लव जिहाद, हिंसा और महापंचायत… जानें क्यों उबल रहा है कि उत्तराखंड का गढ़वाल

उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में बसा एक छोटा सा शांत पहाड़ी शहर पुरोला में 15 जून को दक्षिणपंथी संगठनों द्वारा बुलाई गई ‘महापंचायत’ से पहले हालात काफी ‘तनावपूर्ण’ हैं. पिछले कुछ दिनों में यहां से आई हिंसक तस्वीरों और वीडियो ने कई लोगों को हैरान कर दिया है.

इस बीच पुलिस पुरोला की ओर जाने वाले हर वाहन की जांच कर रही है, वहीं स्थानीय प्रशासन ने कड़ी चेतावनी जारी करते हुए धारा 144 लगा दी है. पुरोला के सहायक जिला मजिस्ट्रेट तीर्थ पाल कहते हैं, ‘हम किसी को भी महापंचायत करने की अनुमति नहीं देंगे.’ हालांकि, स्थानीय लोग अपना रुख नरम करने को तैयार नहीं दिखते. ग्राउंड जीरो पर मौजूद News18 की टीम ने देखा कि स्थानीय व्यापारी इस मुद्दे पर चर्चा करने के लिए एक बैठक कर रहे थे.

26 मई की घटना के बाद से उबल रहा पुरोला
दरअसल यह पूरा विवाद एक कथित ‘लव जिहाद’ मामले से जुड़ा है, जहां 26 मई को एक नाबालिग लड़की के साथ भागते समय पकड़े गए दो युवकों- जिनमें से एक मुस्लिम था – को लेकर काफी हंगामा हुआ था. इसके बाद कस्बे में कुछ मुस्लिम दुकानदारों के दुकानों के ऊपर पोस्टर चिपके दिखाई दिए, जिनमें उनसे शहर छोड़कर चले जाने के लिए कहा गया था. इसके बाद कई डरे हुए लोगों ने शहर छोड़ भी दिया. इनमें ही 70 वर्षीय शकील अहमद भी शामिल हैं, जो पिछले चार दशकों से पुरोला में कपड़े की दुकान चला रहे थे, लेकिन अब देहरादून लौट आए हैं.

शकील ने पुरोला को लेकर असदुद्दीन ओवैसी के हालिया ट्वीट पर असंतोष व्यक्त करते हुए कहते हैं, ‘लोकल लोगों के साथ हमारे अच्छे संबंध थे. यह राजनीति है जिसने चीजों को बदतर बना दिया है.’

गढ़वाल क्षेत्र में सामने आईं 6 घटनाएं
इस बीच पिछले 2 हफ्तों के दौरान यहां पुरोला सहित गढ़वाल क्षेत्र में कम से कम छह ऐसी घटनाएं हुईं, जिसने यहां जारी तनाव को और भड़काने का काम किया.

पुरोला के विधायक दुर्गेश्वर लाल कहते हैं कि ‘मेरी जानकारी के अनुसार, कोई महापंचायत आयोजित नहीं की जाएगी, हालांकि स्थानीय लोग उत्तेजित हैं और उन्हें अपनी सांस्कृतिक पहचान पर सेंध लगाने के प्रयासों के खिलाफ आवाज उठाने का अधिकार है’.

पूर्व नौकरशाहों ने पुलिस कार्रवाई पर जताई नाराजगी
इस बीच, 52 पूर्व नौकरशाहों ने राज्य के मुख्य सचिव एसएस संधू को पत्र लिखकर इस प्रस्तावित महापंचायत पर रोक लगाने की मांग की है.

इस पत्र में उन्होंने लिखा है, ‘यह हमारे लिए हैरानी भरा है कि सार्वजनिक रूप से जानकारी उपलब्ध होने के बावजूद 26 मई, 2023 से अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ आपराधिक अभियान कैसे चल रहा है और पोस्टर लगाए जाने के बाद अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज करने के अलावा प्रशासन द्वारा क्यों कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है?’

बीजेपी ने दी सख्त प्रतिक्रिया
इन रिटायर्ड नौकरशाहों के पत्र पर सत्तारूढ़ बीजेपी ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है. पार्टी के वरिष्ठ विधायक मुन्ना सिंह चौहान सवाल उठाते हुए कहते हैं कि इन बाबुओं ने पाकिस्तान और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में हिंदुओं की स्थिति पर कभी प्रतिक्रिया क्यों नहीं दी. चौहान पूछते हैं, ‘अगर हम अपनी बेटियों की परवाह नहीं करेंगे तो और कौन करेगा?’

हालांकि इस मामले पर कांग्रेस को राय अलग है. राज्य के पूर्व मंत्री प्रीतम सिंह कहते हैं, ‘सरकार को पूर्व नौकरशाहों की बात सुननी चाहिए. बीजेपी को लोकसभा चुनाव से पहले राजनीतिक एजेंडा थोपने से बचना चाहिए.’

वहीं इस हफ्ते की शुरुआत में बीजेपी, कांग्रेस और बीएसपी के मुस्लिम प्रतिनिधियों ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से ‘हस्तक्षेप’ करने का अनुरोध किया था.