क्या वरुण गांधी कांग्रेस में शामिल होंगे?
-प्रियंका जिनके कंधों पर उत्तर प्रदेश की बड़ी जिम्मेदारी है, वह वरुण को कांग्रेस में लाने का काम विधानसभा चुनाव से पहले करना चाहती हैं, ताकि उत्तर प्रदेश में कांग्रेस बीजेपी को कड़ी चुनौती देकर सपा के मुकाबले खुद को एक विकल्प के रूप में पेश कर सके।
रणघोष खास. विनोद अग्निहोत्री
बीजेपी को नेहरू-गांधी परिवार से तिहरी चुनौती मिलने लगी है। एक तरफ कांग्रेस में राहुल गांधी जिनके अध्यक्ष बनने की इबारत लिखी जाने लगी है और प्रियंका गांधी उत्तर प्रदेश में दिन ब दिन अपनी सक्रियता बढ़ाती जा रही हैं, दोनों ही लगातार बीजेपी पर हमलावर हैं। वहीं इंदिरा गांधी परिवार के तीसरे वारिस वरुण गांधी ने भी बहुत ही सुनियोजित तरीके से अपनी पार्टी की ही केंद्र और राज्य सरकार के ख़िलाफ़ अघोषित मोर्चा खोल दिया है। ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर एक बेहद शोधपूर्ण किताब लिखने वाले वरुण गांधी अब खेती-किसानी के मुद्दे पर केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकार पर लगातार निशाना साध रहे हैं। पिछले लंबे समय से गांधी परिवार के इन वारिसों को एकजुट करने का सपना संजोने वाले कुछ सूत्रधारों की कोशिश फिर तेज हो गई है कि देर-सबेर इन्हें एक साथ लाया जाए। इस सिलसिले में राहुल और प्रियंका से वरुण को साथ लेकर बीजेपी से मोर्चा लेने की बात कुछ ऐसे लोग कर रहे हैं जिनका राजनीति से सीधे कोई लेना-देना नहीं है।यह जानकारी देने वाले सूत्रों का कहना है कि जिस तरह कांग्रेस प्रवक्ता टीवी चैनलों और सोशल मीडिया पर खुलकर वरुण गांधी की सराहना कर रहे हैं, वह इस बात का बड़ा संकेत है कि पार्टी नेतृत्व को अब तीसरे गांधी से वैसा परहेज नहीं है जैसा पहले था।
कसीदे पढ़ रहे कांग्रेसी
कांग्रेस नेतृत्व के करीबी माने जाने वाले पार्टी प्रवक्ता पवन खेड़ा ने एक टीवी चैनल पर बीजेपी प्रवक्ता को चुनौती देते हुए कहा कि वरुण गांधी के पास जमीर है इसलिए वह किसानों के हक की बात कर रहे हैं, जबकि दूसरे बीजेपी नेताओं के पास जमीर नहीं है। इसी तरह एक अन्य प्रवक्ता ने ट्विटर पर लगातार वरुण गांधी की तारीफ की और लिखा कि मोदी और शाह को कोई भी गांधी बर्दाश्त नहीं है, भले ही वह उनकी ही पार्टी में क्यों न हो। प्रियंका गांधी के सलाहकार आचार्य प्रमोद कृष्णम तो लगातार वरुण की तारीफ सोशल मीडिया में कर रहे हैं। उन्होंने वरुण के पहले ट्वीट पर ही लिखा कि कोई गांधी ही ऐसा कर सकता है। आचार्य प्रमोद कृष्णम ने किसानों को लेकर किए गए वरुण के हर ट्वीट और बयान को सराहा और उसका स्वागत किया है। कांग्रेस के कुछ नेताओं ने फोन करके भी वरुण को उनके इन तेवरों के लिए बधाई दी है।
साथ दिखेंगे तीनों गांधी?
जहां पंजाब, उत्तर प्रदेश की घटनाओं और राजस्थान-छत्तीसगढ़ में पार्टी के असंतोष को थामने से कांग्रेस में पार्टी के नए नेतृत्व राहुल-प्रियंका का दबदबा बढ़ा है, तो किसानों के पक्ष में वरुण के खुलकर उतरने से परिवार के इस तीसरे गांधी की लोकप्रियता में भी इजाफा हो रहा है। सियासी हलकों में यह सवाल आम है कि क्या ये तीनों गांधी आने वाले दिनों में एक साथ दिखाई देंगे और अगर ऐसा हुआ तो प्रधानमंत्री मोदी और गृह मंत्री अमित शाह की शक्ति से संपन्न जेपी नड्डा के नेतृत्व वाली बीजेपी को एक बार फिर इंदिरा गांधी की विरासत से सियासी जंग में जूझना पड़ेगा। हालांकि अभी कुछ भी निष्कर्ष निकालना जल्दबाजी होगी, लेकिन सियासी अखाड़े के कुछ महारथियों ने गांधी परिवार को एकजुट करने की कोशिशें शुरू भी कर दी हैं।राजीव गांधी के जमाने से गांधी परिवार के करीबी सूत्रों के मुताबिक कोई और नहीं बल्कि खुद प्रियंका गांधी भी चाहती हैं कि छोटे भाई वरुण की घर वापसी हो और वह कांग्रेस में आकर न सिर्फ परिवार और पार्टी को ताकत दें, बल्कि बीजेपी और मोदी सरकार के ख़िलाफ़ विपक्ष की धार को भी मजबूत करें। पिछले कुछ महीनों से कांग्रेस के भीतर और बाहर का घटनाक्रम इस बात का संकेत है कि पार्टी के भीतर जबरदस्त मंथन और उतार चढ़ाव का दौर चल रहा है।
दबाव के आगे नहीं झुकेगा हाईकमान
जिस तरह राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने आगे बढ़कर पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह की अजेयता को तोड़कर दलित चरणजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री बनाकर और नवजोत सिंह सिद्धू को प्रदेश अध्यक्ष पद से अपने इस्तीफे को वापस लेने के लिए राजी करके साफ जता दिया कि नतीजे कुछ भी हों, लेकिन पार्टी हाईकमान अब छत्रपों की धमकियों और दबावों के आगे नहीं झुकेगा।कुछ इसी तरह राजस्थान में सचिन पायलट को धैर्य रखने के लिए मनाकर और छत्तीसगढ़ में ढाई-ढाई साल के मुख्यमंत्री फार्मूले की रट लगाए टीएस सिंह देव खेमे को चुप कराकर भूपेश बघेल के हाथों में उत्तर प्रदेश के चुनावों की कमान सौंपकर भी यह जता दिया कि पार्टी अपने हिसाब से चलेगी और उसे मानना होगा।
कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में सोनिया गांधी के आक्रामक तेवरों ने बगावती तेवरों वाले जी-23 समूह के नेताओं को भी जता दिया कि वे नेतृत्व की कार्यशैली पर मीडिया में सवाल उठाना बंद करें।
राहुल फिर बनेंगे अध्यक्ष?
अशोक गहलोत के राहुल गांधी को फिर से पार्टी की कमान संभालने के सुझाव का पूरी कार्यसमिति ने एक स्वर से समर्थन करके जी-23 के राहुल विरोध की भी हवा निकाल दी। क्योंकि बैठक में इस समूह के दोनों अगुआ नेता गुलाम नबी आजाद और आनंद शर्मा भी इस सुझाव के समर्थन पर मुहर लगाने वालों में शामिल थे। इस सुझाव पर विचार करने की बात कह कर राहुल गांधी ने भी साफ कर दिया कि अब उन्हें पार्टी अध्यक्ष संभालने में कोई हिचक नहीं है और उन्होंने अपने पुराने रुख कि पार्टी अध्यक्ष कोई गैर गांधी बने, को भी नरम कर लिया है। पार्टी ने अपने संगठन चुनावों का पूरा कार्यक्रम घोषित कर दिया है, जिसके मुताबिक सितंबर 2022 तक कांग्रेस को नया अध्यक्ष जो कि राहुल गांधी ही होंगे, मिल जाएगा।
प्रियंका ने संभाली कमान
अब जब वरुण गांधी ने अपनी राह अलग करने का लगभग मन बना ही लिया है, तब एक बार फिर उन्हें कांग्रेस में लाने के प्रयास शुरू हो गए हैं। कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक इस बार यह कमान किसी और ने नहीं बल्कि खुद प्रियंका गांधी ने संभाली है। वह चाहती हैं कि वरुण कांग्रेस में आएं और परिवार व पार्टी दोनों को मजबूत करें।प्रियंका जिनके कंधों पर उत्तर प्रदेश की बड़ी जिम्मेदारी है, वह इसे विधानसभा चुनाव से पहले करना चाहती हैं, ताकि उत्तर प्रदेश में कांग्रेस बीजेपी को कड़ी चुनौती देकर सपा के मुकाबले खुद को एक विकल्प के रूप में पेश कर सके।प्रियंका को लगता है कि वरुण के साथ आने से यह मुमकिन है। लेकिन सबसे बड़ी चुनौती इसके लिए कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी को राजी करने की है।