रणघोष खास. सुभाष चौधरी
हरियाणा की रेवाड़ी विधानसभा सीट से लगातार 6 बार विधायक रहे पूर्व मंत्री कप्तान अजय सिंह यादव के जीवन की राजनीति कथा में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुडडा नायक से ज्यादा खलनायक नजर आ रहे हैं। स्वयं कप्तान ने एक न्यूज यूटयूब चैनल से बातचीत में बेबाक होकर बेधड़क अपनी मन की बात रखी। बातचीत में ऐसा लग रहा था कि कप्तान बहुत कुछ ओर बताना चाहते थे पत्रकार सहयोगी अचानक दूसरा सवाल पूछकर उन्हें डाइवर्ट करते नजर आए।
कप्तान का यह कहना 2005 से 2014 तक हुडडा सरकार में काम करने का तौर तरीका वहीं रहा जो भजनलाल की स्टाइल रही है। मसलन भजनलाल ने हिसार व हुडडा ने रोहतक पर फोकस किया। शुरूआत के तीन साल ठीक रहे। ऐसा नहीं है कि हमारे क्षेत्र में विकास नहीं हुआ, अफसरशाही हावी रही, मेरी बात नहीं टाली लेकिन जो होना चाहिए था वह नहीं हुआ। कप्तान हुडडा सरकार में पीड़ित की तरह अपना दर्द बयां करते नजर आए। यहां तक कहने से नहीं चूके कि हुडडा ने उनकी जासूसी कराईं। उसे पॉवर लैस मंत्री बना दिया, महत्वपूर्ण महकमें छिन लिए। यह तो सोनिया गांधी की मेहरबानी रही कि उन्होंने हमेशा मेरा मान रखा। हुडडा सरकार में मंत्रीपद से इस्तीफा देकर वापस लेना उनकी राजनीतिक भूल थी जिसका नुकसान भी उन्हें उठाना पड़ा। अब सवाल यह उठता है कि कप्तान ने यह बात सहज भाव से कही है या हरियाणा में कांग्रेस के नाम पर हुडडा के बढ़ते प्रभाव से असहज होकर आगे की अपनी मंशा जाहिर कर दी है। इसमें कोई दो राय नहीं कप्तान कांग्रेस संगठन में राष्ट्रीय स्तर के नेता के रूप में स्थापित हो चुके हैं इसलिए उन्हें ओबीसी विभाग का चेयरमैन बनाया गया। कप्तान की बातचीत से साफ झलक रहा था कि वे हरियाणा कांग्रेस के तौर तरीकों से संतुष्ट नहीं थे इसलिए गुटबाजी से खुद को अलग करते नजर आए।
यह भी कहने से नहीं चूके कि 2014 में पूर्व शिक्षा मंत्री प्रो. रामबिलास शर्मा ने भाजपा की टिकट पर रेवाड़ी से लड़ने का ऑफर दिया था जिसे ठुकरा दिया। कृषि नीति पर गुजरात सरकार की तारीफ पर सोनिया गांधी उनसे काफी नाराज हुईं। कप्तान की बातचीत से यह साफ इशारा था कि 2024 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का एकजुट होकर मैदान में उतरना आसान नहीं है। कप्तान चाहते थे तो बहुत से छिपे राज को कुछ समय के लिए दफन कर सकते थे लेकिन अपनी छोटी सी राजनीति कहानी में वे ऐसा बहुत कुछ कह गए जो भूपेंद्र हुडडा वाली कांग्रेस के स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं है। इससे साफ जाहिर हो रहा है कि दक्षिण हरियाणा में कांग्रेस अंदर बाहर कुछ भी सामान्य नहीं चल रहा है। राजनीति जानकारों का कहना है कि मौजूदा राजनीति घटनाक्रम को देखते हुए कप्तान को भाजपा सरकार पर जबरदस्त हमलावर होना चाहिए था वे उलटा हुडडा के 10 साल के कार्यकाल के कामकाज पर ही उंगली उठाते रहे। इसका मतलब कप्तान को यह अहसास हो चुका है कि 2024 में चुनाव से पहले यहां की राजनीति में बड़े स्तर का उलटफेर हो सकता है जो उनके मिजाज से मेल नहीं खा रहा है। अगर यह बात गलत है तो सीनियर नेता के तौर पर कप्तान को अंदरखाने पार्टी के बिखराव व मनमुटाव पर पर्दा डालते हुए पार्टी की मजबूती पर अपनी बात रखनी चाहिए थी। यहां बता दें कि कप्तान ऐसे नेता है जिनके बारे में यह कहना मुश्किल है कि वे किस समय कब पलटवार हो जाए। वे अचानक बेबाक बयानबाजी एवं धडल्ले से अपनी बातों को रखते समय राजनीति नफे नुकसान को भूल जाते हैं। शांत होने पर रिकवरी में जुट जाते हैं।