शिशुशाला स्कूल का चुनाव ऐन वक्त पर रोका, इंकवायरी के बाद ही लिया जाएगा फैसला
रणघोष खास. सुभाष चौधरी
4 जुलाई को दैनिक रणघोष ने शहर की नामी शिक्षण संस्था शिशुशाला स्कूल प्रबंधन चुनाव को लेकर एक बड़ा खुलासा किया था। साथ ही रिपोर्ट में यह स्पष्ट भी कर दिया था कि 8 जुलाई को चुनाव प्रक्रिया रद्द हो सकती है। वहीं हुआ शुक्रवार को दोपहर बाद चंडीगढ़ मुख्यालय से आदेश जारी हो गए कि पहले इस स्कूल की जमीन खरीद फरोख्त को लेकर जो आरोप प्रत्यारोप लगे हुए हैं उनकी पहले इंकवायरी रिपोर्ट भेजी जाए। उसके बाद ही चुनाव की प्रक्रिया को नए सिरे से शुरू किया जाएगा। यहां बता दें कि रणघोष की खबर में तमाम तथ्य रखे जाने के बाद चंडीगढ़ के अधिकारियों ने चुनाव कराने के अपने निर्णय को बदलना पड़ा। आमतौर पर ऐन वक्त चुनाव को स्थगित करना आसान नहीं होता। इस चुनाव को 28 जुलाई तक रोक दिया गया है। रजिस्ट्रार जनरल ऑफ सोसायटीज हरियाणा मनदीप सिंह बरार ने शुक्रवार को भेजे पत्र में स्पष्ट कर दिया कि 28 जुलाई तक चुनाव प्रक्रिया को जमीन से जुड़े विवाद की जांच पूरी होने तक रोका जाता है। शिकायतकर्ता देवेंद्र कुमार जैन की तरफ से भी चुनाव से पहले स्कूल बेचने से संबंधित मामले की जांच कराने के लिए भी लिखित में शिकायत दर्ज कराई गई थी।
आइए समझे किस कारण से यह चुनाव स्थगित करना पड़ा
शहर के माडल टाउन स्थित एक समय की नामी शिक्षण संस्थान शिशुशाला स्कूल को संचालित कर रही हरिज्ञान एजुकेशन सोसायटी की प्रबंधन समिति के चुनाव को लेकर फर्म एवं रजिस्ट्रार सोसायटी ने कुछ दिन पहले शैडयूल जारी कर दिया था। 4 जुलाई को रणघोष से इस संस्था से जुड़ा बड़ा खुलासा कर दिया। दरअसल 5 अप्रैल 2021 को रजिस्ट्रार जनरल आफ सोसायटीज के ज्वांइट रजिस्ट्रार ऑफ सोसायटी ने जिला रजिस्ट्रार को पत्र लिखकर स्कूल की कार्यप्रणाली व प्रबंधन समिति के कुछ सदस्यों की तरफ स्कूल को बेचने की तैयारी से संबंध में आ रही शिकायतों की जांच करने के आदेश जारी किए थे। जब यह पत्र जिला कार्यालय में पहुंचा तो उसे रिकार्ड से गायब कर दिया गया। नतीजा कोई इंकवायरी नहीं हुईं। अधिकारी बदलते गए और कुछ नहीं हुआ। शिकायतकर्ता भी हैरान थे कि पूरा महकमा किसके इशारे पर चल रहा है। दरअसल असल सच यह है कि भंग हुई प्रबंधन समिति में आधे से ज्यादा सदस्य चाहते हैं कि यह स्कूल किसी तरह बिक जाए। दावा किया जा रहा है कि खरीदने वालों ने इन सदस्यों कौ मैनेज भी कर लिया था। कुछ सदस्य इसके खिलाफ थे। वे चाहते थे कि सरकार इसे अपने अधीन लेकर इसे चलाए क्योंकि यह शहर की सबसे बेहतरीन शिक्षण संस्थाओं में शामिल है और ट्रस्ट द्वारा संचालित है। इस स्कूल संपत्ति की अनुमानित लागत 80 करोड़ से ज्यादा बताई जा रही है। इसे संचालित करती आ रही दो अविवाहित बहनों का निधन हो चुका है। समिति में शहर के जाने माने उद्योगपति, समाजसेवी, नेता, वकील एवं सामाजिक कार्यकर्ता सदस्य है। करीब 32 के आस पास इनके सदस्यों की संख्या है जिसमें कुछ का निधन हो चुका है। सदस्यों में पूर्व मंत्री कप्तान अजय सिंह यादव, पूर्व केंद्रीय मंत्री कर्नल राम सिंह के पुत्र संजय राव, उद्योगपति अशोक सोमाणी, विजय सोमाणी, डीके जैन, सतेंद्र प्रसाद टपूकड़ेवाला, सूर्यकांत सैनी, वरिष्ठ अधिवक्ता कैलाश यादव, करतार चौधरी, नरेश चौहान एडवोकेट विशेष तौर से शामिल है।