मिलिए एक ऐसी शख्सियत से..

एक ऐसी मौजूदगी जो अशोक कुमार गर्ग के बीच डीसी की दीवार को ढहाती रही   


रणघोष खास. सुभाष चौधरी


 रेवाड़ी में 11 महीने रहने के बाद डीसी अशोक कुमार गर्ग के  साथ आमजन का सम्मान सावन में बारिश की तरह लगातार बरस रहा है। इस बहाव ने यहां के दिलों दिमाग में संडाध मारती छुआछूत- छोटे- बड़े की बदबू को खत्म करने का काम किया है। ऐसा करना किसी भी बड़े असरदार अधिकारी के लिए सहज नहीं है। वजह सबसे पहला उसके ओहदे में छिपा साहब उसे खास से आम बनाने से रोकता है। जैसे तैसे वह इस मानसिकता से लड़कर आगे बढ़ता है पारिवारिक लहजा इंतजार कर रहा होता है। यहां से जब उसके कदमों को रफ्तार  मिलती है तो समाज में बेहतर बदलाव का जन्म होता है। अशोक कुमार गर्ग जिस परिवेश  में बड़े होकर प्रशासनिक स्तर की बड़ी जिम्मेदारी के साथ शहर की गंदगी को अपनी बाजुओं से साफ करने वाली महिला कर्मचारियों के साथ बराबर में बैठते हैं तो एकाएक सबकुछ बदल जाता है। वे इसलिए कर पाते हैं उनके पास एक ऐसी मौजूदगी रहती है जो उनके डीसी होने की दीवार को ढहाकर एक बेहतर इंसान होने का अहसास कराती है। बात कर रहे हैं उनकी पत्नी शिक्षिका रजनी गर्ग की। सामाजिक- धार्मिक आयोजनों में सादगी की संपूर्णता लिए रजनी गर्ग का  मुस्कराता चेहरा यह बताने के लिए यह काफी है कि बदलाव की शुरूआत हमेशा घर से होती है। आमतौर पर रेवाड़ी वासियों के लिए प्रशासनिक स्तर पर यह पहले ऐसे दंपत्ति है जिसने समाज में समानता की अनूठी मिशाल पेश की है। रजनी गर्ग का व्यक्तित्व खामोशी से लगातार यह अहसास कराता रहा है जिस पर लिखना बनता है।