रणघोष की चौपाल से पंचायती चुनाव की ग्राउंड रिपोर्ट

वोट मिलने पर सालों पुरानी दुश्मनी खत्म, नहीं मिलने पर शुरू हुईँ


रणघोष खास. सुभाष चौधरी


हरियाणा पंचायती चुनाव का पहला चरण संपन्न हो गया। अलग अलग तारीखों पर हो रहे इन चुनावों की खास बात यह है कि यह पूरी तरह से उम्मीदवार की व्यक्तिगत एवं सामाजिक छवि की अग्नि परीक्षा लेता है। हालांकि जातिवाद, आपसी पुराने विवाद, एक दूसरे को नीचा दिखाने की सोच इस तरह के चुनावों में सबसे ज्यादा हावी रहती है। हर गांव में 50 प्रतिशत से ज्यादा मतदाता चुप रहते हैं बाकि अपनी रणनीति के हिसाब से माहौल बनाते हैं। स्थिति यह बनती जा रही है कि इस तरह के चुनाव में जहां कई सालों पुरानी दुश्मनी वोट मिलने की स्थिति में भाईचारे में बदल जाती है वहीं पीढ़ी दर पीढ़ी परिवारों में चलता आ रहा भाईचारा वोट नहीं मिलने पर भविष्य के लिए आपसी दुश्मनी की बुनियाद रखकर जा रहा है। गांवों की चौपालों पर अब भाईचारा अब वेंटीलेटर पर आ चुका है। आपसी टीस घरों में दीवार बन चुकी है। बड़े बुजुर्गों की सलाह और मार्गदर्शन महज औपचारिकता बनकर रहे हैं। युवाओं में सहन शक्ति और समझदारी बिखर चुकी है। कुल मिलाकर पंचायती चुनाव में भाईचारा बनाए रखने के लिए सरकार और सामाजिक सोच रखने वाले लोगों को बड़े स्तर पर ऐसी योजनाओं पर काम करना होगा जिसमें निर्विरोध पंचायत पर स्पेशल ग्रांट के अलावा एक दूसरे के प्रति सम्मान की परपंरा भी कायम हो। नहीं तो छोटे चुनाव  में जन्मीं दुश्मनी सामाजिक- आर्थिक एवं राजनीतिक अपराध बनकर समाज को पूरी तरह से तहस नहस कर देगी। चुनाव में तेजी से बढ़ रही आपसी मारपीट, खूनी हिंसा की घटनाएं अपने आप में प्रत्यक्ष प्रमाण है।