भारत उन 10 देशों में शामिल है , जो बच्चों को खसरे की पहली खुराक देने में रहा पीछे

रिपोर्ट में कहा गया है कि 2021-2022 में दुनिया भर में खसरे की घटनाओं में 72 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. 2021-2022 के दौरान अनुमानित खसरे से होने वाली मौतें 43% बढ़कर 95,000 से 1,36,200 हो गईं.


रणघोष खास. सुमी सुकन्या दत्ता, दी प्रिंट से 
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) और यूएस सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) की एक नई रिपोर्ट के अनुसार, 2022 में भारत में 11 लाख बच्चों को खसरे का पहला टीका नहीं लगा है. जिसके साथ ही भारत उन 10 देशों में शामिल हो गया, जहां ऐसे शिशुओं की संख्या बहुत अधिक हैं जिन्हें खसरा टीके की पहली खुराक नहीं मिली है.‘प्रोग्रेस टोवार्ड मीसल्स एलिमिनेशन – वर्ल्डवाइड, 2000–2022’ शीर्षक से रिपोर्ट गुरुवार को जारी की गई. यह निष्कर्ष भारत के कम से कम पांच राज्यों के कई जिलों में खसरे के फैलने की सूचना के लगभग एक साल बाद आया है. जो तेज़ी से फैलता वायरल रोग है और छोटे बच्चों को प्रभावित करता है, जिसकी वजह से कभी-कभी उनकी जान भी चली जाती है.प्रकोप ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को 16 राज्यों के 85 जिलों में अतिरिक्त खसरा और रूबेला (एमआर) टीकाकरण अभियान चलाने के लिए मजबूर किया था, जिसमें नौ महीने से पांच साल की उम्र के सभी बच्चों को एमआर वैक्सीन की एक अतिरिक्त खुराक दी गई थी.टीके से रोके जाने वाले इस वायरल रोग, खसरे में सामान्य फ्लू जैसे लक्षण होते हैं और इसके परिणामस्वरूप पूरे शरीर पर चकत्ते पड़ जाते हैं. गंभीर मामलों में, यह छोटे बच्चों में निमोनिया और मस्तिष्क की सूजन का कारण बनता है, जो घातक साबित हो सकता है.विशेषज्ञों का कहना है कि बीमारी से मृत्यु दर आमतौर पर 1-3 प्रतिशत होती है लेकिन प्रकोप के दौरान यह 3-5 प्रतिशत तक जा सकती है.पिछले साल दिसंबर में जारी एक बयान में, केंद्र सरकार ने कहा था कि महाराष्ट्र से खसरे के कारण कुल 3,075 संक्रमण और 13 मौतें हुई थीं, जबकि कुछ अन्य राज्यों में भी संक्रमण की सूचना मिली थी.केंद्र सरकार के सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम के तहत, एमआर वैक्सीन शिशुओं को दो खुराक में दी जाती है: पहली नौ से 12 महीने की उम्र में और दूसरी 16 से 24 महीने की उम्र में. मम्प्स-मीसल्स-रूबेला (एमएमआर) के रूप में टीका निजी क्षेत्र में भी उपलब्ध है.डब्ल्यूएचओ-यूएससीडीसी रिपोर्ट के अनुसार, 2021-2022 के दौरान, दुनिया भर में खसरे की घटनाओं में 72 प्रतिशत की वृद्धि हुई. जो प्रति 1 मिलियन जनसंख्या पर 17 से बढ़कर 29 हो गई, और बड़े या विघटनकारी प्रकोप का अनुभव करने वाले देशों की संख्या 22 से बढ़कर 37 हो गई.2021-2022 के दौरान अनुमानित खसरे से होने वाली मौतें 43 प्रतिशत बढ़कर 95,000 से 1,36,200 हो गईं.डब्ल्यूएचओ के एक बयान के अनुसार, “खसरे के टीकाकरण कवरेज में वर्षों की गिरावट के बाद, 2022 में खसरे के मामलों में 18 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, और वैश्विक स्तर पर (2021 की तुलना में) मौतों में 43 प्रतिशत की वृद्धि हुई है.”WHO-USCDC रिपोर्ट में कहा गया है कि “2022 में, खसरा टीकाकरण कवरेज और वैश्विक निगरानी ने COVID-19 महामारी की असफलताओं से कुछ सुधार दिखाया. हालांकि, कम आय वाले देशों में कवरेज में गिरावट आई और वैश्विक स्तर पर, वर्षों से कम टीकाकरण कवरेज के कारण लाखों बच्चे असुरक्षित हो गए.”
2022 में खसरे की पहली खुराक की वैश्विक टीका कवरेज दर, 83 प्रतिशत और दूसरी, 74 प्रतिशत थी. अभी भी दो खुराक के साथ 95 प्रतिशत कवरेज से काफी नीचे थी, जो कि डब्ल्यूएचओ के अनुसार समुदायों को प्रकोप से बचाने के लिए आवश्यक है.पिछले साल, केंद्र सरकार ने कहा था कि डब्ल्यूएचओ और यूनाइटेड नेशंस इंटरनेशनल चिल्ड्रन इमरजेंसी फण्ड के अनुमान के अनुसार, भारत में एमआर वैक्सीन की पहली खुराक का कवरेज 89 प्रतिशत था, जबकि 2021 में दूसरी खुराक के लिए यह 82 प्रतिशत था.डब्ल्यूएचओ के टीकाकरण एजेंडा 2030 में प्रभाव के मुख्य संकेतक के रूप में खसरा उन्मूलन शामिल है, जो प्रतिरक्षा अंतराल की पहचान करने के लिए खसरा निगरानी प्रणालियों के महत्व पर प्रकाश डालता है, और खसरा टीके की दो समय पर बचपन की खुराक के साथ समान 95 प्रतिशत कवरेज प्राप्त करता है.केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव सुधांश पंत ने दिप्रिंट से कहा कि, वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए स्वास्थ्य प्रबंधन सूचना प्रणाली के अनुसार, भारत में खसरा और रूबेला वैक्सीन की पहली खुराक का कवरेज 99.8 प्रतिशत है, जबकि दूसरी खुराक का कवरेज 91.6 फीसदी रहा.

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