रणघोष अपडेट. देशभर से
अदानी समूह के मालिक गौतम अदानी ने एक निजी चैनल के साथ बातचीत में एनडीटीवी के भविष्य से लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ अपनी नजदीकी की ख़बरों पर पहली प्रतिक्रिया दी है.
अदानी समूह ने पिछले दिनों न्यूज़ चैनल एनडीटीवी को ख़रीद लिया था जिसके बाद से मीडिया जगत में हलचल जारी है.एनडीटीवी के प्रमोटर प्रणय रॉय और राधिका रॉय आख़िरकार उनके बनाए समूह से बाहर निकल गए हैं. इसके साथ ही एनडीटीवी हिंदी के पत्रकार रवीश कुमार ने भी अपने पद से इस्तीफ़ा दे दिया.
इसके बाद इस टेकओवर पर कई सवाल खड़े किए गए हैं. इनमें अदानी समूह की ओर से एनडीटीवी के कामकाज में दखल दिए जाने से जुड़ी आशंका शामिल है. गौतम अदानी ने इंडिया टुडे को दिए इंटरव्यू में कहा है कि एनडीटीवी एक स्वतंत्र, विश्वसनीय और वैश्विक नेटवर्क बनेगा.
उन्होंने कहा, “संपादकीय स्वतंत्रता को लेकर मैं ये बात स्पष्टता से कहना चाहता हूं कि एनडीटीवी एक स्वतंत्र, विश्वसनीय और वैश्विक नेटवर्क बनेगा. और इसमें प्रबंधन और संपादकीय विभाग के बीच स्पष्ट लक्ष्मण रेखा होगी. आप मेरे हर शब्द पर लगातार अंतहीन बहसें कर सकते हैं. और अलग-अलग मतलब निकाल सकते हैं. पहले कई लोगों ने ऐसा किया भी है. लेकिन मेरी मूल बात ये है कि हमें कुछ समय दें, उसके बाद हमारे बारे में कोई राय बनाएं.”
पीएम मोदी के साथ नजदीकी पर
गौतम अदानी और उनके समूह पर पीएम मोदी के साथ क़रीबी का फायदा उठाने का आरोप लगता रहा है.
इस पर गौतम अदानी ने कहा, “पीएम मोदी और मैं दोनों लोग गुजरात से आते हैं. इसी वजह से मैं इस तरह के व्यापारिक आरोपों के लिहाज़ से एक आसान शिकार बन जाता हूं. लेकिन मैं एक उद्यमी के रूप में जब अपनी यात्रा को देखता हूं तो मैं इसे चार चरणों में विभाजित कर सकता हूं. कई लोग इस बात से आश्चर्यचकित हो सकते हैं कि मेरा सफ़र उस दौर में शुरू हुआ था जब राजीव गांधी प्रधानमंत्री हुआ करते थे.जब उन्होंने आयात-निर्यात नीति का उदारीकरण किया तो कई चीजों को ओपन जनरल लाइसेंस लिस्ट में लाया गया. इसने मुझे मेरा एक्सपोर्ट हाउस शुरू करने में मदद की. राजीव गांधी के बिना एक उद्यमी के रूप में मेरी यात्रा शुरू नहीं हुई होती.””इसके बाद मुझे दूसरा उछाल 1991 में मिला जब पीएम नरसिंह राव जी और वित्त मंत्री मनमोहन सिंह की जोड़ी ने बड़े आर्थिक बदलाव किए. दूसरे तमाम उद्यमियों की तरह मुझे भी उन सुधारों का फ़ायदा मिला. इस बारे में और ज़्यादा बोलने की ज़रूरत नहीं है. इस बारे में बहुत कुछ कहा और लिखा जा चुका है.”मेरे लिए तीसरा टर्निंग पॉइंट 1995 में आया जब केशुभाई पटेल गुजरात के मुख्यमंत्री बने. तब तक गुजरात में सारा औद्योगिक विकास नेशनल हाइवे 8 के आसपास हुआ था जो मुंबई से दिल्ली जाता था. इनमें विकास वापी, भरूच, अंकलेश्वर, सिलवासा, वडोदरा, सूरत और अहमदाबाद में हुआ था. वह एक विज़नरी थे और तटवर्ती क्षेत्रों का विकास करने को लेकर समर्पित थे. इस वजह से मैं मुंद्रा तक पहुंचा और हम वहां अपना पहला बंदरगाह बना सके. शेष जैसा कि लोग कहते हैं, इतिहास है.”
“चौथा टर्निंग पॉइंट 2001 में आया जब गुजरात में मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में विकास का बड़ा दौर शुरू हुआ. उनकी नीतियों ने न सिर्फ़ गुजरात की आर्थिक सूरत बदली बल्कि सामाजिक बदलाव भी किया. इसके साथ ही उनके दौर में विकास से अछूते रह गए क्षेत्रों तक विकास पहुंचा. इससे उद्योगों और रोजगार में अभूतपूर्व उछाल आया. आज उनके नेतृत्व में हम राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी विकास देख रहे हैं और एक नया भारत अपनी जगह बना रहा है. ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि मेरे ख़िलाफ़ इस तरह की कहानियां गढ़ी जाती हैं… जैसा कि मैंने बताया है कि ये सारे आरोप आधारहीन हैं.”
अदानी समूह के कर्जों पर
गौतम अदानी ने कंपनी के कर्जों से जुड़ी चिंताओं पर बात करते हुए कहा कि अदानी समूह ‘वित्तीय रूप से बेहद मजबूत और सुरक्षित’ है.उन्होंने कहा कि जो लोग अदानी समूह के कर्ज़ों पर ‘बयानबाज़ी’ कर रहे हैं, उन्होंने कंपनी की वित्तीय स्थिति की पूरी जानकारी नहीं है और कंपनी की छवि ख़राब करने को लेकर उनके अपने ‘निहित स्वार्थ’ हैं.इस इंटरव्यू में उन्होंने बताया कि कंपनी के कर्ज़े जिस रफ़्तार से बढ़ रहे हैं, उससे दोगुनी रफ़्तार से समूह का मुनाफ़ा बढ़ रहा है. कंपनी की कर्ज और कमाई (डेट टू ईबीआईटीडीए) का अनुपात 7.6 से गिरकर 3.2 हो गया है.साल 2023 में मंदी की संभावनाओं से जुड़ी चिंताओं पर उन्होंने उम्मीद जताई कि अगले आम बजट में इस पर गौर किया जाएगा. उन्होंने कहा कि पूंजी व्यय, रोज़गार और सोशल इंफ्रास्ट्रक्चर और सामाजिक सुरक्षा पर ध्यान देने से वैश्विक मंदी का मुक़ाबला करने में मदद मिलेगी.