चुनाव में एमएसपी कब नेताओं का हथियार बन गईं, किसान को पता ही नहीं चला

रणघोष खास. देशभर से


 न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपीको लेकर समस्या तब शुरू हुई जब एमएसपी राजनैतिक और चुनावी मुद्दा बन गया। 2009 में मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार ने इसी के आधार पर लोकसभा चुनाव जीता था। लेकिन 2014 में मनरेगा और ऊंचे एमएसपी के बावजूद उसके हाथ से सत्ता चली गई। एनडीए ने 2014 और 2019, दोनों लोकसभा चुनावों में एमएसपी को मुद्दा बनाया। 2014 के चुनाव में भाजपा ने एमएसपी, लागत का डेढ़ गुना करने का वादा किया था और उसे इसका फायदा मिला। हालांकि यह बढ़ोतरी चार साल बाद 2018 में की गई, जब 2019 के आम चुनाव में चंद महीने बाकी रह गए थे।सरकारी नीतियों में लागत का डेढ़ गुना एमएसपी की घोषणा पहली बार 2018 के बजट में की गई थी। उससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2016 में बजट पेश किए जाने से ठीक एक दिन पहले बरेली में किसानों की आय दोगुनी करने का वादा किया था। मार्च 2018 में कृषि उन्नति मेले में और उसी महीने की 25 तारीख को अपने 42वेंमन की बातमें भी प्रधानमंत्री ने एमएसपी की बात कही। उन्होंने कहा था, “खेत में काम करने वालों की मजदूरी, मवेशियों पर आने वाला खर्च, मशीन का किराया, बीज और उर्वरकों की कीमत, सिंचाई का खर्च, राज्य सरकार को दिया जाने वाला भूराजस्व, बैंक को दिया जाने वाला ब्याज और लीज पर ली गई जमीन का किराया, एमएसपी तय करने में इन सबको शामिल किया जाएगा। यही नहीं, किसान या उसके परिवार का कोई सदस्य खेत में काम करता है तो उत्पादन का खर्च तय करने में उसकी सांकेतिक मजदूरी भी शामिल होगी। लेकिन 2018 में जब सरकार ने ऐलान किया कि एमएसपी किसान की लागत का डेढ़ गुना कर दी गई है, तो इससे किसान संगठन नाराज हो गए। उनका कहना था कि स्वामीनाथन समिति की सिफारिशों के अनुरूप व्यापक आधार (सी2) पर इसे तय नहीं किया गया है, बल्कि इसके लिए 2+एफएल का तरीका अपनाया गया। 194 किसान संगठनों की अखिल भारतीय किसान समन्वय समिति ने खरीफ फसलों की एमएसपी पर विचार के लिए 13 जुलाई को कार्यकारी दल की बैठक और 14 जुलाई 2018 को आम सभा बुलाई।

बैठक के बाद समन्वय समिति की तरफ से जारी बयान में कहा गया, “हम मोदी सरकार की एमएसपी की घोषणा से काफी निराश हैं। किसान संगठनों ने स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट के आधार पर एमएसपी तय करने के लिए देशव्यापी अभियान शुरू करने का निर्णय लिया है। आयोग की सिफारिशों के मुताबिक एमएसपी व्यापक यानी सी2 आधार पर तय किया जाना चाहिए।

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