बीजेपी नेता ने खरीदा था चोरी हुआ बच्चा, पार्टी से निष्कासित

रणघोष अपडेट. देशभर से 

बीजेपी ने फिरोजाबाद नगर निगम की पार्षद विनीता अग्रवाल को पार्टी से निष्कासित कर दिया है। विनीता अग्रवाल ने बच्चा चोरी करने वालों से 7 महीने के बच्चे को खरीदा था। विनीता अग्रवाल और उनके पति कृष्ण मुरारी अग्रवाल ने इसके लिए 1.80 लाख रुपए दिए थे। इस दंपति के पास एक बेटी थी और वे एक बेटा चाहते थे। हालांकि दंपति ने दावा किया था कि उन्होंने बच्चे को गोद लिया था और उन्हें इस बात की जानकारी नहीं थी कि बच्चे को चोरी किया गया है या उसका अपहरण किया गया है। बच्चा चोरी होने के बाद उसे खरीदे जाने की घटना में बीजेपी नेता का नाम सामने आने को लेकर अच्छा खासा बवाल सोशल मीडिया पर हुआ था। दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा था कि बीजेपी के नेता ऑपरेशन लोटस चलाने के अलावा बच्चे चोरी के काम में भी शामिल होने लगे हैं।

रेलवे स्टेशन से चोरी हुआ था बच्चा

बच्चे को 24 अगस्त को मथुरा रेलवे स्टेशन से चुराया गया था और बाद में रेलवे पुलिस ने पार्षद के घर से बच्चे को बरामद किया था। बच्चा प्लेटफॉर्म पर अपनी मां के पास सोता हुआ दिखा था। इस मामले में पुलिस ने विनीता अग्रवाल और उनके पति सहित आठ लोगों को गिरफ्तार किया था। इस मामले में विवाद बढ़ने के बाद बीजेपी की फिरोजाबाद महानगर इकाई के अध्यक्ष राकेश शंखवार ने कहा है कि विनीता अग्रवाल को तुरंत प्रभाव से पार्टी से निष्कासित कर दिया गया है। विनीता अग्रवाल फिरोजाबाद में वार्ड नंबर 51 से पार्षद हैं। महानगर इकाई की ओर से पार्षद को भेजे गए पत्र में कहा गया है कि उनके इस व्यवहार के संबंध में फिरोजाबाद महानगर इकाई द्वारा पार्टी के राज्य नेतृत्व से शिकायत की गई थी। उसके बाद यह फैसला लिया गया है। बच्चा चोरी की घटना सामने आने के बाद बच्चे की तलाश के लिए पुलिस की कई टीमें गठित की गई थीं। रेलवे पुलिस ने मथुरा, आगरा, हाथरस, कासगंज और बदायूं में बच्चा चोरी के आरोपियों की तलाश के अलावा 200 से ज़्यादा सीसीटीवी कैमरों की रिकार्डिंग खंगाली थी। सीसीटीवी में कैद हुए अपहरणकर्ता की पहचान दीपक के रूप में हुई थी। पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया था। अपहृत बच्चे को दीपक ने बेच दिया था। कृष्णा मुरारी अग्रवाल के भाई सुनील अग्रवाल ने अपहरण के आरोपों को निराधार बताते हुए कहा था कि उन्होंने इस बच्चे को एक बिचौलिए के माध्यम से गोद लिया था और इसमें किसी भी पैसे के लेन-देन की उन्हें जानकारी नहीं थी।

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