बाड़मेर-जैसलमेर में त्रिकोणीय मुकाबला, कोटा में भी रोचक लड़ाई; जानें राजस्थान में BJP का हाल

राजस्थान में लोकसभा का रण बेहद रोचक हो गया है। बनते-बिगड़ते समीकरणों में भाजपा को पिछले दो चुनाव की रिकॉर्ड जीत को बरकरार रखने की चुनौती है। पहले दो चरणों में जिन 25 लोकसभा सीटों पर मतदान होना है, उनमें बाड़मेर-जैसलमेर लोकसभा सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार को मिल रहे समर्थन से लड़ाई दिलचस्प दिख रही है। इसके अलावा करीब आधा दर्जन अन्य सीटों पर भी मुकाबला एकतरफा नहीं है और जमीनी समीकरणों ने लड़ाई को रोचक बना दिया है।

राजस्थान में भाजपा शत प्रतिशत, सभी सीटों पर जीत का अपना रिकॉर्ड बरकरार रखना चाहती है। हालांकि कांग्रेस के कुछ उम्मीदवारों और निर्दलीयों ने जिस तरह से विपक्षी खेमे में उम्मीद जगाई है उससे भाजपा को अपना प्रदर्शन दोहराना बड़ी चुनौती है। इसके बावजूद पिछले चुनाव को पैमाना माने तो एक-दो सीट को छोड़कर अन्य जगहों पर जीत-हार का अंतर इतना ज्यादा था कि विपक्ष के लिए सेंधमारी आसान नहीं है।

बाड़मेर-जैसलमेर में त्रिकोणीय मुकाबला
बाड़मेर-जैसलमेर सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार रविंदर सिंह भाटी का मुकाबला कांग्रेस के उम्मेदाराम बेनीवाल और भाजपा के कैलाश चौधरी से है। चुनाव मैदान में भाटी के आने से मुकाबला त्रिकोणीय बन गया है। भाटी वर्तमान में शेओ विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं। भाजपा से बातचीत सफल नहीं होने के बाद वह निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में मैदान में उतरे हैं। युवा उम्मीदवार रविंदर भाटी के साथ उमड़ रही भीड़ ने दोनों प्रमुख दलों के समीकरणों को उलट-पलट दिया है। भाजपा उम्मीदवार और क्षेत्र से निवर्तमान सांसद कैलाश चौधरी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर अपनी सीट बचाने की कोशिश कर रहे हैं। उनका यह बयान चर्चा में है कि उनकी वजह से मोदी को दंडित न किया जाए।

चर्चा में चुरू
इसके अलावा चूरू लोकसभा सीट भी चर्चा में है। यहां भाजपा ने दो बार के सांसद राहुल कस्वा का टिकट काटकर खिलाड़ी देवेंद्र झाझडिया को मैदान में उतारा है। टिकट कटने से नाराज राहुल कांग्रेस के टिकट पर मैदान में हैं।

नागौर में कांग्रेस ने इंडिया गठबंधन में शामिल हनुमान बेनीवाल को समर्थन दिया है। भाजपा ने दिग्गज जाट नेता स्व. नाथूराम मिर्धा की पौत्री ज्योति को उतारा है। ज्योति के पक्ष में तीन पूर्व विधायकों सहित एक हजार कांग्रेसियों ने पार्टी छोड़ी है, लेकिन हनुमान बेनीवाल का अपना मजबूत आधार मुकाबले को दिलचस्प बना रहा है।

अलवर और झुंझनु पर सबकी नजर
अलवर में केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव की सीट पर सबकी नज़र है। उनका मुकाबला कांग्रेस के विधायक ललित यादव से है। यहां स्थानीय बनाम बाहरी की चर्चा को भूपेंद्र यादव ने रात-दिन कैम्प करके कुछ हद तक कम किया है। वहीं झुंझुनूं में कांग्रेस से दिग्गज नेता शीशराम ओला के पुत्र व पूर्व मंत्री बृजेंद्र ओला और भाजपा से पूर्व विधायक शुभकरण चौधरी मैदान में हैं। ओला परिवार की मतदाताओं में मजबूत पकड़ और भाजपा की आंतरिक खींचतान के मद्देनज़र यहां कांग्रेस मुकाबले में है।

कोटा में दिलचस्प लड़ाई
कोटा में लोकसभा अध्यक्ष की सीट पर भी कांग्रेस उम्मीदवार प्रह्लाद गुंजाल ने लड़ाई को दिलचस्प बना दिया है। जालौर सिरोही लोकसभा सीट भी सुर्खियों में हैं। कांग्रेस ने यहां से पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पुत्र वैभव को टिकट दिया है जबकि भाजपा की ओर से लुम्बाराम उम्मीदवार हैं। इस सीट से पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की प्रतिष्ठा दांव पर है।

पिछले चुनाव में भाजपा 24 सीटों पर जीती
पिछले चुनाव में राजस्थान की 25 सीट में से 24 पर भाजपा और एक सीट पर एनडीए का उम्मीदवार जीता था। यहां कई सीटों पर भाजपा तीन लाख से ज्यादा वोटों से जीती थी। गिनी-चुनी सीटों पर एक लाख से कम का अंतर था। कांग्रेस का खाता नहीं खुला था।