रणघोष की सीधी सपाट बात : रेवाड़ी में नेताओं के मुंह से अपना नाम सुन अब भ्रष्टाचार घूंघट करने लगा है

रणघोष खास. सुभाष चौधरी


रेवाड़ी में इन दिनों भ्रष्टाचार नेताओं के मुंह से बार बार अपना नाम सुनकर शर्म के मारे लाल होकर घूंघट करने लगा है। पिछले 38 सालों में वह अभी तक नहीं समझ पाया  है कि कांग्रेस- भाजपा में किसने सबसे ज्यादा उसे अपना माना या ठुकराया। इन सालों में 30 साल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व मंत्री कप्तान अजय सिंह यादव की छाया में गुजर गए बाकि के 8 साल भाजपा सरकार की देख रेख में आगे बढ़ रहे हैं।  हरियाणा में जब से भाजपा की सरकार आई है पूर्व मंत्री कप्तान अजय सिंह यादव भ्रष्टाचार को उनकी निशानी बताकर रेवाड़ी को दागदार करने का लगातार आरोप लगा रहे  हैं। कप्तान का कहना है कि केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह ने इस इलाके का विकास के नाम पर विनाश करने का काम किया है। नगर परिषद रेवाड़ी का तो वो हाल कर दिया कि वह भ्रष्टाचार में काजल की कोठरी बन चुकी है। कप्तान 24 घंटे विकास के नाम पर गोलमाल करने के आरोपों के साथ भाजपा पर  हमला करने के लिए तैयार रहते हैं। उनके मुख्य निशाने पर राव इंद्रजीत रहते हैं जिसका जवाब देने के लिए राव समर्थकों के सिपाही मौका लगते ही टूट पड़ते हैं। भाजपा की टिकट पर रेवाड़ी से चुनाव लड़ चुके सुनील यादव मुसेपुर कप्तान को उनके 30 सालों के कार्यकाल में  विकास के नाम पर की गई लूट खसोट की याद दिलाते हुए अभी तक जेल में  होने का दावा करते हैं।

लगे हाथ भाजपा जिला अध्यक्ष हुकमचंद यादव भी हमला करने में पीछे नहीं हटते। कप्तान इन्हें अपने बराबर का नहीं मानते इसलिए उनका नाम सुनकर तमतमा जाते हैं। वे सीधे राव से नीचे किसी से दो दो हाथ करने के लिए तैयार नहीं है। इसी तरह कप्तान के बेटे एवं रेवाड़ी से विधायक चिंरजीव राव भी पिता के तरकश में तीरों का उन्हीं के अंदाज में इस्तेमाल कर रहे है। कुल मिलाकर दोनों पार्टी के नेता एवं पदाधिकारी  भ्रष्टाचार का नाम लेकर मीडिया प्लेटफार्म पर एक दूसरे पर जमकर कीचड़ उछाल रहे हैं लेकिन कुर्ता किसी का दागदार नहीं हो रहा है। अगर कप्तान ने अपनी सरकार में रहते जमकर भ्रष्टाचार किया है तो केंद्र एवं हरियाणा में भाजपा की सरकार पिछले 8 सालों से खामोश क्यों हैं। अभी तक सरकार ने कप्तान के खिलाफ चींटी जितनी भी हरकत नहीं दिखाई है। यहां पर कप्तान के हमले इसलिए असरदार नजर आ रहे हैं। वे विपक्ष रहते हुए इतना बोलने की लगातार हिम्मत दिखा रहे हैं ओर सत्ता पक्ष की तरफ से महज बयानबाजी से जवाब दिया जा रहा है। अगर कप्तान के हमलों में दम नहीं है तो सिलसिलेवार तरीके से उसका जवाब क्यों नहीं दिया जा रहा है। जाहिर है ऐसी स्थिति में  नेताओं के मुंह से अपना नाम सुन अब भ्रष्टाचार भी शर्म के मारे घूंघट  करने लगा है।

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