रणघोष अपडेट. चंडीगढ़
गांव माजरा- भालखी में प्रस्तावित एम्स के लिए दी गई जमीन की मुआवजा राशि, शिलान्यास संबंधित अनेक तकनीकी पहुलओं से संबंधित स्थिति बुधवार को दोपहर बाद साफ हो जाएगी। एम्स परियोजना को लेकर केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह चंडीगढ़ में हैं। इसी मसले पर सीएम मनोहरलाल से मीटिंग होनी है। इस मौके पर राज्य के कैबिनेट मंत्री डॉ. बनवारीलाल, राज्य मंत्री ओमप्रकाश यादव, कोसली विधायक लक्ष्मण यादव समेत कुछ सीनियर्स पदाधिकारी भी मौजूद रहेंगे। उधर एम्स संघर्ष समिति की कार्यप्रणाली को लेकर भी गांव माजरा- भालखी की तरफ से गठित कमेटी को कड़ा एतराज है। कमेटी का कहना है कि अब पूरे मामले को उनकी कमेटी देख रही है। ऐसे में अब समिति की भूमिका खत्म हो चुकी है। समिति की तरफ से दो सदस्यों को कमेटी में शामिल किए जाने की उनकी मांग तर्कहीन है। हमारी कमेटी में उन्हीं लोगों को शामिल किया गया है जिसकी जमीन अधिग्रहित की गई है।
राजनीति उथल पुथल के बीच केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह का एम्स को लेकर चंडीगढ़ पहुंचना कई मायनों में खास है। राव किसी सूरत में एम्स का श्रेय इधर उधर नहीं होने देना चाहते। दूसरा यह परियोजना उनकी प्रतिष्ठा से जुड़ी है। भाजपा के अंदर बाहर जिस तरह के हालात बने हुए हैं उस हिसाब से राव का विकास कार्यों को लेकर पूरी तरह से सक्रिय होना यह बताता है कि वे जमीनी राजनीति को ही अपना असली राजनीति वजूद मानते हैं। इसलिए समय रहते एम्स को जमीन पर उतारना उनके लिए बेहद जरूरी है। अगर इस परियोजना में देरी दिखाई जाती है तो भी इसका राजनीति फायदा राव इंद्रजीत को मिलेगा। वे सही समय पर निशाने पर तीर छोड़ चुके हैं। पिछले दिनों गांव पटौदा के 23 सितंबर शहीदी सम्मान समारोह में राव ने वह सबकुछ कह दिया था जो आने वाले समय में बदलते हालात के चलते सहानुभूति के तौर पर फायदे में रहेगा। 10 साल की कांग्रेस हुड्डा सरकार में भी राव समय समय पर इसी अंदाज पर हमला करते रहे थे। हालांकि भाजपा- कांग्रेस की कार्यप्रणाली में काफी अंतर है। इसलिए अभी यह कहना तर्क संगत नहीं रहेगा कि आने वाले दिनों में राव की राजनीति किस दिशा में जाकर अपना सफर तय करेगी। इतना जरूर है कि राव राजनीति के मंझे हुए खिलाड़ी हैं। आवेश एवं जोश में आकर वे कभी कोई कदम नहीं उठाते इसलिए वे पिछले 42 सालों से सफल राजनीति करते आ रहे हैं। लिहाजा एम्स को लेकर राव की सीएम से मीटिंग के अनेक खास राजनीति मायने होंगे।