बचपन का यार मुकेश रंगीला कंटिंग करता हुआ बचपन में ले गया
रणघोष खास. प्रंशात यादव
मेरा बहुत पुराना दोस्त है मुकेश। रेवाड़ी शहर में कृष्ण मंदिर के पीछे इसकी दुकान है।पिछले 25 सालों से मुकेश का अपना जमा जमाया काम है।हमारे मौहल्ले के लोग इसे प्यार से मुकेश रंगीला कहते हैं।कॉलेज के दिनों में हम दोस्त लोग मुकेश के पास ही बाल कटवाने जाते थे।उस दौर में मुकेश की दुकान पर एक पोस्टर लगा होता था जिसमें अलग-अलग किस्म की हेयर स्टाइल दिखाई देती थी।मुकेश तब 10 रुपये बाल काटने के और 5 रुपये शेविंग के लेता था।हम सभी मौहल्लेवालों का उधारखाता चलता था यहाँ पर।इसलिए हम खाली जेब भी बेहिचक इसके पास चले जाते थे।आज बहुत दिनों बाद मैं फ़िर मुकेश के पास बाल कटवाने पहुँच गया।मुकेश भी इतने दिनों बाद अपने पुराने दोस्त से मिलकर भावुक हो गया था।वो हम सभी पुराने दोस्तों का हाल-चाल मुझसे पूछ रहा था क्योंकि अब सभी ने यहाँ पर आना बंद जो कर दिया है।
मैं सभी पुराने मित्रों से अनुरोध करता हूँ कि अपने मुकेश रंगीला को मत भुलायें।अब मुकेश की दुकान पर वो खटारा टी.वी है नहीं बल्कि एलईडी. लग गयी है। इंटीरियर भी पूरी तरह बदल चुका है।अब रंगीला की दुकान भी वक़्त के साथ मॉडर्न हो गयी है। हाँ, एक खास बात बताना तो भूल ही गया। अब मुकेश के पास जाओ तो 10 नहीं बल्कि 50 रुपये लेकर जाना। कटिंग चार्ज बढ़ गये हैं भाइयों। रंगीला अभी भी कैश में ही पैसे लेता है। QR Code के बारे में मैंने मुकेश को समझा दिया है।शायद जल्दी ही आप मोबाईल से भी पैसे ट्रांसफर कर सकोगे। वैसे हम सबका उधारखाता अब भी चालू है।