कौन थीं पुरुष के तौर पर जन्‍मीं, लेकिन देवी की तरह पूजी गईं सोनल मां, जो ना होतीं तो कई टुकड़ों में बंटता जूनागढ़

नरेंद्र मोदी ने आज जूनागढ़ में आई श्री सोनल मां के जन्म शताब्दी समारोह में कहा कि वह सनातन संत परंपरा में आधुनिक युग के लिए प्रकाश स्तंभ की तरह थीं. उन्‍होंने शिक्षा के लिए बहुत काम किया. साथ ही कहा कि मढडाधाम चारण समाज के लिए श्रद्धा, शक्ति और संस्कार-परंपरा का केंद्र है. उनके व्यक्तित्व में दैवीय आकर्षण था. इसका अनुभव आज भी जूनागढ़ और मढ़रा के सोनलधाम में की जा सकती है. उन्होंने नशे के खिलाफ शानदार काम किया था.

पीएम मोदी ने कहा कि श्री सोनल मां देश की एकता और अखंडता की मजबूत प्रहरी थीं. उन्‍होंने बताया कि जब बंटवारे के समय जूनागढ़ को तोड़ने की साजिशें बनाई जा रही थीं, तो सोनल मां चंडी की तरह उठ खड़ी हुई थीं. दूसरे शब्‍दों में कहें तो अगर आई श्री सोनल मां नहीं होतीं तो जूनागढ़ कई टुकड़ों में बंट जाता. आखिर कौन थीं श्री सोनल मां, जिनकी प्रशंसा में खुद पीएम मोदी कसीदे कढ़ रहे थे?

मरधा गांव को कहा जाता है कैरों का शक्तिपीठ
गुजरात और खासकर सौराष्‍ट्र को संतों की भूमि कहा जाता रहा है. सौराष्‍ट्र में जलाराम बापा, नरसिंह मेहता, सेठ शगलशाह, बापा सीताराम, आपागिगा नागबाई जैसे कई संत हुए हैं. इन सभी संतों को इनके जीवनकाल में ही जीवित देवों की तरह पूजा जाता है. यही नहीं, उनके शरीर छोड़ने के बाद आज तक उन्‍हें समाज का हर तबका पूरा सम्‍मान देता है. एसे ही संतों में श्री सोनल मां भी शामिल हैं. वह सौराष्ट्र के जूनागढ़ से 30 किलोमीटर दूर मरधा गांव में हैं. इस जगह को कैरों का शक्तिपीठ कहा जाता है. स्‍थानीय लोग दावा करते हैं कि उन्‍होंने अपने जीवनकाल में कई चमत्‍कार किए थे.

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पुरुष के तौर पर पैदा हुई थीं आई श्री सोनल मां
स्‍थानीय लोगों का कहना है कि आई श्री सोनल मां पुरुष के तौर पर पैदा हुई थीं. लेकिन, आज उन्हें देवी के तौर पर पूजा जाता है. मरधा गांव में करीब 700 लोग ही रहते हैं, लेकिन हर दिन हजारों लोग सोनल मां के दर्शन के लिए यहां पहुंचते हैं. गांव में आई श्री सोनल मां का एक मंदिर है. इसमें उनकी एक प्रतिमा विराजमान है. ये मंदिर करीब 20 बीघे क्षेत्र में फैला हुआ है. गांव में आने वाला कोई भी भक्‍त कभी भूखा नहीं जाता है. इसके लिए रात-दिन प्रसाद का वितरण होता है.

देवी का अवतार मानी जाती हैं श्री सोनल मां
चारण समुदाय के लोग खासतौर पर श्री सोनल मां की उपासना करते हैं. हालांकि, मंदिर में दर्शन के लिए सभी जातियों के लोग पहुंचते हैं. श्री सोनल मां का जन्म पौष माह की द्वितीया को हुआ था, जिसे आज पूरी दुनिया भर में मनाया जाता है. स्‍थानीय लोग श्री सोनल मां को देवी भगवती का अवतार मानते हैं. अपने जीवनकाल में उन्‍होंने अकेले ही नशा मुक्ति अभियान को शुरू किया था. खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि सोनल मां समाज को कुरीतियों से बचाने के लिए लगातार काम करती रहीं.

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जूनागढ़ में 800 से ज्‍यादा हिंदू-जैन मंदिर
कभी भारत की रियासत रहा जूनागढ़ गुजरात में सबसे ऊंची जगह पर बसा इलाका है. जूनागढ़ में 800 से ज्यादा हिंदू और जैन मंदिर हैं. जूनागढ़ शब्‍द का मतलब पुराना किला है. गिरनार पहाड़ी पर बसे इस शहर का नाम जूनागढ़ के किले पर रखा गया है. जूनागढ़ को चंद्रगुप्त मौर्य, अशोक से लेकर भारत के बंटवारे के समय तक के लिए याद किया जाता है. जूनागढ़ गुजरात की राजधानी गांधीनगर से 341 किमी दूरी पर है. यहां गुफाएं, मंदिर और खूबसूरत किले हैं. जूनागढ़ में ही शेरों के आशियाने के तौर पर प्रसिद्ध गिर नेशनल पार्क है.

 

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