डंके की चोट पर : हमारा सिस्टम हत्यारा साबित हो चुका है, इसलिए खुद को मजबूत करिए..

कितना झूठ पर झूठ बोलते हैं हमारे नेता। जो सत्ता में है वह बने रहने के लिए सुबह शाम सच को झूठ- पांखड- मक्कारी के फरसे से काटने में लगे रहते हैं। जो सरकार में बनना चाहते हैं वे सत्ताधारियों के  झूठे दावों को अपने झूठ से खारिज करते रहते हैं। हर पांच साल में यह झूठ का यह टेंडर छूटता है।


Danke Ki Chot Parरणघोष खास. प्रदीप नारायण


20 साल की पत्रकारिता में इतना बेबस, असहाय ओर कमजोरियत कभी महसूस नहीं हुई जब कोई आपसे किसी की जान बचाने की गुहार लगाए और आप कुछ नहीं कर पाए। ऐसा नहीं है कि कोरोना ने हमारे खाने- पीने की वस्तुएं हमसे छीन ली हो। ऐसा भी नहीं है कि इस वायरस से हवाओं व पानी में जहर फैल रहा हो। सबकुछ वैसे ही  है जो सदियों से चलता आ रहा है। इस कोरोना ने जरूर एक गलत काम किया है उसने हमारे सिस्टम और उसे चलाने वाले हुक्मरानों की पोल खोल कर रख दी है। उसने साबित कर दिया है बेशक कोरोना काल में अयोध्या को अपना मंदिर मिल गया लेकिन देश राम भरोसे चल रहा है। कितना झूठ पर झूठ बोलते हैं हमारे नेता। जो सत्ता में है वह बने रहने के लिए सुबह शाम सच को झूठ- पांखड- मक्कारी के फरसे से काटने में लगे रहते हैं। जो सरकार में बनना चाहते हैं वे सत्ताधारियों के  झूठे दावों को अपने झूठ से खारिज करते रहते हैं। हर पांच साल में यह झूठ का टेंडर छूटता है। अगर यह सच नहीं है तो हमारे देश में लोग इन दिनों  आक्सीजन और वेंटीलेटर की कमी से तड़फते हुए नहीं मरते। हम बात करते हैं देश को विश्व गुरु बनाने की। स्मार्ट सिटी- बुलैट ट्रेन लाने की। जिनके परिजन कोरोना की चपेट में आकर जिंदगी- मौत से जूझ रहे हैं। उनके दर्द को समझिए। जो गवां चुके हैं उस जख्म को महसूस करिए। यह किसी के साथ भी हो सकता है और हो भी रहा है। बस सबक लेने की जरूरत है। यह समय खुद पर भरोसा करने का है। दिलो दिमाग से यह बात निकाल फैंकिए कोई आपकी चिंता कर रहा है। इन हालातों में किसी भी नेता या सिस्टम पर विश्वास मत करिए। एक जख्म पर नमक छिड़केगा दूसरा बिना भरे उस पर पट्‌टी लगाता नजर आएगा। सोचिए दिल्ली- गुरुग्राम- जयपुर के लोग रेवाड़ी जैसे छोटे शहरों में वैंटीलेटर- आक्सीजन की गुहार लगा रहे हैं। यहां के लोग राजस्थान के पिछड़े जिलों के अस्पतालों में जिंदगी बचाने के लिए भाग रहे हैं। मोबाइल पर बजने वाली घंटी डराने लगी है। हमारी अदालतें गुस्से में चिल्ला रही है जो आक्सीजन रोकेगा उसे फांसी पर लटका देगे। किसे लटकाएगी  इसका जवाब किसी के पास नहीं है।  हर कोई अपनी जिंदगी में ऐसा मंजर पहली बार देख रहा है। बेबसी के इस आलम में  चाहते हुए भी किसी की मदद नही कर पा रहे हैं। हम खून दे सकते हैं। शरीर का अंग दे सकते हैं लेकिन कोरोना से लडने के लिए जो तत्काल मदद चाहिए वह नहीं दे पा रहे हैं। जिस सिस्टम की जवाबदेही  थी वो  खुद वेंटीलेटर पर है। ऐसे में आप सभी से हाथ जोड़कर अनुरोध है कि इस महामारी को गंभीरता से लिजिए। मौजूदा माहौल से डरने की बजाय नहीं लड़ने की हिम्मत जुटाइए। जहां भी है सोशल डिस्टेंस एवं मास्क के साथ जिम्मेदारी को निभाए। वैक्सीन लगवाना ना भूले। विशेषतौर से गांवों में अभी भी लापरवाही है। यह हरगिज मत सोचे कि यह महामारी शहरों तक है।अपने बुजुर्गों व बच्चों को घर के अंदर ही रखे। प्लीज हालातों को देखते हुए अलर्ट एवं गंभीर बन जाइए। ऊपरवाला समय आने पर सबकुछ दे देगा। पहले अपना ध्यान रखे। यह मत भूलिए आपके पीछे परिवार खड़ा है। चंद लालच में अपनी जान का सौदा मत करिए। एक पत्रकार की हैसियत से नहीं एक भाई, बेटा, बड़ा- छोटा जो भी समझे। अपने छोटे से छोटे कार्यक्रमों को कुछ समय के लिए टाल दीजिए। यह समय एक दूसरे की जिंदगी बचाने का है इसके साथ खिलवाड़ करने का नहीं..।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *