम्स की जमीन फाइनल होने लगी तो फिर लडडू बंटे। इस तरह खुशियां मनाई गई मानो बिना बने एम्स में मरीज आने शुरू हो गए। सीएम मनोहरलाल एवं केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह जब भी एम्स को लेकर पॉजीटिव बोलते तुरंत मिठाईयां बंटनी शुरू हो जाती। मंथन करिए एम्स जब पूरी तरह से बनकर तैयार हो जाएगा उससे पहले तक कितनी ओर बार मिठाईं बंटकर श्रेय लेने की यह परपंरा चलती रहेगी।