कृषि क़ानून: मिथक दूर करने के लिए केंद्र ने खर्च किए 8 करोड़

कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ आंदोलन कर रहे किसानों से केंद्र सरकार घिर गई है और वह इन क़ानूनों को किसानों के पक्ष में बताने के लिए बीते कुछ महीनों में लगभग 8 करोड़ रुपये खर्च कर चुकी है। यह रकम सरकार के अलग-अलग विभागों द्वारा सितंबर 2020 से लेकर जनवरी 2021 के बीच खर्च की गई है। इसके जरिये सरकार ने कोशिश है कि कृषि क़ानूनों को लेकर किसानों की आशंकाओं को दूर किया जाए। कृषि मंत्रालय के अलावा सरकार के बाक़ी मंत्रालयों ने भी इसे लेकर प्रेस कॉन्फ्रेन्स की हैं और कृषि क़ानूनों को लेकर मीडिया में विज्ञापन जारी किए हैं। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने शुक्रवार को संसद में बताया कि सूचना और प्रसारण मंत्रालय के ब्यूरो ऑफ़ आउटरीच एंड कम्युनिकेश विभाग ने इससे जुड़े विज्ञापन देने पर 7.25 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। तोमर ने बताया कि इसके अलावा हिंदी, अंग्रेजी और क्षेत्रीय भाषाओं के अख़बारों में भी ब्यूरो ऑफ़ आउटरीच एंड कम्युनिकेश विभाग ने विज्ञापन छपवाए हैं। इन विज्ञापनों में कृषि क़ानूनों से जुड़े भ्रम दूर करने के साथ ही किसानों को इनके बारे में जागरूक करने की कोशिश की गई है। सरकार की ओर से संसद में बताया गया कि कृषि सहयोग और किसानों के कल्याण विभाग ने कृषि क़ानूनों को लेकर आम लोगों को जागरूक करने के लिए तीन प्रमोशनल और दो एजुकेशनल फ़िल्में बनाईं और इन पर 68 लाख रुपये ख़र्च किए। इन फ़िल्मों को इलेक्ट्रॉनिक और सोशल मीडिया पर चलाया गया। इस दौरान सरकार के अलावा बीजेपी ने संगठन के स्तर पर भी मोर्चा संभाला है, हालांकि संगठन का खर्च इस रकम में नहीं जुड़ा है। बीजेपी के नेताओं ने देश भर में किसान चौपाल से लेकर प्रेस कॉन्फ्रेन्स की हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *