यूक्रेन में फंसे 20 हजार भारतीय छात्र-छात्राएं दहशत में हैं। फोन पर उनकी आवाज सुनिए तो वो रुंधे गले से निकल रही है। इस समय वहां रात है, लेकिन वो जाग रहे हैं, नींद गायब है। शहर के किसी कोने से आती धमाके की आवाज उन्हें बेचैन कर देती है। बहुत सारे छात्रों ने मेट्रो के नीचे बंकर में शरण ले रखी है। रोजमर्रा की जिन्दगी के लिए जिन चीजों की जरूरत होती है, उसका स्टॉक उनके पास खत्म हो रहा है। पानी का संकट पैदा हो चुका है। पानी उपलब्ध भी है तो वो खरीदना पड़ता है। मेडिकल स्टूडेंट राज करण सिंह ने बताया कि ज्यादातर भारतीय छात्र यूक्रेन के पूर्वी इलाके में इस समय फंसे हुए हैं, वही इलाका वॉर जोन भी है, जबकि हमारी एम्बेसी के लोग हंगरी और पोलैंड बॉर्डर पर बैठे हुए हैं। समस्या ये है कि वॉर जोन वाले इलाके से स्टूडेंट्स को पश्चिमी इलाके में बॉर्डर तक कैसे लाया जाए। सारा ट्रांसपोर्ट बंद है। इसका हल भारत सरकार ही निकाल सकती है। सत्य हिन्दी ने यूक्रेन में फंसे कुछ भारतीय छात्रों से फोन पर बात की। कुछ ने खुलकर बात की और अपना परिचय दिया लेकिन तमाम ऐसे भी थे, जिन्होंने अपनी पहचान नहीं बताने के लिए भी कहा। सभी की बातों का निचोड़ ये है कि भारत सरकार को जल्द से जल्द मुश्किल में फंसे इन स्टूडेंट्स की मदद के लिए हर संभव कोशिश करना चाहिए। एक छात्र ने यह तक कहा कि कम से कम हमारे देश के प्रधानमंत्री रूस के राष्ट्रपति पुतिन से यह तो कह ही सकते हैं कि यूक्रेन में फंसे भारतीयों का रूस की फौज अपनी कार्रवाई में खास ध्यान रखे। इस तरह का बयान पीएम मोदी को सार्वजनिक ढंग से देना चाहिए।