रणघोष अपडेट. एक आदमी की कलम से
राजनीति को सेवा का माध्यम बताने वाले स्थानीय स्तर पर ऐसे नेताओं की तादाद बढ़ती जा रही है जो आमजन की नजर में डिफाल्टर की श्रेणी में आ चुके हैं। इसमें भाजपा- कांग्रेस एवं जेजेपी में ऐसे डिफाल्टरों की संख्या सबसे ज्यादा है। सफेद कुर्ता पायजामा पहनकर बड़ी गाड़ियों में घूमते इन पदाधिकारियों पर अलग अलग कारणों से कर्जा चढ़ा हुआ है। तरह तरह का अपना शौक पूरा करने के लिए ये नेता लोगों से उधारी लेते हैं। कार्यक्रम करने के बाद होने वाले खर्चें को समय पर नहीं चुकाते हैं। मिठाई, टैंट से लेकर कुछ चाय वालों का बिल भी नहीं चुकाते हैं। इन छोटे व्यापारियों के पास ऐसा मजबूत प्रमाण नहीं होता जिसके आधार पर वे शिकायत दर्ज करवा सके। ऐसे में उनके पास इन नेताओं के सामने गिड़गिड़ाने के अलावा कोई चारा नहीं होता। अगर कोई पीड़ित शोर मचाने लगता है तो उसे देख लेने की धमकी देकर चुप करा देते हैं। कुछ नेताओं पर तो चैक बाउंस के केस भी चल रहे हैं। मीडिया में छपने वाले ऐसे नेताओं की तादाद भी कम नहीं है। एक पीड़ित ने तो नाम नहीं बताने की शर्त पर कहा कि उन्होंने भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ को पत्र भेजा है। जिसमें कुछ ऐसे पदाधिकारियों का चिटठा लिखा है जो बड़ी गाड़ियों में घूमते नजर आते हैं लेकिन आम आदमी का पैसा देने के नाम पर आंखें दिखाते हैं। मीडिया में भी विज्ञापन डिफाल्टर नेताओं की संख्या को लेकर शोर मचता रहा है।