राजस्थान ड्रामाः भाजपा पर्यवेक्षकों से मिलने वाले बालकनाथ ने अब कहा- नजरन्दाज करें

रणघोष अपडेट. यूसुफ किरमाणी, सत्य से आभार 

राजस्थान में बड़े मतों से जीत हासिल करने वाले भाजपा विधायक बाबा बालकनाथ ने पार्टी प्रमुख जेपी नड्डा और भाजपा के केंद्रीय पर्यवेक्षकों से शुक्रवार को मुलाकात की थी। बालकनाथ के साथ केंद्रीय पर्यवेक्षकों में से एक पर्यवेक्षक सरोज पांडे भी नड्डा से मुलाकात में शामिल थीं। खुद को योगी और महंत बताने वाले बालकनाथ ने शनिवार को एक ट्वीट करके कहा कि चर्चाओं को नजरन्दाज करें। बालकनाथ ने शनिवार को कहा- पार्टी व प्रधानमंत्री @narendramodi जी के नेतृत्व में जनता-जनार्धन ने पहली बार सांसद व विधायक बना कर राष्ट्रसेवा का अवसर दिया।चुनाव परिणाम आने के बाद से मीडिया व सोशल मीडिया पर चल रही चर्चाओं को नज़र अंदाज़ करें।मुझे अभी प्रधानमंत्री जी के मार्गदर्शन में अनुभव प्राप्त करना है।   राजस्थान के लिए अन्य पर्यवेक्षक केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह और विनोद तावड़े भी हैं। विनोद तावड़े आरएसएस से भाजपा में आए हैं। सरोज पांडे राज्यसभा सदस्य हैं।बालकनाथ का नाम पहले भी दूर-दूर तक नहीं था। क्योंकि आलाकमान के निर्देश पर जिन भाजपा सांसदों को इस्तीफा देने के लिए कहा गया था, उनमें बालकनाथ का नाम नहीं था। लेकिन बालकनाथ ने बाकी सांसदों के इस्तीफा देने के अगले दिन बुधवार को अपना इस्तीफा सौंप दिया। इस्तीफा देने के बाद बालकनाथ सीएम पद की दौड़ में शामिल हो गए थे। यहां यह बताना जरूरी है कि बालकनाथ का असली साम्राज्य हरियाणा में है। रोहतक के पास मस्तनाथ आयुर्वेदिक यूनिवर्सिटी के वो चांसलर हैं। उनके हरियाणा में आश्रम भी हैं। हालांकि विश्लेषक कहते रहे हैं कि राजस्थान में भाजपा की प्रचंड जीत से एक और ‘योगी’ मुख्यमंत्री का उदय हो सकता है, क्योंकि बालकनाथ, जिन्होंने अलवर के सांसद पद से इस्तीफा दे दिया था, इस इलाके में काफी लोकप्रिय हैं। अक्सर उन्हें राजस्थान के ‘योगी’ के रूप में जाना जाता है। उन्हें एक मजबूत हिंदुत्व नेता माना जाता है जो राजस्थान की जाति राजनीति को बदल सकते हैं। 40 वर्षीय ने योगी या बाबा बालकनाथ ने मौजूदा चुनाव में तिजारा विधानसभा क्षेत्र से जीत हासिल की है। उनके इस्तीफे से इन अटकलों को बल भी मिला कि वो सीएम रेस में हैं।हालांकि वसुंधरा राजे सिंधिया ने शुक्रवार को जेपी नड्डा से मुलाकात की थी। लेकिन उनके सीएम बनने की संभावनाएं कम होती जा रही हैं। उनके पास 30 विधायकों का समर्थन बताया जाता है। लेकिन भाजपा का शीर्ष नेतृत्व उन्हें शुरू से ही नजरन्दाज करता आ रहा है। राजस्थान के लिए केंद्रीय पर्यवेक्षकों की घोषणा के बाद वसुंधरा के लिए दरवाजे एकदम से बंद हो गए हैं। क्योंकि पर्यवेक्षक शनिवार को या रविवार को विधायक दल की बैठक बुलवाएंगे। वहां सभी विधायकों को पार्टी आलाकमान की राय बताई जाएगी। फिर विधायक अपना नेता चुनेंगे या पार्टी आलाकमान पर फैसला छोड़ देंगे। केंद्रीय पर्यवेक्षक दिल्ली लौटेंगे और फिर दिल्ली से राजस्थान के नए सीएम की घोषणा हो जाएगी। यह एक तरह से कांग्रेस प्रक्रिया की ही नकल है। कांग्रेस में मुख्यमंत्री इसी तरह तय होते हैं।प्रधानमंत्री अपने-अपने भाषण में बार-बार महिलाओं की ओर से भाजपा को मिल रहे समर्थन को रेखांकित किया है। इसलिए समझा जाता है कि राजस्थान में किसी महिला को सीएम बनाया जा सकता है। लेकिन बालकनाथ की रेस ने दीया कुमारी का रास्ता फिलहाल रोक दिया है। दीया कुमारी भाजपा के शीर्ष नेतृत्व की पसंद हैं, जिनके बारे में आम राय बनती दिख रही थी। लेकिन राजस्थान में भाजपा के अंदर एक से एक नाम उछल रहे हैं। गुरुवार को अचानक ही केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव का नाम सामने आ गया था। वैष्णव ने और अपनी पार्टी ने अपनी ओर से इन अटकलों का खंडन भी नहीं किया। अब जब बालकनाथ का नाम उछल रहा है तो भाजपा ने इसका भी खंडन नहीं किया।

हरियाणा में लड्डू तैयार, मठ की सजावट

योगी बालकनाथ के हरियाणा वाले प्रभाव क्षेत्रों में उनके समर्थकों ने सैकड़ों टन लड्डू तैयार कर लिए हैं। महेंद्रगढ़, रेवाड़ी, झज्जर, रोहतक और भिवानी में उनके हजारों अनुयायी है जो लड्डू के साथ जयपुर कूच कर सकते हैं। बाबा मस्तनाथ मठ को सजा दिया गया है। इसी मठ में चुनाव से पहले आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ आए थे। वहां हजारों साधुओं-संतों ने योगी बालकनाथ को राजस्थान का अगला सीएम बनाने की मांग की थी। रोहतक के पास बाबा मस्तनाथ आयुर्वेद यूनिवर्सिटी के बालकनाथ चांसलर भी हैं।  

योगी आदित्यनाथ और बालकनाथ दरअसल नाथ परंपरा से आते हैं। हरियाणा और राजस्थान में नाथ परंपरा का काफी प्रभाव है। नाथ परंपरा के कई महंत या योगी विधायक, सांसद बन चुके हैं। महंत श्रेयनाथ रोहतक के पास किलोई विधानसभा क्षेत्र से तीन बार विधायक रह चुके हैं। वो कुछ समय तक हरियाणा में मंत्री भी रहे। इसके बाद इसी मठ के महंत चांदनाथ राजस्थान में बहरोड से विधायक बने। 2017 में चांदनाथ के निधन के बाद बालकनाथ राजनीति में आए। 2019 में अलवर से वो भाजपा सांसद बने। अब 2023 में वो तिजारा से विधायक बन गए। 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *