नकली रेडमेसिविर इंजेक्शन सप्लाई करने वाले दलाल ने बावल में आक्सीजन प्लांट की तैयारी कर ली थी
– बाजारों में खुले मेडिकल स्टोर संचालकों,डॉक्टरों एवं स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े सभी कर्मचारियों से हाथ जोड़कर अपील है कि जिस तरह वे मरीजों को बीमारी नहीं छिपाने पर जोर देते हैं। उसी तरह ऑफ दा रिकार्ड किसी भी तरीके से उन दलालों एवं डॉक्टरों के बारे में भी प्रशासन ओर मीडिया को बताए जो चंद पैसो के लिए इंसान की जिदंगी को मौत के मुंह धकेलने में एक पल भी नहीं सोचते। ये कोरोना से खतरनाक वायरस है। इन्हें मत छिपाइए। मत भूलिए लेखा जोखा सभी का तैयार हो रहा है।
रणघोष खास. रेवाड़ी
भिवानी पुलिस के हत्थे में आए रेवाड़ी के सत्यनारायण ने अभी 200 नकली रेडमेसिविर इंजेक्शन बेचने की बात कबूली है। असली सच अब अलग अलग रास्तों से सामने आ रहा है। विश्सनीय सूत्रों ने बताया कि नकली दवाइयों का कारोबार करने वाले इस दलाल ने नकली इंजेक्शन बेचकर इतनी मोटी कमाई कर ली थी कि उसने बावल के औद्योगिक क्षेत्र में आक्सीजन प्लांट लगाने की तैयारी कर ली थी। इसके लिए उसने एक हजार वर्ग गज का प्लाट भी खरीद लिया था। यानि पहले इस दलाल ने नकली दवाइयों एवं इंजेक्शन से मरीजों की जिदंगी छीनने का खेल किया। उसके बाद उन्हीं के पैसो से आक्सीजन प्लांट लगाकर उन्हें बचाने का यह कारोबार शुरू कर रहा था। सोचिए कोरोना मरीजों की बेबसी- मजबूरी का बेइंतहा नाजायज फायदा उठाकर उन्हें मौत के मुंह में पहुंचाने वाला यह अकेला मास्टर माइंड हरगिज नहीं हो सकता। हालांकि पुलिस ने उसके साथ तीन अन्य को ओर पकड़ा है लेकिन मौत के असली सौदागरों का सामने आना बहुत जरूरी है। इसमें कुछ निजी अस्पतालों के संचालक और कुछ डॉक्टर्स भी शामिल है जो इलाज के नाम पर मौत का यह नंगा नाच कर रहे थे। यह बेहद जांच का विषय है कि रेवाड़ी समेत देशभर में अभी तक कोरोना के नाम पर जितनी भी मौते हुई हैं क्या उन्हें बचाने के लिए सभी ने ईमानदारी से प्रयास किए थे। हरगिज नहीं। बहुत ही चालाकी और शातिर दिमाग से नकली दवा और इंजेक्शन बेचने वाले दलाल और डॉक्टरों ने मिलकर जीते जी जिंदा इंसान को भी मौत के मुंह में पहुंचाया है। इसलिए यह कहना कि कोरोना की वजह से सबकुछ हो रहा है। सरासर झूठ होगा।