राष्ट्रीयता व संस्कृति की काव्य-बारिश में सराबोर हुआ ईडन-गार्डन

एक शामकविता के नाममें कवियों संग झूमे श्रोता


रणघोष अपडेट. रेवाड़ी


राष्ट्रीय कवि संगम, जिला-रेवाड़ी एवं रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन, ईडन गार्डन के संयुक्त तत्त्वावधान में भारतीय नव संवत्सर 2080 के आगमन अवसर पर राष्ट्र, समाज, भारतीय संस्कृति और संस्कारों पर केंद्रित कवि सम्मेलन ‘एक शाम कविता के नाम’ का आयोजन किया गया।
राष्ट्रीय कवि संगम के जिला-अध्यक्ष और सम्मेलन संचालक मुकुट अग्रवाल ने बताया कि अखिल भारतीय साहित्य परिषद के प्रांतीय कार्यकारी अध्यक्ष वरिष्ठ रचनाकार प्रो. रमेश चंद्र शर्मा की अध्यक्षता और संस्कृति लेखक कवि, समीक्षक व शिक्षक सत्यवीर नाहड़िया के सान्निध्य में माँ-शारदे के समक्ष दीप प्रज्वलन और सरस्वती वंदना के साथ प्रारंभ हुए इस कवि सम्मेलन में जिले भर के दर्जन भर से अधिक रचनाकारों ने काव्य-पाठ किया। अध्यक्ष प्रो. रमेश चंद शर्मा ने इस प्रकार के कवि सम्मेलनों को समाज में जागरूकता व सांस्कृतिक ह्रास को रोकने का उम्दा तरीका बताया।
संस्कृति लेखक समीक्षक कवि शिक्षक सत्यवीर ना हरियानी अपनी रचना के माध्यम से ग्रामीण परिवेश को शहरों के लिए आवश्यक बताया बताते हुए नवसंवत की बधाई इस प्रकार दी-
जिसके आने की आहट से, धरती-मां मुस्काई।
जल-थल-नभ में लगी गूंजने, स्वागत की चौपाई।।
राष्ट्रीय कवि संगम के जिला महामंत्री अरुण गुप्ता ‘अजेय’ अंग्रेजी और हिंदू नव वर्ष के अंतर की पीड़ा कुछ यूँ कही-
पश्चिमी पद्यति के चक्कर में,
हम हिन्दू संस्कृति भूल गए।
क्रिसमस न्यू ईयर याद रह गए,
बाकी सब कुछ भूल गए।
कवियों के गांव निशान से आए लोक कवि दलवीर फूल ने-
‘कवि हर हाल आये चाल, नया साल बारबार
करके पुकार कहै, प्रेम की बोछार हो
भूल हुई पिछली जो सबको सुधार कर
उद्देश को प्राप्तकर, जीवन में निखार हो।’
सुना कर सब के कल्याण की कामना की।
दिल्ली पुलिस में सेवारत कवि राजेश भुलक्कड़ ने अपनी ग़ज़ल के माध्यम से वर्तमान परिस्थितियों पर कटाक्ष किया-
अफसरों को घूस देने से, भला क्या फायदा।
बाबुओं की बस जरा सी, चाय-पानी कीजिए
कवयित्री डॉ शिखा सिंगल ने-
“ऐ नारी तू देवी तू शक्ति का ख़ज़ाना है
पर ग़ुस्ताखी मुआफ़ हो मेरी,
मुझे आज तुझमें कुछ
एहसास जगाना है” सुनाकर नारी से सशक्त बनने का आवाहन किया।
हाँ ये अंत जैसा है, पर ये अंत है नही कविता के माध्यम से डॉ. कविता गुप्ता ने जीवन में आशा का दामन कभी ना छोड़ने के लिए प्रेरित किया। कवियत्री डॉ सुधा यादव ने नए साल की शुभकामनाएं देते हुए आज के सोशल मीडिया के परिवेश पर भी चिंता जताई-दोस्त ना जाने कहां खो गए।
व्हाट्सएप और फेसबुक मित्र हो गए।
रचनाकार अरविंद भारद्वाज ने हास्य कविता सुना कर लोगों को झूमने पर मजबूर कर दिया। वरिष्ठ अधिवक्ता एडवोकेट रणजीत सिंह ने अपनी हास्य फुलझडि़यो से और अयोध्या से आए कवि अरुण द्विवेदी, बहरोड से एडवोकेट साधु राम, करनावास से पंडित कैलाश चंद्र, सेवानिवृत्त शिक्षक तेजभान कुकरेजा, गिरिजा भारद्वाज ने भी अपनी काव्य रचनाओं से संस्कृति, समाज व राष्ट्र के विकास में अपनी भूमिका निभाई। रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन ईडन गार्डन के महामंत्री कंवर सेन, कोषाध्यक्ष बिरेन कुमार यादव, सुनीता गुप्ता, मोनिका जयसवाल, डॉक्टर अभय कुमार, हेमा अग्रवाल, बीना दहिया, ममता शर्मा, दुर्गेश भगत, दुर्गा सिंह, पवन अग्रवाल, अनिल जिंदल, दयाराम यादव, सोमदत्त यादव, सतीश सैनी, नवीन गुप्ता, विद्या, हरि कृष्ण शर्मा आदि उपस्थित रहे